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साथ पन्द्रह बरस का
आज इक्कीस अक्तूबर है। पिछले चार दिनों ने उत्तराखण्ड सहित कई सूबों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जान-माल की क्षति भी हुई है। हम कुछ दिन प्रकृति के इस रवैये पर चिंतित…
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मीड डे मील पर आधारित नाटक : भोजन वाला स्कूल
पात्रसूत्रधार एक- गुरूसूत्रधार दो- चेला(पहला दृश्य){चेले का प्रवेश, गुरू पान चबाने के भाव में संवाद करेगा। गुरू-चेला संवाद भाव-अभिनय में शिक्षक-शिष्य से इतर चलेंगे।}चेला: गुरू प्रणाम।गुरू: जीता रे चेले, जीता रे। आज गुरू…
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कभी अलविदा नहीं हमारे केआर !
‘‘मनोहर नमस्ते! मैं के॰आर॰शर्मा! कैसे हो?’’ कालू राम शर्मा जी का यह तकिया कलाम था। याद नहीं कि मैं उन्हें कम से जानता रहा हूँ। शायद बीस-इक्कीस साल का परिचय तो रहा है।…
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बाल-साहित्य : भाग्य, किस्मत,कुण्डली बनाम तकनीक, विज्ञान और ज्ञान !
कोविड 19 ! जी हाँ। याद रहेगा। जनवरी 2020 में हम लोग इसे इतनी गंभीरता से नहीं ले रहे थे। लेकिन ट्रम्प नमस्ते कार्यक्रम के बाद हलकेपन ने करवट बदली और हम गंभीर…
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पाठशाला भीतर और बाहर, अंक 7 वर्ष 3 मार्च 2021
पाठशाला भीतर और बाहर तिमाही पत्रिका है। इसे अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय,बंेगलुरु प्रकाशित करता है। बाल साहित्य के बिना अधूरी है बच्चों की शिक्षा विषय पर सहभागी होने का मुझे भी अवसर मिला था।…
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‘नया साल, कोरोना और हम’
किसी परिवार का एक सदस्य नहीं, दो नहीं….बल्कि सभी के सभी कोरोना पॉजीटिव हो जाएं तो चिंतित होना स्वाभाविक था। ………………. बशीर बद्र साहब को कहाँ पता था कि उनका ये शेर 2020…
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वाकई ! चहुं ओर कुपात्र-छद्म पाठकों साहित्यकारों का बोलबाला है !
हाल ही में एक संगोष्ठी में जाने का अवसर मिला। देश भर के कथित नामचीन साहित्यकार जुटे थे। अच्छा लगा। कुछ साहित्यकारों ने घर बैठे इंटरनेटी मंच से अपनी बात रखी। एक दिवसीय…
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आप रचनाकार हैं तो यह संवाद आपके लिए है।
‘‘मनोहर चमोली जी बोल रहे हैं?’’ ‘‘नमस्कार ! जी बोल रहा हूँ।’’‘‘जी, नमस्ते। मैं ABCD । xyz प्रकाशन का नाम तो सुना होगा आपने?’’‘‘जी जी। क्यों नहीं ! इस पब्लिकेशन को कौन नहीं…
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जितना भी सीखा कम लगता है
कभी तीन साल एक बुनियादी स्कूल से जुड़ने का मौका मिला था। तब मैं स्नातक में था। प्रधानाध्यापिका अकेली थीं। गांधी जयंती, स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस में जाना होता था। संभवतः इसी कारण…
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‘पिता के बहाने’
आज पिताजी नहीं हैं। 15 नवम्बर 2019…! आज ही के दिन पिताजी रात दस बजे इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। पिताजी तीन बार श्वास का सदमा झेल चुके थे। हर बार…