राजकीय इण्टर कॉलेज, कालेश्वर का शैक्षिक भ्रमण: 07 दिसम्बर 2024

राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के अन्तर्गत वर्ष 2024-25 के लिए राजकीय इण्टर कॉलेज, कालेश्वर, विकास खण्ड पौड़ी जनपद पौड़ी गढ़वाल का शैक्षिक भ्रमण दिनांक 07 दिसम्बर 2024 को सम्पन्न हुआ। प्रातः 9 बजे विद्यालयी प्रांगण में शैक्षिक भ्रमण दल को प्रधानाचार्य उत्तम कुमार सिंह ने आवश्यक दिशा-निर्देश एवं हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। शैक्षिक भ्रमण के लिए पौड़ी स्थित गोविंद वल्लभ पंत अभियान्त्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (GBPIET) का चयन किया गया।


वर्तमान वर्ष के लिए माध्यमिक स्तर पर कक्षा 9 से 12 में अध्ययनरत् सभी विद्यार्थियों के लिए एक दिवसीय शैक्षिक भ्रमण प्रस्तावित था। प्रस्ताव में निर्देशित किया गया था कि विद्यार्थियों को आस-पास के उच्च संस्थानों, विज्ञान पार्क, पॉवर प्रोजेक्ट, औद्योगिक क्षेत्रों, ऐतिहासिक स्थलों, विशिष्ट भौगोलिक स्थानों, स्मारकों, प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों, आई०आई०एम०, आई॰आई॰टी॰, तकनीकी एवं मेडिकल कॉलेज, एफ॰आर॰आई॰, आर्डनेन्स फैक्टरी, डी॰आर॰डी॰ओ॰ संस्थान, उच्च तकनीकी कॉलेज, विज्ञान केन्द्र, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, विज्ञान संग्रहालय, वेधशाला आदि का भ्रमण कराया जाए। यह सुझाव वैकल्पिक थे। इन्ही निर्देशों के आलोक में विद्यालय के 25 छात्राएँ एवं 18 छात्रों को इंजीनियरिंग कॉलेज का भ्रमण करने का अवसर मिला। भ्रमण के दौरान और भ्रमणोपरांत छात्र-छात्राओं के मध्य कई चरणों के विचार मंथन एवं उनके द्वारा सूचीबद्ध किए गए बिन्दु एवं विचारो का सार इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।


गोविंद वल्लभ पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रवेशद्वार पर प्रविष्टि करने के उपरांत संस्थान के सुरक्षाकर्मी नवीन कोठारी प्रारम्भ से अंत तक दल के साथ रहे। उन्होंने सबसे पहले परिसर का विहंगम दृश्य दिखाया। तत्पश्चात् वह विद्यार्थियांे को केन्द्रीय पुस्तकालय ले गए। उन्होंने बताया कि इस समय संस्थान में 30,000 से अधिक पुस्तकें हैं। यह पुस्तकें इलैक्ट्रीकल इंजीनियरिंग, इलैक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्यूनिकेशन, कम्प्यूटर साइंस, मैकेनिकल,प्रोडक्शन, सिविल इंजीनियरिंग से सम्बन्धित हैं। पुस्तकालय में बॉयोटेक्नोलॉजी, रसायन, भौतिकी, गणित, प्रबन्धन, अंग्रेज़ी और पर्यावरण से सम्बन्धित विविधताओं से भरी किताबें हैं।


