रा इं०कॉ० खरसाड़ा-पालकोट, टिहरी गढ़वाल में पुस्तकालय शिक्षक साथी मोहन चौहान सँभालते हैं ! उन्होंने एक गतिविधि आयोजित की हुई है। पाठक किताबें ले जाते हैं । पढ़ते हैं और उसे अभिव्यक्त करते हैं । भाषाओं की कक्षा में सीखने के प्रतिफल जिसे लर्निंग आउटकम से जाना जाता है ! क्या आप बताएँगे कि क्या – क्या हासिल हो रहा होगा विद्यार्थियों को ?
बहरहाल, कक्षा 7th के विद्यार्थी ने 49वीं कड़ी में अपनी बात इस तरह से व्यक्त की -“अबकी बार जब मैं पुस्तकालय गया,तो मैंने सोचा क्यों न विज्ञान से संबंधित कोई पुस्तक ली जाय। पुस्तक की आलमारी खोलते ही मेरी नज़र सीधी इस पुस्तक पर पड़ी। मैंने ये पुस्तक ले ली। इस पुस्तक का नाम है ‘अंतरिक्ष के आगे बचपन’ इस पुस्तक के लेखक मनोहर चमोली मनु जी है। यह पुस्तक कहानियों की है। इस पुस्तक का आवरण मोहन चौहान जी ने बनाया है।
इस पुस्तक में कुल 21 कहानियां हैं। जैसे सही बचत, लौट आई किताबें, इनाम में थप्पड़, फिर चलेंगे गांव, सबसे अच्छी दोस्ती, गुल्लक, मैं स्कूल कब जाऊंगी आदि। इसमें कहानियां अलग-अलग विषयों पर है। जैसे घर, की गांव की, गुल्लक की, दोस्ती की, स्कूल की। और भी अन्य विषय पर है। दो कहानियों का जिक्र करूंगा। सही बचत इस कहानी में भारत, भारती और दादा पात्र हैं। इस कहानी में बताया गया है कि हमें अपने पैसों का सदुपयोग करना चाहिए। जैसे इस कहानी में भारती जिसकी दोस्त भानुली की मां बीमार होने के कारण वह अपने गुल्लक के पैसे उसे दे देती है। दूसरी कहानी इनाम में थप्पड़, इस कहानी में मास्टर, बच्चे, मैडम है। इस कहानी में मास्टर जी सभी बच्चों को बेवजह मारते हैं। लेकिन वह भी तो एक इंसान ही है। एक दिन वह एक बच्ची को मारते वक्त भावुक हो गए।
इस तरह जिन्हें हम वास्तव में बुरे समझते हैं, क्या पता उनके अंदर कुछ अच्छे भाव भी हों। पुस्तक पूरी पढ़ने के बाद मैं सोचता रहा कि शायद पुस्तक का नाम अंतरिक्ष से आगे बचपन इसलिए पड़ा क्योंकि बच्चों की दुनिया बहुत बड़ी होती है। उनकी कल्पनाएं अंतरिक्ष से आगे तक भी हो सकती है। मुझे यह पुस्तक बहुत अच्छी लगी और सभी विद्यार्थियों को यह पुस्तक पढ़नी चाहिए।”
पुस्तक -अंतरिक्ष से आगे बचपन
लेखक- मनोहर चमोली मनु
प्रकाशक- विन्सर पब्लिशिंग कंपनी