उत्तराखण्ड का बाल पर्व: त्योहार एक नाम अनेक

उत्तराखण्ड का बाल पर्व: त्योहार एक नाम अनेक कहीं फ्योंली, प्यूँली, फ्यूँली, फूलदेई, बालपर्व, फूल संगराद, फूल सग्यान ,फूल संग्रात, मीन संक्रांति तो कहीं गोगा #पर्व

‘पहाड़ों से निकली पहाड़ों की कहानियाँ’

सुप्रसिद्ध साहित्यकार भगवत प्रसाद पाण्डेय का पहला बाल कहानी संग्रह ‘पहाड़ों से निकली पहाड़ों की कहानियाँ’ सुप्रसिद्ध साहित्यकार भगवत प्रसाद पाण्डेय का पहला बाल कहानियों का संग्रह है। इसका अर्थ…

क़द और कार्य को मिला सम्मान

रेखांकित हुई गणेश खुगशाल ‘गणी’ कृत ‘धाद’ पत्रिका गणेश खुगशाल ‘गणी’ उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान-2023 के लिए चयनित हुए हैं। बधाई ! दरअसल यह उनका सम्मान नहीं राज्य की गढ़वाली…

किताबें करती हैं बातें

उत्तराखण्ड बोर्ड ने गत वर्ष से भाषाई विषयों में 20 अंक आंतरिक मूल्यांकन के लिए निर्धारित कर दिए हैं। सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना कौशलों की जांच भी है। पिछली…

भलमनसाहत की चाँदनी फैलाते हैं राकेश जुगरान

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैंरुख़ हवाओं का जिधर का है, उधर के हम हैं जी नहीं। निदा फ़ाज़ली ने भले ही यह शेर कमोबेश पलटूओं के…

आवारा मन

इल्म में भी सुरूर है लेकिनये वो जन्नत है जिसमें हूर नहीं। अल्लामा इक़बाल से सहमत हुआ जा सकता है।दिलकश चेहरा। हर समय तरतीब से सँवारा हुआ। सिर पर बालों…

पाठक की राय

रा इं०कॉ० खरसाड़ा-पालकोट, टिहरी गढ़वाल में पुस्तकालय शिक्षक साथी मोहन चौहान सँभालते हैं ! उन्होंने एक गतिविधि आयोजित की हुई है। पाठक किताबें ले जाते हैं । पढ़ते हैं और…

बाल साहित्य की खुशबू और भाषा का सम्बन्ध

स्वैच्छिक शीतकालीन कैम्प में जुटे सैकड़ों शिक्षक तीन दिन सामूहिक चर्चा, अनुभवों का साझाकरण और शैक्षणिक सन्दर्भों के व्याख्यान में पचास अध्यापकों का शामिल होना अपने आप में आगे बढ़ने…