दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला

-मनोहर चमोली ‘मनु’

कथाकार रूपा सिंह की कहानी ‘दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला’ पढ़ी। हंस का अंक मार्च 2020 में यह प्रकाशित हुई है। सात हजार से अधिक शब्दों वाली यह कहानी बेहद सरल है। पंजाबी भाषा की आंचलिकता में इसके प्राण हैं। सरल वाक्य है। छोटे-छोटे वाक्य हैं। कहानी का आरम्भ आप भी पढ़िएगा-

‘गजब थी बेबे। कई मायनों में गजब थी। उसके कानों के कुंडल भी गजब थे।’

कहानी पढ़ते हुए पाठक को लगता है कि कहानी कही जा रही है। यही इसकी ख़ासियत भी है। पहले-पहल लगता है कि बेबे की सुन्दरता के आस-पास और ठेठ परम्परागत कहानी-सी ही यह कहानी होगी। लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है तो एक मोह-सा होने लगता है। बेबे कौन है? छल्ला आखिर इतना अहम् क्यों है? यह सवाल पाठक के ज़ेहन में कुलबुलाने लगते हैं। फिर लगने लगता है कि तीन पीढ़ीयों के आस-पास घूमती-बढ़ती हुई यह कहानी टीवी सीरियल ‘हम लोग’ टाॅइप में ढलेगी।

फिर आता है बेबे का कूबड़ और हाथों में पहनने वाला छल्ला जो बेबे हाथों में नहीं पैरो में पहनती है! यहीं से कहानी के प्रति पाठक की जिज्ञासा बढ़ती चली जाती है।

कथा शिल्प के कुछ उदाहरण आपके लिए यहाँ हैं-

‘वह तो पोटली उठाकर जी भागा लेकिन इन्होंने जड़ दिए दो चिमटे मेरी पीठ पे। बड़े दुख सहे हैं मेीर पीठ ने।’

‘बेबे के हंसते ही घर आंगन,बरांडा, चैका सब हो जाते गुलाबी,गुलाबी।’

‘गजब थी बेबे। कब गुस्सा कब प्यार उमड़ आए-पता ही नहीं चलता। गालियां भी दे तो प्यार की पूंछ में बांधकर।’

‘पंजाबी भाषा होती ही शायद ऐसी है पंजाबियों के दिलों जैसी। भावनाओं के उदात्त आवेग से भरी और उसे प्रकट करने में वैसी ही दरियादिली।’

‘जिंदादिली की इस बेमिसाल जादूगरनी से मैं उनकी पीठ के कूबड़ के बारे में पूछती तो वे कहती-यह भी पहले नहीं था रे। रास्ते में उग आया। यह मेरे दुखों की पोटली है। इसमें मेरे सारे दुख भरे हैं। यह मेरे साथ जाएगी। मैं उनकी उभरी कमीज पर हाथ रखती तो मुझे लगता एक कटोरी औंधी पड़ी है। कहीं से सख्त है तो कहीं से पिलपिली। मैं पूछती,बेबे ऐसा क्यूँ है? वह कहती जहां कड़ी है वहां तो हैं छुहारे और जहां नर्म है वहां हैं बताशे।’

‘बेबे हमेशा हंसती मिलती,नाना पतले होंठ भींचे चुप, सख्त,बेबे आंगन में लगे हैंडपंप से छलछलाते पानी की तरह थी जाए तो बहती जाए ठहर जाए तो कटोरे का रंग तक अख्तियार कर ले।’

‘बहुत सुंदर बचपन था मेरा। बहुत सुंदर शहर था अमृतसर,खूब सारी गलियों से गुलजार। सुबह स्वर्ण मंदिर के स्वर्णिम शब्दों से नींद खुलती-एक ओमकार,कर्ता पूरख, निर्भयख्निरवैर……यहां मेरी सहेलियां थीं। पतंगें थीं,तांगे थे। स्कूल जाते,जहां हम क्रोशियाबुनना भी सीखते। अचार,बड़ियों,मसालों और घी की महक थी। दूकानें सजी रहतीं-रंग-बिरंगी पगड़ियों,फुलकारी वाली चुन्नियों,सुनहरे तिल्लियों वाली जूतियों से,लटकती,मटकती परांदियों से। जब देखो सगाइयों की, शादियों की ,बैसाखी की धूम रहती। ढोल बजते,भांगड़ा पाया जाता।’

