एक शानदार किताब !

कैरेन हेडॉक कृत पुस्तक और पूजा तिवारी द्वारा अनुदित पुस्तक को एनबीटी ने प्रकाशित किया है । 2020 में प्रकाशित इस पुस्तक का दूसरा संस्करण 2021 में आना इसकी लोकप्रियता का संकेत है ।

नेहरू बाल पुस्तकालय के तहत यह चित्रात्मक क़िताब 6.7 करोड़ साल पुराने डायनासोर के बारे में रोचक ढंग से जानकारी देती है ।

अभी – अभी स्कूल जाने वाले बच्चों के रूप में भी पाठक इसे पढ़े ! इसका ध्यान रखा गया है ।

एक उदाहरण –

हड्डी-हड्डी-हड्डी-हड्डी

देखो पत्थर में बदली-बदली

जो मिली थी बालक को

जो तैरा था नदी में

छप-छप छपाक, छप-छप छपाक

जो लिपटी हुई धरती से

उसने धूल को ढँका

उसने लावा को ढँका

उसने कीचड़ को ढँका

उसने रेत को ढँका

उसने ढँकी भारी-भरकम

ट्राइसेराटॉप्स की हड्डियाँ

जो लड़ाई में मरा

शनिवार की रात ।

०००

एक और अन्य उदाहरण –

मिली-मिली, अरे मिली-मिली बालक को हड्डी मिली-मिली

जो तैरा था नदी में

छप-छप छपाक, छप-छप छपाक

जो लिपटी हुई धरती से

उसने धूल को ढँका

उसने लावा को ढँका

उसने कीचड़ को ढँका

उसने रेत को ढँका

उसने ढँकी भारी-भरकम

ट्राइसेराटॉप्स की हड्डियाँ

जो लड़ाई में मरा

शनिवार की रात ।

०००

इन दोनों उदाहरणों से पता लगाया जा सकता है कि बार – बार कुछ शब्दों की आवृत्ति क्यों ज़रूरी है !

इस पुस्तक में रोचक चित्र डायनासोर के बारे में और जानने की ललक बढ़ा देते हैं ।

प्रकाशक ने आज के बच्चों के मूड को जानकर इस किताब का प्रकाशन किया है ।

गंभीर और जिज्ञासु पाठकों के लिए अलग से जानकारियाँ भी किताब में है ।

एक बानगी –

बच्चों ! आज कोई भी डायनासोर जीवित नहीं है। सबसे आखिरी डायनासोर आज से 6.5 करोड़ वर्ष पहले जीवित था। ट्राइसेराटॉप्स 6.5 से 6.7 करोड़ वर्ष पहले जीवित था । हमारा सारा ज्ञान उनके जीवाश्म पर ही आधारित है

जब भी तुम्हें कोई जीवाश्म मिले, तो तुम यह कैसे पता लगाओगे कि यह डायनासोर की हड्डी है और यह कैसे जानोगे कि यह उसके शरीर का कौन-सा अंग है?

कई बार डायनासोर के शरीर का पूरा कंकाल या लगभग सभी हड्डियाँ प्राप्त हुई हैं। और कई बार तो उनकी हड्डियों का ढाँचा ठीक उसी रूप में मिला है जैसे वे जीवित थे। लेकिन कई बार कंकाल का ढाँचा जीवाश्म के रूप में नहीं मिल पाता ।

वैज्ञानिक वर्तमान में जीवित जीवों की हड्डियों का अध्ययन करते हैं। जब

डायनासोर को हड्डियों की उनसे मिलते-जुलते जानवरों की हड्डियों से तुलना

की जाती है, तब डायनासोर कैसे दिखते थे या कैसे रहते थे, आदि के बारे में

जानकारी मिल पाती है। सोचो कि ऐसे कौन-से जानवर हैं जो ट्राइसेराटॉप्स की

तरह दिखाई देते हैं?

• कुछ ट्राइसेराटॉप्स भारत में पाए जाने वाले बड़े-बड़े गैंडों से भी दुगने आकार के थे। अब तक मिले सबसे बड़े ट्राइसेराटॉप्स का कंकाल लगभग नौ मीटर लंबा और 3.5 मीटर ऊँचा है। इसके अनुसार उसकी खोपड़ी लगभग तीन मीटर लंबी रही होगी (जो कि किसी पाँच साल के बच्चे के सिर से पाँच गुना बड़ी हो सकती है) ।

ट्राइसेराटॉप्स के दाँत भोजन को पीसने के मामले में काफी अच्छे थे। पौधों को खाने वाले जानवरों के दाँत इसी तरह के होते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया कि ट्राइसेराटॉप्स शाकाहारी रहे होंगे .