तदुपरांत नवीन कोठारी दल को कम्प्यूटर साइंस विभाग में ले गए। इस विभाग के डॉ॰ वाई॰एस॰ भण्डारी ने विद्यार्थियों को सूचना-तकनीक, कम्प्यूटर विज्ञान और बारहवीं के बाद इस क्षेत्र में किए जाने वाले कोर्सों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि आने वाला समय तकनीकी तौर पर दक्ष युवाओं का ही है। उन्होंने बताया कि संस्थान में कम्प्यूटर प्रयोगशाला में 100 से अधिक कम्प्यूटर आई सेवन प्रोसेसर के हैं। बीस किलोवाट के 3 यूपीएस स्थापित हैं। ऑन लाइन होने वाली परीक्षा में कई प्रतियोगी छात्र इस संस्थान के कम्प्यूटरों का लाभ उठाते हैं।
संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग का भी विद्यार्थियों ने भ्रमण किया। संस्थान के इस विभाग के सुश्री शिवानी ने विद्यार्थियों को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता विषयक शोध और परीक्षणों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने भवन निर्माण तकनीकियों से भी अवगत कराया। ईंटों एवं सरियों की गुणवत्ता विषयक मशीनों की कार्यप्रणाली के बारे में भी शिवानी ने विस्तार से विद्यार्थियों को बताया। उन्होंने इण्टरमीडिएट स्तर पर विज्ञान, गणित, जीवविज्ञान, रसायन एवं भौतिकी विषयों की महत्ता और तकनीकी संस्थानों में उनकी उपयोगिता के विषय में भी बताया।


विद्यार्थियों ने अंग्रेज़ी भाषा प्रयोगशाला का भी भ्रमण किया। प्रयोगशाला के समन्वयक महिपाल बिष्ट ने अंग्रेज़ी भाषा की उपयोगिता और उसके प्रभाव पर विस्तार से बताया। उन्होंने बेसिक्स ऑफ ग्रामर के बारे में भी विद्यार्थियों से बात की ।विद्यार्थियों ने डिपार्टमेन्ट ऑफ एप्लायड साइंस एण्ड ह्यूमिनिटिस विभाग में जाकर कुछ समय बिताया। महिपाल बिष्ट ने बताया कि अंग्रेज़ी भाषा व्यावसायिक संचार और औद्योगिक प्रबंधन में बेहतर समन्वय स्थापित करने हेतु महत्वपूर्ण है। संस्थान में अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी विभाग है। औद्योगिक अर्थशास्त्र और प्रबंधन के सिद्धान्तों, पारस्परिक और समूह की प्रक्रियाओं के साथ सक्रिय संगठनात्मक व्यवहार में दक्ष करने हेतु मूल्यों की शिक्षा भी समाज की आवश्यकता है।


विद्यार्थियों ने संस्थान के महात्मा गांधी सभागार का भ्रमण किया। इसे एम॰जी॰ ऑडोटोरियम कहा जाता है। इस हॉल में एक समय में पाँच सौ से अधिक श्रोता-दर्शक बैठ सकते हैं। यह संगीत, नृत्य एवं थिएटर के लिए शानदार स्थल है। इस सभागार में शैक्षणिक सत्र भी आयोजित होते हैं। व्याख्यान, संगोष्ठियों के लिए एलसीडी प्रोजेक्अर, सफेद स्øीन के साथ अत्याधुनिक विद्युत व्यवस्थाएं सभागार को आकर्षक बनाती है। साल में संस्थान का सालाना सांस्कृतिक कार्यक्रम भी इस सभागार में होता है। सालाना गूँज में देश भर के तकनीकी संस्थानों को भी आमंत्रित किया जाता है। इस सभागार में प्रकाश एवं ध्वनि व्यवस्था आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। यह सभागार विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर देने का बहुपयोगी मंच है। राजकीय इण्टर कॉलेज कालेश्वर की कक्षा ग्यारह की छात्रा ने गढ़वाली गीत पर नृत्य किया। सभागार की जानकारी देने वाले छात्रों में कम्प्यूटर साइंस के राजेश रावत और इलैक्ट्रीकल इंजीनियरिंग के छात्र प्रियांशु थापा का सहयोग सराहनीय रहा।


