जन्मदिन की शुभकामनाएँ !


कोई कैसे एक साथ माँ, पत्नी, कवयित्री, दोस्त, लेखक और चित्रकार हो सकता है? आप कह सकते हैं क्यों नहीं? मुझे एक बात और जोड़नी है कि बावजूद यह सब होने के बाद प्यारा इंसान होना आसान नहीं है। सहयोगी होना और भी कठिन है। उस पर साधारण-सी बात को भी असाधारण तरीके से उकेरने वाला दुर्लभ गुण है।


यूँ तो सभी बेटियाँ प्यारी होती हैं। हाँ! बेटी अपने नाम को सार्थक कर दे तो उसे प्यारी बेटी ही कहेंगे। कोई लक्ष्मी को अपने हाथ में बिठा ले तो सोने पे सुहागा। देवी लक्ष्मी को भी अनुप्रिया नाम कहा जाता है। अनु शिव के लिए प्रयोग होता है। सत्य ही शिव है। सत्य का आचरण करने वाला प्रिय भी होगा और खूबसूरत ही होगा। यह तय है। किसी को भी अनुप्रिया में यह सब देखकर रश्क़ हो सकता है।


अनुप्रिया कला की अध्येता है। यह काम एकाग्रता और समय चाहता है। एकांत अवसर भी चाहता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि कूचीकार समाज से कट जाए। समाज से अनवरत् जुड़े रहना एक कलाकार के लिए बहुत ज़रूरी होता है। पता नहीं अनुप्रिया इतना सूक्ष्म अवलोकन कैसे कर पाती हैं? सूक्ष्म अवलोकन को रेखाओं में विस्तार से गहरा उतारना और भी दुष्कर कार्य है। यह बिना संवेदना और सौंदर्य के संभव नहीं। सतही नज़र और सोच से चित्रों में नवीनता और विचारपरक संभावनाएँ दर्ज़ करना आसान काम नहीं है।


मैं आम तौर पर आर्टिस्ट के तौर पर स्थापित हो चुकी अनुप्रिया की ही बात कर रहा हूँ। पन्द्रह-सोलह साल पहले की बात होगी। जाड़े के दिन थे। रात हो चुकी थी। मैं खाना खा चुका था। मोबाइल घनघनाया।

किसी अपरिचित नंबर से अपरिचित आवाज़ मेरे कानों में पड़ी,‘‘आप मनोहर चमोली बोल रहे हैं न?’’
मैंने हाँ कहा था। आवाज़ से परिचय हुआ। खनकती हुई आवाज़ जिसमें मुझे पटना इलाके का टोन ज़्यादा समझ में आया।

मैंने सुना,‘‘नमस्ते मनोहर जी। मैं अनुप्रिया हूँ। मेरी कविता बालभारती में छपी है। आपके पास बाल भारती आती है। क्या आप मुझे देखकर फोटो भेज सकेंगे?’’


अनुप्रिया की बालकविता और बाल भारती ने मुझे जोड़ा। उसके बाद सोशल मीडिया में अनुप्रिया से जुड़ाव रहा। मुझे याद है तब वह कविताएं लिखती थीं। बाल साहित्य में भी जुड़ी थीं। धीरे-धीरे उनका रेखांकन सामने आने लगा था। आज वाकई! रेखाएँ ही उनका परिचय है। उनके चित्रों में ही अनुप्रिया दिखाई देती हैं।

गाहे-बगाहे हमारी बात हो जाती है। सोशल मीडिया में उनके चित्रों पर टिप्पणियां करता हूँ तो संवाद का सिलसिला जुड़ता रहता है। साल 2020 की बात है। मैंने अनुप्रिया जी से सहयोग चाहा। उन्हें बताया कि 40 बाल कहानियों में कम से कम एक-एक श्याम-श्वेत चित्र बनाना है। कवर पेज भी। कवर पेज रंगीन होगा। अनुप्रिया जी ने कहा था कि बाल साहित्य के लिए कभी चित्र नहीं बनाए।


मैंने कहा था कि कोशिश कीजिएगा। छोटी-छोटी कहानियां हैं। बच्चे ही पहले पाठक होंगे और मुझे लगता है कि आप जो चित्र बनाएंगी, उन्हें पसंद आएंगे। मुझे याद है कि उन्होंने कुछ कहानियाँ पढ़कर चित्र बनाए और मुझे भेजे। मुझे लगा था कि यह काम अच्छा लगेगा। ऐसा हुआ भी। अनुप्रिया जी ने चालीस कहानियाँ पढ़ीं। चित्र बनाए। मुझे भेजे। कुछ चित्रों में संशोधन भी किए। बेहद सरलता से और एकदम सुझावों को समझा और फिर से चित्र बनाए। यह मेरे लिए बड़ी बात रही। श्वेतवर्णा प्रकाशन को भी अनुप्रिया जी के चित्र पसंद आए। यह ज़िक्र मैं इसलिए कर रहा हूँ कि अनुप्रिया जी मेरे उस कहानी संग्रह की पहली पाठक थीं। किताब छपी नहीं थीं और वे मेरी सभी कहानियाँ पढ़ चुकी थीं। यह बड़ी बात है। कवर पेज भी शानदार रहा। खू़ब पसंद किया गया।


अनुप्रिया जी से मुलाक़ात नहीं है पर परिचय है। अपनत्व भरा। जब भी बात होती है तो खू़ब होती है। ऐसा लगता है कि जैसे आमने-सामने हों। बरसों से एक-दूसरे को जानते हों। मेरे परिवार में सब अनुप्रिया को जानते हैं। अनुप्रिया भी अनीता, अनुभव, मृगांक को जानती है। यह सब सोशल मीडिया से और उनके काम से संभव हुआ है।


अनुप्रिया साहित्य,कला और संगीत से भरा व्यक्तित्व है। कहा भी गया है कि जो व्यक्ति साहित्य, कला और संगीत से जुड़ा नहीं है वह पशु के समान है। हम सभी को कलाओं से जुड़े मित्रों, साथियों, परिचितों-अपरिचितों का आभारी होना चाहिए। यह कलाएं ही तो हैं जो हमें आशावादी दृष्टि देती हैं। सोचने-समझने का नज़रिया देती है। इंसान बने रहने और खुद में इंसानियत बचाए रखने की ताकत देती हैं। आप भी मेरी तरह अनुप्रिया जी को जन्मदिन की बधाई दे सकते हैं। इस बहाने मुझे फिर से अपनी किताब का आवरण पृष्ठ और उनके हाथ में मेरी किताब को साझा करने का अवसर मिल गया है। अनुप्रिया के चित्रों को समग्रता में देखें तो उनका पसंदीदा क्षेत्र दर्द आधी दुनिया का है। उनके चित्रों में स्त्री विमर्श, घेरा, स्त्री को लेकर समाज का नज़रिया साफ दिखाई पड़ता है। वह कम रेखांकनों में अधिक बोल देती हैं। अधिक से अधिकता में विचार करने का स्पेस दर्शकों को देती हैं। यह बड़ी बात है।


सरल, सौम्य और हर किसी की मदद को तत्पर अनुप्रिया जी का आने वाला कल उनका है। वह भारत के प्रतिनिधि चित्रकारों में शुमार हों। इस वाक्य को उपहार समझकर धारण करेंगी और इस दिशा में और काम करेंगी। यह आशा है।

अनुप्रिया द्वारा बनाया गया मेरी किताब का आवरण

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By manohar

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