‘पिता के बहाने’
आज पिताजी नहीं हैं। 15 नवम्बर 2019...! आज ही के दिन पिताजी रात दस बजे इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। पिताजी तीन बार श्वास का सदमा झेल चुके…
आज पिताजी नहीं हैं। 15 नवम्बर 2019...! आज ही के दिन पिताजी रात दस बजे इस दुनिया को अलविदा कह चुके थे। पिताजी तीन बार श्वास का सदमा झेल चुके…
-मनोहर चमोली ‘मनु’ बात उन दिनों की है जब धूप को बुलाना पड़ता था। जो बुलाता, धूप वहीं चली आती। इस भाग-दौड़ में वह थक जाती। मौका मिलता तो वह…
वाहवाही का बालसाहित्य, जनसत्ता
‘दिल्ली चलो।’ यह समाचार जिसने सुना, वह चल पड़ा था। पंजाब राज्य ने पूछा-‘‘आप कौन?’’ तमिलनाडु ने जवाब दिया-‘‘मुझे तमिलनाडु कहते हैं। भरत नाट्यम मेरे यहां फलता-फूलता है।’’ पंजाब ने…
मम्मी मेरा ब्याह करा देछोटी सी दुलहनियां ला देअंगुली पर मैं उसे नचाऊँबात न माने मार लगाऊँघोड़ी पर मुझको बिठला देमम्मी मेरा ब्याह करा देमाँ तुझको आराम कराऊँहाथ पैर तेरे…
-मनोहर चमोली ‘मनु’‘‘हम कब बाहर जाएँगे?’’ नन्हीं चींटी ने माँ से पूछा। माँ ने जवाब दिया, ‘‘अभी नहीं।’’ चींटा बोला,‘‘बच्चों, बाहर की दुनिया ही अलग है। बहुत बड़ी है। वहाँ…
Manohar Chamoli 'manu'
-मनोहर चमोली ‘मनु’,पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखण्डपूडि़यों की गठरी सुनकर मुंह में पानी तो नहीं आ गया? वैसे पूडी हो या गोल गप्पे या आम की चटनी ! बहुत से बच्चों को ये…
बाल साहित्य से शिक्षण कार्य हो सकता है। यह भाषा का शिक्षक तो जानता भी है और अक्सर वह अपने वादन में पाठ्य पुस्तक से इतर के बाल साहित्य की…
पिछले बारह दशक में हिन्दी बाल साहित्य के इतिहास की कई उपलिब्धयां रही हैं। आज दर्जनों बाल पत्रिकाएं बाजार में उपलब्ध हैं। सैकड़ों बाल साहित्यकार बाल साहित्य लिख रहे हैं।…