‘कहानियाँ बाल मन की’ के प्रति लगातार स्नेह मिल रहा है। अभिभूत हूँ। श्वेतवर्णा प्रकाशन का भी धन्यवाद कि उन्हें जो आए दिन एक-दो,एक-दो प्रतियों के ऑर्डर मिल रहे हैं तो भी शीघ्र-अतिशीघ्र पुस्तक पहुँचाने का उनका उत्साह कम नहीं हुआ है। बात पुस्तक के मूल्य 225 रुपए की नहीं हैं। बात यह है हिन्दी के पाठक खरीदकर पढ़ने की परम्परा को बनाए-बचाए हुए हैं। दूसरी बात उस पर लिखकर अपनी राय देना ! क्या यह बड़ी बात नहीं ! प्रतिक्रिया आपकी नज़र- वरिष्ठ साहित्यकार सुधा भार्गव मौन साधक हैं। पढ़ती-लिखती हैं। समय के साथ चलती हैं और पुरानी रीति-नीति,परम्पराओं को भी कहानियों में ढालती हैं। उन्होंने लिखा है-आज किताब मिल गई है। बहुत ख़ूबसूरत कवर। कहानियाँ भी उतनी ही ख़ूबसूरत। बाल क्या बड़ों के मन को भी भाने वाली होंगी। आगे पढ़कर बताऊँगी। हार्दिक बधाई!’’

दिव्या झिंकवान बच्चों के बीच में काम करती हैं। पढ़ाना ही उनका काम है। वह अध्यापिका जो है। वे लिखती भी हैं। लिखने के लिए नहीं लिखतीं। समाज को बेहतर समाज की ओर बढ़ता हुआ भी देखना चाहती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों को तरजीह देती हैं। उसे जीती भी हैं। हम एक बार विभागीय कार्यशाला में मिले थे। बच्चों में पढ़ने की आदत विकसित करने के लिए रीडिंग कार्ड बनाए थे। तब उनके लेखन में आई उनकी सोच से परिचय हुआ था। बहरहाल, उन्होंने भी ‘कहानियाँ बाल मन की’ पुस्तक खरीदी है। न सिर्फ खरीदी है, बल्कि पढ़ी भी है। न सिर्फ पढ़ी है बल्कि उन्होंने संग्रह में शामिल 40 कहानियों के आलोक में ऐसी बात को महसूस किया है, जिसे अब तक किसी भी परिचित-अपरिचित साहित्यकार, मित्र, पाठक आदि ने मुझे भेजी टिप्पणी में नहीं लिखा है। मैं वाक़ई इस बात की प्रतीक्षा कर रहा था। लेकिन दिव्या जी ने अपनी इस टिप्पणी में वह बात लिखकर मुझे हतप्रभ कर दिया। दिव्या जी की पूरी टिप्पणी को मैं यहां इसलिए भी दे रहा हूँ ताकि इस पोस्ट को पढ़ने वाले यह बात जान लें कि एक अध्यापक से बेहतर साहित्यकार ओर कोई नहीं हो सकता। यदि अध्यापक अपनी इस क्षमता को महसूस कर लें। लीजिएगा, आप भी दिव्या जी की टिप्पणी पढ़िएगा। पढ़कर यदि आप उस बात को पकड़ सकें जिसका मैंने उल्लेख किया है तो मुझे बताइएगा। मुझे अच्छा लगेगा-“मुझे जैसा लगा, बच्चों के लिए ये कहानियां वाकई इस दौर की मांग हैं, इन कहानियों में भावनाओं का, कुछ काल्पनिकता, कुछ हंसी का पुट है, इन कहानियों में बच्चों का हिस्सा तो लाजिमी है, वन्य जीवों का भी हिस्सा है सबसे बढ़कर खास है कहानियों का वैज्ञानिक, तार्किक दृष्टिकोण, लोगों के बीच सामान्यीकृत हो चुके अंधविश्वासों का वैज्ञानिक तरीके से खंडन, वो भी बच्चों के लिए अपेक्षाकृत सरल भाषा में । कहानी के पात्रों के नाम बिना किसी पूर्वाग्रह के रखे गए हैं और धर्म, जाति की संकीर्णताओं से मुक्त हैं जिनसे लेखक का लोकतांत्रिक और निरपेक्ष नजरिया दिखता है । कहानियों के कथानक दुरूह नहीं हैं पर कल्पनाओं की उड़ान की भी संभावनाएं पूरी हैं है ।ये कथाओं का वैज्ञानिक रूप कहा जाय या सरल विज्ञान का कहानीकृत रूप, ये एक दूसरे के होने को बेहतर तरीके से पुष्ट करती हैं । इन के माध्यम से छोटी व्यावहारिक बातों का सरल स्पष्टीकरण बच्चो के लिये किया गया है । पर्यावरण हो या पारिस्थितिकी, लेखक के द्वारा अपने सरोकार भी कहानियों के माध्यम से व्यक्त किए जाए हैं । मुझे किताब अच्छी लगी, बच्चों की कहानी की किताब में चित्रांकन रंगीन होता तो, ज्यादा आकर्षक लगती। एक और बात, क्या हम हाशिए पर रखे गए दलित, आदिवासी बच्चों की कल्पनाओं, कहानियों, डर, चिंताओं को भी शामिल कर सकते थे ? बच्चों की किताब के लिए ये पहलू शामिल करना इसकी स्वीकृति को व्यापक ही करेगा । हम ये लक्ष्य जरूर रख सकते हैं । संग्रह में चालीस कहानियां हैं, हर एक कहानी में कोई न कोई संदेश है, इसके पाठक वय वर्ग के लिए यह मुझे जरूरी भी लगा ।बाकी हिंदी बाल साहित्य के क्षेत्र में मनु जी को कौन नहीं जानता, उनकी किताब पर एक पाठिका होने के नाते मैं अपनी बात रख रही हूं । शायद पहले ही कुछ लिखती, मुझे किताब जरा देर से ही प्राप्त हो पाई । मनु जी को भी बहुत शुभकामनाएं!”

