बंगाणी भाषा की तिमाही पत्रिका इज़ाज़
इज़ाज़ यानि आजकल, इन दिनों या इस समय। मुझे यह एजाज़ के करीब लगता है जिसे अनोखा,चमत्कार या करिश्मा भी कहते हैं। इज़ाज़ बंगाणी भाषा की तिमाही पत्रिका है। यह…
इज़ाज़ यानि आजकल, इन दिनों या इस समय। मुझे यह एजाज़ के करीब लगता है जिसे अनोखा,चमत्कार या करिश्मा भी कहते हैं। इज़ाज़ बंगाणी भाषा की तिमाही पत्रिका है। यह…
रंजीत लाल कृत ‘गोली-टॉफ़ी वाला राक्षस’ यथार्थ और कल्पना का मिला-जुला समिश्रण है। जो है और जो नहीं है को मिलाकर रंजीत लाल ने यह साबित किया है कि खट्टी-मिट्ठी…
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किताब: राजा जो कंचे खेलता थाद किंग हू प्लेयड मारबल का हिन्दी अनुवाद राजा जो कंचे खेलता था चौंकाने वाला शीर्षक है। हालांकि मात्र किताब का टाइटल देखकर ऐसा लगता…
सोचने-विचारने वाली किताबों की ज़रूरत है ‘‘बेटी तुम घर से भाग कर तो नहीं आई हो?’’कहानी के आरम्भ में यह सवाल उठता है. पाठक के मन में यह विचार कौंधता…
हमारे विद्यालयों के विद्यार्थियों के ज्ञान का पुख्ता, बड़ा स्रोत शिक्षक ही हैं: आकाश सारस्वत स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों में दूरी है। बच्चे अपनी बात कहने में संकोच करते…
-मनोहर चमोली ‘मनु’ वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व सम्पादक दिनेश जुयाल ने कहा कि मीडिया के मरते जाने के कई मामले हैं। मीडिया अति का शिकार हो चुका है। स्थितियाँ जनसरोकारों…
प्रख्यात कार्टूनिस्ट-चित्रकार आबिद सुरती का एक किरदार ढब्बूजी की धमक किताब का आवरण देखकर धर्मयुग की यादें ताज़ा हो गई। ढब्बूजी एक किरदार था। इसे प्रख्यात कार्टूनिस्ट-चित्रकार आबिद सुरती जी…