दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला

दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला -मनोहर चमोली ‘मनु’ कथाकार रूपा सिंह की कहानी ‘दुखां दी कटोरी सुखां दा छल्ला’ पढ़ी। हंस का अंक मार्च 2020 में यह प्रकाशित हुई…

कारागारों का भी अपना इतिहास होता है

भारत में लगभग एक हजार चार सौ कारागार हैं। तीन लाख छासठ हजार बन्दियों की धारण क्षमता हैं। सीधा-सा अर्थ लगाया जा सकता है कि एक कारागार में 260 सजायाफ्ता…

किताब : रूपवती वासिलीसा, रूस की लोक कथाएँ

सोलह कथाएँ 214 पन्नों में विस्तार लिए हुए हैं। मज़ेदार बात यह है कि रंगीन चित्र पूरे पेज पर समाहित हैं। काग़ज़ बेहद उम्दा है। सफेद है। फोंट भी आकर्षक…

भय लगता है…!

संवैधानिक मूल्य संविधान की आत्मा हैं। मानव शरीर में हर अंग खास है लेकिन सभी अंगों का संचालन मस्तिष्क करता है। यदि मस्तिष्क में विकार आ जाए तो शरीर का…

बराबरी का समाज होना अभी शेष है : गंगा थपलियाल

आठ मार्च अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस को याद करते हुए सामाजिक संस्कृतिकर्मी,पत्रकार, संपादक एवं कवयित्री गंगा असनोड़ा ने कहा कि महिलाएं शिक्षित हो रही हैं। अपने अधिकारों को जान-समझ रही हैं…

उम्मीद,आशा और भरोसा लेकर ‘अब पहुँची हो तुम’

-मनोहर चमोली ‘मनु’महेश चंद्र पुनेठा कृत कविता कविता संग्रह ‘अब पहुँची हो तुम’ उपलब्ध है। एक सौ सत्रह कविताएँ इस संग्रह में है। पृष्ठों की संख्या एक सौ चैबीस है।…

शिक्षण में बाल साहित्य को बाधा के तौर पर देखने वालों की कमी नहीं हैं: गुरबचन सिंह

-मनोहर चमोली ‘मनु’ बाल साहित्य के अध्येता गुरबचन सिंह जी ने कहा,‘‘हम आज अपने प्रिय विषयों के साथ बात करेंगे। इस दशक को छोड़ दें तो बाल साहित्य की भूमिका…

जीवन का टेक्स्ट कर्सर

काश! जीवन का भी कोई बैकस्पेस बटन होता। मैं उसे दबाए रखता। तब तक दबाए रखता जब तक जीवन का टेक्स्ट कर्सर मुझे मेरी आठवीं कक्षा तक नहीं पहुँचाता। मैं…