हम और हमारी शिक्षा

शिक्षा कोई सलाद नहीं है। थाली में परोसा गया भोजन है लेकिन सलाद नहीं है तो चलेगा जैसी स्थिति भयावह है। शिक्षा एक पौष्टिक खुराक है। यही खुराक यदि अत्यल्प…

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कहानियाँ बाल मन की अब अमेजॉन पर भी : लेकिन वहाँ से मत खरीदें। सीधे प्रकाशक से खरीदने की बात करूंगा.हैरान मत होइए ! मैं अपनी किताब का प्रमोशन नहीं…

दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला

दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला -मनोहर चमोली ‘मनु’ कथाकार रूपा सिंह की कहानी ‘दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला’ पढ़ी। हंस का अंक मार्च 2020 में यह प्रकाशित हुई…

कारागारों का भी अपना इतिहास होता है

भारत में लगभग एक हजार चार सौ कारागार हैं। तीन लाख छासठ हजार बन्दियों की धारण क्षमता हैं। सीधा-सा अर्थ लगाया जा सकता है कि एक कारागार में 260 सजायाफ्ता…

किताब : रूपवती वासिलीसा, रूस की लोक कथाएँ

सोलह कथाएँ 214 पन्नों में विस्तार लिए हुए हैं। मज़ेदार बात यह है कि रंगीन चित्र पूरे पेज पर समाहित हैं। काग़ज़ बेहद उम्दा है। सफेद है। फोंट भी आकर्षक…

भय लगता है…!

संवैधानिक मूल्य संविधान की आत्मा हैं। मानव शरीर में हर अंग खास है लेकिन सभी अंगों का संचालन मस्तिष्क करता है। यदि मस्तिष्क में विकार आ जाए तो शरीर का…

बराबरी का समाज होना अभी शेष है : गंगा थपलियाल

आठ मार्च अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस को याद करते हुए सामाजिक संस्कृतिकर्मी,पत्रकार, संपादक एवं कवयित्री गंगा असनोड़ा ने कहा कि महिलाएं शिक्षित हो रही हैं। अपने अधिकारों को जान-समझ रही हैं…