यह पौधा बहुत ही उपयोगी है। प्राचीनकाल से ही बड़े-बुजुर्ग इसे कई रोगों के इलाज में उपयोग करते थे। अब जानकार ही इसकी महत्ता जानते हैं। इसे ऊँटकटेरा भी कहते हैं। यानी ऊँट भी इसे बड़े चाव से खाते हैं। इन दिनों इस पौधे में फूल खिलते हैं। यह फूल जंगली कीटों, मधुमक्खियों और भौंरों के लिए भी रस उपलब्ध कराते हैं।
आइए ! इसे और करीब से जानने का प्रयास करते हैं। यह ऐस्टरेसी परिवार का पौधा है। इसका अंग्रेज़ी नाम ग्लोब थिसिल है। वानस्पतिक नाम एकीनॉप्स एकीनेटस है। हिन्दी भाषी राज्यों में इसके कई नाम हैं। यथा-ऊँटकटेरा, उत्कंटको, उत्कंटक, ऊँटकटारा। उर्दू में इसे भी ऊँटकटारा कहते हैं। कन्नड़ में यह ब्रह्मा डान्डे के नाम से जाना जाता है। गुजराती में इसे उत्काटो, उत्कन्टो और शुलियो कहते हैं। तमिल में कट्टम और कन्टाकम भी कहते हैं। तेलुगु में इसे ब्रह्मदण्डी कहते हैं। मराठी में यह उटांटी और काडेचुबक कहते हैं। अरबी में यह अशोकुल जमाल है। फारसी में यह अष्टारखर है। संस्कृत में तो इसके कई नाम हैं। यथा-कंटफल, रक्तपुष्पा, कण्टालु, उटाटि, उत्कण्टक और उत्तुण्डक।
इसका अर्थ यह हुआ कि यह कोई स्थानीय पौधा नहीं है। यह दुनिया के कई स्थानों पर पाया जाता होगा। मुझे यह समुद्रतल से लगभग 1600 मीटर की ऊँचाई पर दिखाई दिया। यहाँ चीड़ के वृक्ष भी हैं तो आँवला भी हैं। आस-पास बर्फ पड़ती है। यह प्रायः ऊँटों का चारा भी है। यानी यह रेगिस्तान, कम उपजाऊ वाली मिट्टी में भी हो जाता है। यह गंगा के मैदानी क्षेत्रों में भी दिखाई देता है। चरागाहों और खुले जंगलों के साथ-साथ हिमालयी क्षेत्रों में भी मिल जाता है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में भी यह पाया जाता है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी इससे कई दवाएं बनाई जाती हैं बताया जाता है।
सिरदर्द में इसकी जड़ को सोंठ के साथ पीसकर माथे पर लगाया जाए तो सिरदर्द दूर होता है। आँखों के विकारों के लिए इसके ताज़े डन्ठल और फूलयुक्त फल को कूट-पीसकर, छानकर रस उपयोग में लाया जाता है। रतौंधी तक में इसका फायदा बताया जाता है। गलगण्ड, कास, तृष्णा, मन्दाग्नि, पीलिया, प्रमेह, गुप्तांगों के विकार, त्वचा रोग, प्रस्वेद सहित ज्वर में भी इसका उपयोग बताया जाता है। अधिक जानकारी तो आयुर्वेद के गहन अध्येता ही दे सकेंगे।
इतना तो है कि यह भी ब्रह्मदण्डी और सत्यानाशी की तरह दिखाई देता है लेकिन इसमे गेंद के आकार के फूल खिलते हैं। पूरे पौधे में काँटे होते हैं लेकिन यह आसमान की ओर ऊपर की ओर उठे हुए होते हैं।
कृपया औषधि के रूप में सेवन की अपन सलाह नहीं दे रहे हैं। लेकिन प्रकृति के इस नायाब पौधे के फूल और संरचना का लुत्फ ज़रूर उठा सकते हैं। यह जहरीला नहीं होता। सो इसे नष्ट नहीं करना चाहिए। जंगली जानवरों सहित दूधारू पशुओं का यह प्रिय भोजन है।
वानस्पतिक नाम : Echinops echinatus Roxb
कुल : Asteraceae
अंग्रेज़ी नाम : Globe thistle
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