वापसी पर विद्यार्थियों को खाण्ड्यूँसैण स्थित जिला कारागार पौड़ी का बाहर से परिसर भी दिखाया। जिलाधिकारी पौड़ी आवास की एक झलक भी विद्यार्थियों ने देखी। इसके साथ-साथ पौड़ी का कण्डोलिया मैदान भी दिखाया गया। संस्थान से लौटते हुए मार्ग से ही श्रीनगर स्थिति अलकनंदा की झलक का आनन्द भी विद्यार्थियों ने उठाया।
गोविंद बल्लभ पंत इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पौड़ी गढ़वाल उत्तराखण्ड में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले प्रमुख संस्थानों में एक है। इस संस्थान की स्थापना 1989 में हुई थी। पहले इसका नाम गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज था। तब यह एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापित हुआ था। इस संस्थान का मुख्य मकसद देश के लिए प्रशिक्षित व्यावसायिक युवाओं की मांग को पूरा करने में सहयोग करना था। इस संस्थान का पहला शैक्षणिक सत्र 1991-92 से शुरू हुआ। तब यह हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) से संबद्ध था। शैक्षणिक वर्ष 2006-2007 से, संस्थान उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय, देहरादून से सम्बद्ध हो गया। शैक्षणिक वर्ष 2012-2013 से, संस्थान पूरी तरह से स्वायत्त हो गया है।


यह संस्थान आवासीय सुविधाएं प्रदान करने वाले अग्रणी संस्थानों में एक है। इस संस्थान में बायो टेक्नॉलॉजी, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग), इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, विनिर्माण इंजीनियरिंग और सिविल इंजीनियरिंग विषयों में डिग्री पाठ्यक्रम संचालित हैं। इस संस्थान में कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर्स डिग्री पाठ्यक्रम और डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग, प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और बायो-टेक्नोलॉजी में एम॰ टेक पाठ्यक्रम भी संचालित हो रहे हैं। वर्ष 2013-2014 से संस्थान में डॉक्टरेट पाठ्यक्रम भी संचालित हो गया है।


विद्यालय से एक बस और दो टैक्सियों में विद्यार्थियों ने कालेश्वर-ल्वाली-पौड़ी मार्ग के दोनों ओर बसे गाँवों की जानकारी भी ली। समूचा क्षेत्र जनपद पौड़ी गढ़वाल की गगवाड़स्यूँ पट्टी के अन्तर्गत आता है। विद्यार्थियों ने पौड़ी जाते हुए दाई तरफ पड़ने वाले गाँवों का भी जायज़ा लिया। क्वाली, मंजेरा, बनगांव मल्ला, नगोली, खपरोली, धनाऊ मल्ला, गुमाईं, तमलाग, निनारा, निंग्याना, गगवाडा, बलोडी, बौंसरी का ग्रामीण जीवन समझने का अवसर मिला। वहीं बाईं तरफ पड़ने वाले गाँवों में बनगांव तल्ला, धनाऊ तल्ला, चौकल्या, कुंजेठा, श्याम पुर, पुंडारी, गहड, उज्याडी, नौठियाल गांव, बुडोली, ननकोट और थपलियाल गांव रहे।


संस्थान में उच्च डिग्री प्राप्त करने और उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए संकाय सदस्यों को सभी संभव सुविधाएं प्रदान हैं। पेशेवर शिक्षक नियुक्त हैं। उनका भी समय-समय पर अत्याधुनिक प्रशिक्षण होता रहता है। वर्तमान समय में लगभग एक हजार युवा विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत् हैं। ऐसा बताया गया है।


कैसे पहुँचे?
यह संस्थान पौड़ी-देवप्रयाग मार्ग पर स्थित है। मण्डल मुख्यालय पौड़ी से यह मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देवप्रयाग से घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज मात्र 30 किलोमीटर है। यहाँ पहुँचने के लिए आम साधन बस या टैक्सी ही है। बस सेवाएं भी हैं। राज्य द्वारा संचालित उत्तराखंड रोडवेज, गढ़वाल मोटर ओनर यूनियन (जी.एम.ओ.यू.) लिमिटेड और गढ़वाल मंडल विकास निगम (जी.एम.वी.एन.) लिमिटेड द्वारा बसें संचालित हैं। जी.एम.ओ.यू. लिमिटेड जिले का सबसे बड़ा बस सेवा प्रदाता है। यह जिले के लगभग सभी स्थानों पर सेवाएं प्रदान करता है। जिले के कई शहरों में टैक्सी यूनियन हैं, जो सड़क के लगभग हर हिस्से के लिए सेवाएं प्रदान करती हैं। जिले का एकमात्र रेलवे स्टेशन कोटद्वार में है। यह अंग्रेजों ने 1889 में स्थापित किया था। कोटद्वार से घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जनपद पौड़ी गढ़वाल में अभी कोई नियमित हवाई सेवा नहीं है। घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज का निकटतम हवाई अड्डा जौलीग्रांट, देहरादून है। यह कॉलेज से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।