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बिहार के साथी अम्बुज कुमार झा फेसबुक में मित्र बने हैं। यानि यथार्थ की दुनिया में उनसे पहली मुलाकात शेष है। उन्होंने भी कहानियाँ बाल मन की को अपना स्नेह दिया है। वह लिखते हैं-”बच्चों में पुस्तक पढ़ने की आदत डालने के लिये उसके मनपसंद कहानियों की किताबें उसको देनी होती है । हालांकि बच्चों के अनुरूप कहानी की किताबें कम छप रही है । इसी कड़ी में #उत्तराखंड के शिक्षक शिक्षाविद मनोहर चमोली मनु जी के द्वारा मुझे भेजा गया यह पुस्तकालय #कहानियाँ_बाल_मन_की बेहतरीन कही जा सकती है । दूसरी मुख्य बातें होती है बच्चों को दिखना चाहिए लोगो को पढ़ते हुए । जब वो अपने घर के लोगो को, शिक्षकों को पढ़ते हुए देखता है ।(अब तो हम शिक्षक खुद मोबाइल….) तब वो खुद भी पढ़ने के लिये प्रेरित होता है ।

चमोली उत्तराखंड से है भेजी… पुस्तक के लिये बिहार से धन्यवाद!”

पूजन नेगी कभी पत्रकार थे। फिर वह राजनीतिक गलियारों से होते हुए सरकार समर्थित कई परियोजनाओं से जुड़े। अब स्वास्थ्य विभाग से जुड़े हुए हैं। देहरादून स्थित समय साक्ष्य ने अपने स्तर पर कहानियाँ बाल मन की कुछ प्रतियाँ मँगवाईं। पूजन जी को पता चला तो वे चलकर किताब तक पहुँचे। यही नहीं किताब संग एक फोटो भी खींच ली। समय साक्ष्य के प्रवीण भट्ट जी के माध्यम से यह पुस्तक मिली है। पूजन नेगी जी ने जल्दी ही प्रतिक्रियाओं से अवगत कराने का वादा किया है।

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सतीश पुरोहित बीएसएनएल टिहरी में जेटीओ के पद पर कार्यरत हैं। आईआईटीएन हैं। इस फील्ड के लोग साहित्य-फाहित्य में कम ही रुचि लेते हैं सुनते हैं। मुझे प्रसन्नता हुई कि उन्होनें किताब मँगवाई है। वे भी जल्दी ही प्रतिक्रयाएं भेजेंगे। ऐसा विश्वास है।

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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