जीनत स्कूल से लौटी। नया स्कूल। नई किताबें। नया बैग। आज बहुत सारी नई चीज़ें आईं थीं। नए जूते और नए मोजे भी आए थे। जीनत ने जूते उतारे। फिर मोज़े उतारे। मोज़े उतारकर उसने जूतों में रख दिए। फिर वह हाथ-मुह धोने चली गई।


‘‘उफ ! तुम कितने बदबूदार हो।’’ एक जूते ने मोज़े से कहा। एक मोज़ा बोला-‘‘तुम्हारी तरह हम भी नए हैं। जो कहना है जीनत से कहो। पसीना बदन से आता है। हमें पसीना नहीं आता।’’ दूसरा जूता बोला-‘‘ये हम नहीं जानते। इस वक़्त तो जीनत यहां नहीं है। बदबू तो तुम से ही आ रही है। चलो हटो यहां से।’’ दूसरा मोज़ा बोला-‘‘हमारी मर्जी कहां चलती है। जीनत ही हमें यहां से निकालेगी। धोएगी। सुखाएगी और पहनेगी। चाहो तो तुम अपना नाक बंद कर सकते हो।’’ जूते मुंह फुलाए चुप हो गए। जीनत थोड़ी देर बाद लौटी। उसने मोज़ों को जूतों से बाहर निकाला। धोया और फिर धूप में सूखने के लिए रख दिया। यह देखकर जूते चिढ़ गए।


दिन गुजरते रहे। जूते हमेशा मोज़ों से चिढ़े ही रहते। एक दिन की बात है। जीनत ने मोज़े पहने। पर यह क्या! जीनत के बाँए पैर का अंगूठा मोज़े से बाहर झांक रहा था। यह देखकर जूते मोज़ों पर हंसे। खूब हंसे। बांया पैर का जूता बोला-‘‘अब आएगा मज़ा। अब तुम गए। फटे मोज़े भी भला कोई पहनता है। अब तुम्हें फेंक दिया जाएगा।’’ यह सुनकर मोज़े उदास हो गए। जीनत ने मोज़ों को पैरों से उतारा। सुई-धागे की सहायता से फटा हिस्सा सिल दिया। फिर उन्हें पहन लिया। यह देखकर जूते फिर चिढ़ गए।


एक दिन की बात है। जीनत ने मोज़े पहने। पर यह क्या! जीनत के दाँए पैर का मोज़ा ढीला हो गया। वह उसे घुटने की ओर खींचती लेकिन वह खिसककर एड़ी की ओर चला जाता। जूते हँसने लगे। जीनत ने चोटी से रबर निकाला और उसे मोजे के ऊपर चढ़ा दिया। यह देखकर जूते फिर चिढ़ गए।


दिन गुजरते रहे। एक दिन की बात है। इस बार दोनों मोजे नीचे से फट गए थे। फटे मोज़ों को देखकर जूते खूब हँसे। हँसते रहे। दोनों जूते एक साथ बोले-‘‘अब कैसे बचोगे?’’ जीनत ने मोज़े उतारे। उन पर रुई भरी। एक से बिल्ली बनाई और दूसरे से चूहा। दोनों पुराने मोज़ों का नया रूप घर की अलमारी में सजा था। बिल्ली और चूहा बने पुराने मोज़े हँस रहे थे। जीनत ने अपनी दीदी के मोज़े पहन लिए। फिर जूते पहन लिए। पर यह क्या! जूते तो नीचे से फट चुके थे। जीनत ने जूते उतारे और उन्हें कूड़े के डिब्बे में डाल दिया। जूते सिसक रहे थे। उन्होंने अलमारी की ओर देखा। यह क्या! बिल्ली और चूहा बने मोज़े यह सब देखकर उदास थे।
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-मनोहर चमोली ‘मनु’

NANDAN,April 2019

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