इस शैक्षिक भ्रमण को लेकर राजकीय इण्टर कॉलेज कालेश्वर के शिक्षकों की राय भी महत्वपूर्ण है।

कॉलेज के प्रधानाचार्य उत्तम कुमार सिंह कहते हैं,‘‘यह विद्यार्थियों में भविष्य की योजना बनाने हेतु एक कदम कहा जा सकता है। नियमित कॉलेज परिसर से इतर इस तरह के भ्रमण नितांत आवश्यक है।’’


‘‘विद्यालय में बच्चे सहपाठियों के साथ अधिकांश समय बिताते हैं। इस तरह के भ्रमण आपसी सौहार्द बढ़ाते हैं। बच्चे आपस में सीखते भी हैं।’’ -शशि चन्द्र नैथानी, प्रवक्ता, भौतिकी


‘‘स्कूल से कहीं बाहर शैक्षिक भ्रमण की यह योजना अच्छी है। विद्यार्थियों को एक अवसर मिलता है जब वह किसी संस्थान, ऐतिहासिक स्थल को टीम के रूप में जाकर देखते हैं।’’ -अमित बिष्ट, प्रवक्ता, अंग्रेज़ी


‘‘सुदूर ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों को ऐसे अवसर बहुत कम मिलते हैं जब वह विद्यालयी परिवार के साथ किसी भ्रमण पर जाते हैं। उद्देश्यपरक यात्रा हमेशा उपयोगी होती है।’’ -रेखा भट्ट, प्रवक्ता, संस्कृत


‘‘इस बार कक्षा नौ से बारह के विद्यार्थियों को एक साथ इस तरह के शैक्षिक भ्रमण पर जाने का अवसर मिला है। विद्यालय के विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग कॉलेज का भ्रमण लाभदायक रहा।’’ -अनुमेहा, प्रवक्ता गणित


‘‘छात्रों को निकट भविष्य में किस क्षेत्र में जाना है। क्या करना है? कोई संस्थान उनके कॉलेज से भिन्न कैसे होता है। यह इस तरह के शैक्षिक भ्रमणों से जानने का मौका मिलता है।’’ -अनुज कुमार नेगी, सहायक अध्यापक, अंग्रेज़ी


‘‘कक्षा-कक्ष की नियमित पढ़ाई के साथ-साथ पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप भी आवश्यक हैं। स्थानीयता के साथ-साथ अपने क्षेत्र से बाहर जाना स्वयं एक अनुपम अनुभव होता है। विद्यार्थियों ने इस भ्रमण का भरपूर आनंद उठाया।’’-पूनम, व्यायाम शिक्षिका


‘‘स्कूल के विद्यार्थियों को शैक्षिक भ्रमण खुद देखने, समझने, जानने का अवसर देता है। घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कॉलेज जाकर विद्यार्थियों को बारहवीं के बाद आगे के अध्ययन के लिए एक जानकारी मिली। वह अपने अनुज छात्रों और भाई-बहनों को भी परामर्श दे सकेंगे।’’-नीलम, कला शिक्षिका


‘‘शैक्षिक भ्रमण सामूहिकता, टीम भावना और सामंजस्य की भावना बढ़ाता है। ग्रामीण विद्यालय के विद्यार्थियों ने राज्य का इंजीनियरिंग कॉलेज देखा। उसकी कार्यप्रणाली देखी। इस तरह के शैक्षिक भ्रमण बारहवीं के बाद उनके लिए भी एक मार्ग दिखाने की कोशिश है।’’ -प्रमोद कुमार नेगी, सहायक अध्यापक, सामान्य

