-मनोहर चमोली ‘मनु’,पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखण्ड
पूडि़यों की गठरी सुनकर मुंह में पानी तो नहीं आ गया? वैसे पूडी हो या गोल गप्पे या आम की चटनी ! बहुत से बच्चों को ये सब पसंद हैं। आपको? तो यह किताब स्कूल जाने वाले उन बच्चों के लिए अधिक ज़रूरी है जो कक्षा छह से दस में पढ़ते हैं। उनके लिए भी है जो यह जानना-समझना चाहते हैं कि स्कूल में सहपाठियों की दुनिया में क्या-क्या अजब-गजब की बातें होती हैं। पुष्पा और राधा सहपाठी हैं। पुष्पा को शर्त लगाना अच्छा होता है। स्कूल की खराब बस पर वह राधा से शर्त लगाती है। उसे लगता है कि बस चल नहीं सकेगी। चलेगी तो खराब हो जाएगी। राधा कहती है बस है तो चलेगी। फिर मजेदार बातें होती हैं। बस चलती है कि नहीं? पूडि़यों की गठरी का मतलब क्या है? शर्त में हार-जीत पर किसे क्या मिलता है?

इसके लिए यह किताब पढ़नी होगी। कहानी तो मजेदार है ही लेकिन इस कहानी में स्कूल से जुड़ी कई बातें हैं। किताब पढ़ते हुए आपको भी लगेगा कि इस कहानी में आपके सहपाठी कैसे शामिल हो गए ! किताब में बत्तीस पेज हैं। बारह से अधिक चित्र सीमा जबीं हुसैन ने आपके लिए खास तौर से तैयार किए हैं। यह चित्र कहानी के पात्रों में जान डाल देते हैं। यह किताब स्कूल,बच्चे ओर शिक्षा के जानकार कृष्ण कुमार ने तैयार की है।


किताब: पूडि़यों की गठरी
मूल्य: 70 रुपए
प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
पुस्तक मंगाने का पता: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत,नेहरू भवन, 5 इंस्टीट्यूशनल ऐरिया, फेज 2, वसंत कुंज, नई दिल्ली 110070
वेबसाइट : www.nbtindia.gov.in

-मनोहर चमोली ‘मनु’,पौड़ी गढ़वाल,उत्तराखण्ड

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By manohar

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