‘डाॅक्टरी की पढ़ाई आसान नहीं होती। इस बीच बहुत कुछ भूल-भुला गई थी। लेकिन बेबे की गरम और नरम छातियों के बीच दुबककर सो जाना,कूबड़ पर हाथ रखते ही छुहारों और बताशों की मिठास से मुंह गीला होना अमृतसर की गलियों का सौंधापन ,बेबे की कुंडल के लशकारे याद थे मुझे। चीर-फाड़ की अभ्यस्त उंगलियां कभी दिल चीरती तो आत्मा ढूंढने लगती।’

‘कई बार तो जब मैं बीमार स्त्रियों की आंखे चेक करती तो कोने में कोठड़े वाला वही दुख चुप खड़ा नजर आता……।’

‘सामने खड़ा था तोषी। वैसा का वैसा। वहीं का वहीं। मानो सदियों से खड़ा था यहीं का यहीं। ठिठक गई। सिर के बालों पर थोड़ी सफेदी उतरी थी और चुहल गायब थी।’

कहानी पहले बड़ी सरलता से आगे बढ़ती है। ध्यान खींचती है। फिर यकायक वह कौतूहल जगाती है। बेबे के साथ साथ अमृतसर का चित्र बनाने के लिए बाध्य करती है। नाना का रेखाचित्र भी बनने लगता है। होनी के साथ कुछ अनहोनी न होने के साथ आगे बढ़ती है और फिर अनहोनी जिसका अंदाज़ा बाल बराबर भी नहीं लगता वह घट जाती है। बेबे का चरित्र-चित्रण और सशक्तता के साथ स्थापित होता है। जीवन भर दूसरों के लिए समर्पित बेबे प्रेम को कितना निजी बनाकर रखती है और उसे ज़ाहिर भी नहीं होने देती। प्रेम को टूटकर निबाहने का जोड़ इस कहानी में सराहनीय है।

कहानी के अंश कहानीपन का पता तो देते ही हैं। यह भी अहसास कराते हैं कि कैसे शब्द चित्र बुन लेते हैं। कहानी कैसे पति-पत्नी,नानी की यात्रा कराते हुए विभाजन पर ले आती है और छल्ले का अनजाना-सा बड़ा रहस्य खोलती है। एक प्रेम में पकी हुई कहानी! कहानी अंत में वाकई नई कहानी का सूत्र तो देती ही है।

एक पाठक के तौर पर यह कहानी अपने कथ्य के लिए,देशकाल के लिए और चरित्र-चित्रण के लिए अच्छी कहानी कही जा सकती है। नानी के प्रति अगाध प्रेम, एक स्त्री का विभाजन के समय झेला दंश और उससे उपजा बेढब जीवन भी कहानी को विशिष्ट बनाता है। कथाकार को बधाई पहुँचे।

और हाँ ! बतौर पाठक यह कहना चाहूंगा कि पाठक सिर्फ आनंद के लिए कहानी नहीं पढ़ता। कहीं न कहीं वह अपने को,अपने जीवन को, यादों को और बातों को कहानी में खोजता है। उसके जीवन के किस्से कहानी में होते हैं। यह भी कि वह या उसके जैसे कहानी में होते हैं। कहानी पढ़ने के बाद पाठक वहीं नहीं रह जाता, जहां वह कहानी पढ़ने से पहले होता है। कहानी पढ़ते-पढ़ते और पढ़ने के बाद वह खुद में सोच के स्तर पर,चिंतन के स्तर पर और आदमियत के तौर पर भी बदलाव पाता है। इस कहानी से यह सब पाना बड़ी बात है।

-मनोहर चमोली ‘मनु’

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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