भलमनसाहत की चाँदनी फैलाते हैं राकेश जुगरान

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैंरुख़ हवाओं का जिधर का है, उधर के हम हैं जी नहीं। निदा फ़ाज़ली ने भले ही यह शेर कमोबेश पलटूओं के…

आवारा मन

इल्म में भी सुरूर है लेकिनये वो जन्नत है जिसमें हूर नहीं। अल्लामा इक़बाल से सहमत हुआ जा सकता है।दिलकश चेहरा। हर समय तरतीब से सँवारा हुआ। सिर पर बालों…

पाठक की राय

रा इं०कॉ० खरसाड़ा-पालकोट, टिहरी गढ़वाल में पुस्तकालय शिक्षक साथी मोहन चौहान सँभालते हैं ! उन्होंने एक गतिविधि आयोजित की हुई है। पाठक किताबें ले जाते हैं । पढ़ते हैं और…

बाल साहित्य की खुशबू और भाषा का सम्बन्ध

स्वैच्छिक शीतकालीन कैम्प में जुटे सैकड़ों शिक्षक तीन दिन सामूहिक चर्चा, अनुभवों का साझाकरण और शैक्षणिक सन्दर्भों के व्याख्यान में पचास अध्यापकों का शामिल होना अपने आप में आगे बढ़ने…

एक स्वीकारोक्ति : इन दिनों हुए माहौल के सन्दर्भ में

कुछ ढील कहूँ या खुद में शऊर की कमी राजकीय शिक्षक हुए उन्नीस साल हुए जाते हैं। राजकीय इसलिए जोड़ा कि खुद राजकीय विद्यालयों में पढ़ा। मुझे अच्छे शिक्षक नहीं…

रेखाओं से इस दुनिया को हसीन बनाती अनुप्रिया

जन्मदिन की शुभकामनाएँ ! कोई कैसे एक साथ माँ, पत्नी, कवयित्री, दोस्त, लेखक और चित्रकार हो सकता है? आप कह सकते हैं क्यों नहीं? मुझे एक बात और जोड़नी है…

हड्डी से पत्थर

एक शानदार किताब ! कैरेन हेडॉक कृत पुस्तक और पूजा तिवारी द्वारा अनुदित पुस्तक को एनबीटी ने प्रकाशित किया है । 2020 में प्रकाशित इस पुस्तक का दूसरा संस्करण 2021…

फिर भी बच्चे याद रखते हैं . . .

धर्मवीर बत्तीस साल बाद मिला धर्मवीर ! कद लगभग छह फुट ! सांवला रंग। दुबला-पतला शरीर। धूप-मिट्टी और रंग बदलते मौसम के साथ घुली-मिली गठी हुई देह। भाल और भौंहे…