प्रख्यात कार्टूनिस्ट-चित्रकार आबिद सुरती का एक किरदार
ढब्बूजी की धमक किताब का आवरण देखकर धर्मयुग की यादें ताज़ा हो गई। ढब्बूजी एक किरदार था। इसे प्रख्यात कार्टूनिस्ट-चित्रकार आबिद सुरती जी गढ़ा था। धर्मयुग में हर अंक के लिए कार्टून स्ट्रिप आती रही। ढब्बूजी काला लबादा पहने हुए आते थे। सिर पर चुटियानुमा दो बाल खड़े हुए रहते थे। दो या तीन चित्रों में चुटीली बातें बच्चो, पत्नी और आम आदमी के इर्द-गिर्द गढ़ी जाती थी।
कटाक्ष, व्यंग्य और कई बार हास-परिहास के केन्द्र में ढब्बूजी की धमक आज भी बनी हुई है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने लगभग नब्बे कार्टूनों की कथा को प्रकाशित किया है। जानकार बताते हैं कि आबिद सुरती के पिताश्री वकील थे। उस दौर में वकील लम्बा चोगा अवश्य पहनते थे। ढब्बूजी का किरदार बनाते समय यह चोगा ही आबिद जी को उचित लगा होगा। बताते हैं कि तब धर्मयुग के संपादक धर्मवीर भारती चाहते थे कि प्रत्येक अंक में एक कार्टून जाए। निरन्तर कार्टून आने में अभी वक़्त था। कामचलाऊ व्यवस्था के लिए आबिद जी को कुछ बनाने को कहा गया।
आबिद जी ने अपने पुराने चरित्र को नया नाम दिया-ढब्बू जी। यह अस्थाई था। लेकिन यह बहुत ही लोकप्रिय हुआ। इतना लोकप्रिय हुआ कि पत्रिका में नियमित स्तम्भ बन गया। आबिद सुरती जी ने ढब्बू जी और चोर उचक्के, ढब्बू जी नेता बनने चले, ढब्बू जी और बुद्धुराम, ढब्बू जी पागल बने,ढब्बू जी और चंदू लाल,ढब्बू जी और उलटी गंगा,ढब्बू जी और चोर उचक्के,ढब्बू जी के धमाके,ढब्बू जी और दाँतों के डॉक्टर में कहानियाँ लिखीं। ढब्बू जी के कार्टून चार, तीन और कुछ दो फ्रेम के भी रहते हैं।
आबिद सुरती जी की यह पुस्तक आकार में है। भारतीय पुस्तक न्यास ने 2005 में प्रकाशित किया है। 2019 में इसकी चौथी आवृत्ति आई है। छात्रों, कलाकारों के साथ पारिवारिक स्तर पर भी यह किताब आनंद प्रदान करती है।
किताब: ढब्बूजी की धमक
लेखक: आबिद सुरती
मूल्य: 60 रुपए
पेज संख्या: 36
रंग: मल्टीकलर
प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,भारत
आईएसबीएन: 978812374474
प्रस्तुति: मनोहर चमोली