‘‘शैक्षिक भ्रमण बढ़िया आयोजन है। लेकिन यह छठीं से आठवीं के विद्यार्थियों के लिए भी होना चाहिए। ग्यारहवीं-बारहवीं के विद्यार्थी तब तक अपनी ध्येय बना लेते हैं। वैसे, कोई भी भ्रमण निरर्थक नहीं होता। विद्यार्थियों को एक नया नज़रिया मिला है।’’ -मनोहर चमोली, सहायक अध्यापक, हिंदी

शैक्षिक भ्रमण: एक झलक में
दिनांक: 07 दिसम्बर 2024
समय: प्रातः 9 बजे
भ्रमण का आरम्भिक स्थल: रा॰इं॰कॉ॰कालेश्वर
विकास खण्ड: पौड़ी
जनपद: पौड़ी गढ़वाल
भ्रमण स्थल: पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त इंजीनियरिंग कॉलेज,घुड़दौड़ी, पौड़ी
अनुमानित यात्रा किलोमीटर में: 42 कि॰मी॰
मार्गदर्शक शिक्षक: महिला एस्कॉर्ट अध्यापिकाएं-रेखा भट्ट, नीलम, पूनम एवं अनुमेहा
अध्यापक-अमित बिष्ट, प्रमोद सिंह नेगी, अनुज नेगी एवं मनोहर चमोली
लक्ष्यांकित कक्षाएं: 9 से 12
यात्रा पर गए कुल विद्यार्थी:
कक्षा 9
छात्र
1- आयुष पटवाल
2- रौनक पटवाल
3- प्रियांशु
छात्राएँ
1- दीक्षा
2- काजल
3- साक्षी
4- सिमरन
5- शीतल
6- प्राची
॰॰॰
कक्षा 10
छात्र
1- आयुष
2- अंकित
3- गौरव
4- जतिन रावत
5- प्रियांशु
6- सौरभ
7- विराज
छात्राएँ
1- कंचन भंडारी
2- मानसी गुसाईं
3- मानसी पटवाल
4- सलोनी
5- टीना
॰॰॰
कक्षा 11
छात्र
1- शैलेंद्र
छात्राएँ
1- प्राची रावत
2- प्राची भंडारी
3- सलोनी बिष्ट
4- निशा
5- दीक्षा
6- भारती
7- कोमल
8- खुशी
9- वंदना
10- वैष्णवी
11- आयुषी
॰॰॰
कक्षा 12
छात्र
1- नामित
2- पंकज
3- हेमंत
4- सुमीत
5- ऋतिक
6- मयंक नेगी
7- लक्की सिंह
छात्राएँ
1- खुशी रावत
2- दिव्या
3- पायल
॰॰॰
छात्राएँ: 25
छात्र: 18
कुल विद्यार्थी: 43
मार्गदर्शक शिक्षक: 08
शैक्षिक भ्रमण में विद्यालयी संख्या: 51
वाहन संख्या: बस न्ज्ञ04च्। 087
वाहन संख्या: न्ज्ञ 16ज्। 0156
वाहन संख्या:
राजकीय इण्टर कॉलेज कालेश्वर से पौड़ी जाते हुए मार्ग के दोनों ओर के मुख्य ग्रामों की सूची:
दाई तरफ
1-क्वाली
2-मंजेरा
3- बनगांव मल्ला
4- नगोली
5- खपरोली
6- धनाऊ मल्ला
7- गुमाईं
8-तमलाग
9- निनारा
10- निंग्याना
11- गगवाडा
12- बलोड़ी
13- बौंसरी
बाईं तरफ
1- बनगांव तल्ला
2- धनाऊ तल्ला
3- चौकल्या
4- कुंजेठा
5- श्यामपुर
6- पुंडारी
7- गहड़
8-उज्याड़ी
9- नौठियाल गांव
10-बुडोली
11-ननकोट
12- थपलियाल गांव

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परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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