• क्या उनकी आँखों की रोशनी गैंडों की तरह ही कम रही होगी? यद्यपि अब तक कोई ऐसा प्राणी नहीं मिला है जो गैंडों को भी खा सके, लेकिन ट्राइसेराटॉप्स के समय ऐसे बड़े-बड़े डायनासोर अवश्य थे जो मांसभक्षी थे। इसलिए ऐसा अनुमान लगाया गया है कि उनकी आँखों की रोशनी गैंडों से भी ज्यादा थी। शायद जीवित रहने के लिए उन्हें इसकी जरूरत रही होगी ।

. आँखों की अच्छी रोशनी की वजह से वे एक-दूसरे की सींगों और सुंदर बनावट वाली झालरों या झिल्लियों को देखकर आकर्षित होते होंगे। यदि वे एक-दूसरे को देखना पसंद करते होंगे तो इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि वे गैंडों की अपेक्षा अकेले रहना कम पसंद करते होंगे। शायद वे समूह में रहना ही अधिक पसंद करते होंगे ।

गैंडों को रंग नहीं दिखाई पड़ता। असल में, डायनासोर रेंगने वाले जंतुओं और

पक्षियों से अधिक मिलते-जुलते हैं। जो कि सभी रंग देख सकते हैं और अन्य

तीखे रंगों की ओर आकर्षित भी होते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि

ट्राइसेराटॉप्स भी रंगों को देख सकते थे।

• यद्यपि ट्राइसेराटॉप्स के सिर बड़े थे, लेकिन उनके दिमाग अपेक्षाकृत छोटे थे। वैज्ञानिकों ने उनके सिर और खोपड़ी के बारे में अध्ययन कर उनके व्यवहार और क्षमताओं का पता लगाने का प्रयास किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने पता लगाया कि उनके मस्तिष्क का वह भाग जो सूँघने की क्षमता रखता था, अधिक बड़ा और विकसित था। इससे यह पता चलता है कि उनके सूँघने की शक्ति अच्छी थी। अब तक भारत में ट्राइसेराटॉप्स का कोई भी जीवाश्म नहीं मिला है (यद्यपि अन्य प्रकार के डायनासोर मिले हैं)। ट्राइसेराटॉप्स केवल पश्चिमी अमेरिका में ही मिलते हैं। शायद भारत में अभी तक उनकी ठीक से खोज नहीं की गई है।

शायद तुम उन्हें खोज निकालने वाले पहले व्यक्ति बन जाओ।

सोचकर देखो :

1. ट्राइसेराटॉप्स के जीवाश्म तक पहुँचने के लिए नदी को कितनी परतों को पार करना होगा? 2. ट्राइसेराटॉप्स के सिर पर बड़ी हड्डी क्यों है? पाँच अलग-अलग कारण सोचो। 3. तुम्हें क्या लगता है कि टाइरानोसॉरस चार पैरों से चलता रहा होगा या फिर दो पैरों से? सोचो आखिर क्यों ?

4. सोचकर देखो, ट्राइसेराटॉप्स और टाइरानोसॉरस में से कौन अधिक तेज दौड़ पाता होगा? 5. एक बार कुछ लोगों को सड़क बनाने के लिए पहाड़ों को काटना पड़ा। उन्होंने देखा कि पहाड़ अलग-अलग रंगों की धूल और चट्टान की परतों से बना था। उन्हें उन परतों में कुछ जीवाश्म भी मिले। सबसे ऊपर कुछ पीलापन लिए हुए भूरी परत थी, जिसमें पत्तियों के जीवाश्म थे। उसके नीचे गाढ़े भूरे रंग की परत थी, जिसमें मछलियों के जीवाश्म थे। सबसे नीचे कुछ लालिमा लिए हुए भूरी रंग की परत थी, जिसमें पक्षियों के जीवाश्म थे ।

क्या तुम पक्षियों के जीवाश्म से अनुमान लगा सकते हो कि उन दोनों में से कौन पहले जीवित रहा होगा और कौन बाद में? और क्यों? यदि मछलियों के जीवाश्म पहाड़ की सबसे ऊपरी परत में मिलते तो क्या होता? को कहानी में आए क्रम के अनुसार लगाओ :

तो देर किस बात की ! मंगाइए न इस किताब को !

– मनोहर चमोली ‘मनु’

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By manohar

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