कोई शब्द बुरा कैसे हो सकता है: कविता के बहाने

आम की टोकरी‘छह साल की छोकरी,भरकर लाई टोकरी।टोकरी में आम हैं,नहीं बताती दाम है।दिखा-दिखाकर टोकरी,हमें बुलाती छोकरी।हम को देती आम है,नहीं बुलाती नाम है।नाम नहीं अब पूछना,हमें आम है चूसना।यह…

माँ गंगा पर केंन्द्रित है धाद का ग्यारहवाँ अंक

-मनोहर चमोली ‘मनु’साहित्य और संस्कृति की मासिक पत्रिका धाद का ग्यारहवाँ अंक बुक स्टॉल पर मिला। अपनी प्रति की प्राप्ति का धैर्य न रख सका। खरीदकर सबसे पहला काम यह…

Publication

ऐसे बदली नाक की नथ: 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्लीऐसे बदला खानपुर: 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशक: राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून।सवाल दस रुपए का…

तुम्हारा आना और जाना

तुम्हारा आनाजैसे महकती हवाचमकती सुबहफूल का खिलनाचिडि़या का चहकना तुम्हारा जानापत्तों का गिरनाशाम का ढलनामन उदास होनानदी का मौन बहना अब जब भी आनाजाने के लिए मत आना।

पाठक, लेखक और संपादक सबके दायित्व गूँथे हुए हैं

-मनोहर चमोली ‘मनु’सूचना तकनीक के इस युग में भी पत्र-पत्रिकाओं की बाढ़-सी आई हुई हैं। मेरी सीमित जानकारी में ही चालीस से अधिक ऐसी पत्रिकाएँ हैं जो बच्चों के लिए…