सलमा आज कुछ गमले ले आईं। नाहिदा ने पूछा,‘‘अम्मी। ये गमलें किस काम आएंगे?’’
सलमा ने जवाब दिया,‘‘फूलों की पौध लगा रही हूँ। देखती रहो।’’
सलमा ने गमलों में फूलों के पौधे लगाए। नाहिदा पूछने लगी-‘‘अब क्या होगा?’’
अम्मी ने जवाब दिया-‘‘अब ये पौधे बड़े होंगे। फिर फूल आएंगे।’’
‘‘फिर?’’
‘‘फिर फूलों से खुशबू आएगी।’’
‘‘फिर?’’
‘‘फिर रंग-बिरंगी तितलियां आएंगी।’’
‘‘रंग-बिरंगी? मतलब?’’
सलमा ने हंसते हुए जवाब दिया-‘‘रंग-बिरंगी यानि कलरफुल। वाईट, ब्लैक, गोल्डन, येलो, रेड, सिल्वर, ग्रीन, ब्लू और स्काई ब्लू कलर के पंखों वाली खूब सारी तितलियां आएंगी। वो फूलों में मंडराएंगी। फूलों का रस चूसेंगी। आप उनसे दोस्ती करना।’’
नाहिदा भी हंसने लगी-‘‘हां। बड़ा मजा आएगा।’’
अब तो सलमा के साथ नाहिदा भी गमलों की देखभाल करने लगी। पौधों को बड़ा होता हुआ देखने लगी। वह हर रोज पूछती-‘‘अम्मी, फूल कब आएंगे?’’ जवाब मिलता-‘‘बस कलियां खिलने ही वाली हैं।’’
फिर एक दिन ऐसा भी आया कि नन्हीं कलियां खिलने लगीं। पौधों पर रंग-बिरंगे फूल खिलने लगे। कुछ ही दिनों में फूलों पर तितलियां भी मंडराने लगीं। नाहिदा जैसे ही तितलियों के पास जाती, वह उड़ जातीं। नाहिदा उदास हो जाती। रात को सोने से पहले नाहिदा ने कहा-‘‘अम्मी। कल तो मैं एक तितली को पकड़ ही लूंगी।’’
सलमा ने समझाया-‘‘नहीं। तितलियों को पकड़ना नहीं चाहिए। उनके कोमल पंख टूट जाते हैं। फिर वह कैसे उडे़ंगी?’’ नाहिदा तितलियों के बारे में सोचते-सोचते सो गई।
नाहिदा आँगन में खेल रही थी। उसकी नज़र फूलों पर मँडरा रही एक तितली पर पड़ी। सुनहरे पंखों वाली तितली को देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे तितली के पँखों में इन्द्रधनुष उतर आया हो। नाहिदा दबे पाँव तितली की ओर बढ़ी। तितली रस चूसने में मगन थी। नाहिदा ने तितली के दोनों पँखों को पकड़ ही लिया।
तितली ने नाहिदा से कहा-‘‘मुझे क्यांे पकड़ा? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? अगर मेरे पँख टूट गए तो मैं उड़ नहीं पाऊँगी। मुझे छोड़ दो। नहीं तो मैं मर जाऊँगी।’’
यह सुनते ही नाहिदा ने तितली को छोड़ दिया। तितली भागी नहीं। वह नाहिदा के कंधे में बैठ गई। उसने नाहिदा से कहा-‘‘तुम अच्छी हो। तुमने मुझे छोड़ दिया। अब मैं हर रोज तुम्हारे यहां आऊँगी। फिर हम दोनों खेला करेंगे। अच्छा। अब मैं चलती हूँ।’’ यह कहकर तितली नाहिदा की आँखों से ओझल हो गई। तितली हर रोज आने लगी। तितली और नाहिदा बहुत देर तक खेलते रहते। अब तितली सुबह-सुबह जरूर आती।
नाहिदा ने तितली से कहा-‘‘कल संडे हैं। मेरी छुट्टी है। कल जल्दी आना।’’
सुबह हुई। तितली आ गई। दोनों बहुत देर तक खेलते रहे। एक सप्ताह गुजर गया। फिर रविवार आया। रविवार को तितली और नाहिदा बहुत देर तक खेलते रहे। फिर सोमवार आया। दोपहर तक भी तितली नहीं आई। शाम हो चुकी थी। नाहिदा कई बार आँगन में आई। मगर तितली नहीं आई। मंगलवार आ गया। नाहिदा ने तितली को देखा तो वो दौड़कर तितली के पास गई।
नाहिदा ने कहा-‘‘कल मैंने तुम्हें कहाँ-कहाँ नहीं खोजा। कल कहाँ चली गई थीं? अब हर रोज़ आना।’’
तितली ने मुस्कराते हुए कहा-‘‘अब मेरा इन्तजार मत करना। मैं कुछ ही दिनों की मेहमान हूँ ’’
नाहिदा समझ नहीं पाई। बोली-‘‘मैं कुछ नहीं जानती। तुम रविवार को सुबह ही आओगी और शाम तक मेरे साथ खेलोगी।’’
तितली नाहिदा के हाथ के अँगूठे में जाकर बैठ गई। उसने नाहिदा से कहा-‘‘मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ। मेरे पँख कमजोर हो गए हैं। रविवार तो बहुत दिनों बाद आएगा। तब तक में जीवित नहीं रहूँगी।’’
नाहिदा चैंकी। उसने हैरानी से पूछा-‘‘लेकिन तुम तो अभी बहुत छोटी हो। मुझसे भी छोटी।’’
तितली ने हँसते हुए कहा-‘‘इस दुनिया का प्रत्येक जीव केवल कुछ निश्चित समय तक ही जीवित रह सकता है। आयु का आकार से कोई सम्बन्ध नहीं है। अब देखो न। कौआ और तोता एक जैसे पक्षी हैं। मगर कौए की उम्र पन्द्रह साल है और तोता अस्सी साल तक भी जीवित रह सकता है। आम के पेड़ और पीपल के पेड़ का जीवन भी अलग-अलग है। पीपल के पेड़ की आयु आम के पेड़ से कई गुना अधिक होती है।’’
नाहिदा उदास हो गई। उसने पूछा-‘‘तुम्हारा जीवन कितना है?’’ तितली ने बताया-‘‘एक से दो सप्ताह।’’
‘‘बस! ये तो बहुत ही कम है।’’ नाहिदा ने चैंकते हुए कहा।
तितली ने नाहिदा से कहा-‘‘जीवन की अवधि कुछ भी हो, मगर हर जीव की मौत निश्चित है। हर किसी को मरने से पहले कुछ ऐसे काम करने चाहिए, जिससे जीवन जीने का अर्थ पूरा हो सके। हम तितलियाँ अपने छोटे से जीवन को भी बड़े आनन्द से जीती हैं। हम अपने बच्चों को जिम्मेदारियाँ देकर ही इस दुनिया से विदा लेती हैं।’’
‘‘जिम्मेदारी! आप तितलियों भी कोई जिम्मेदारी है?’’
‘‘है न! हम फूलों के परागकण फैलाते हैं। फूलों के परागकण हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं। जिन्हें हम इस धरती पर यहाँ-से वहाँ ले जाते हैं। हम जंगल बनाते हैं।’’ नाहिदा चुपचाप तितली की बात सुन रही थी।
तितली ने लंबी सांस लेते हुए कहा,‘‘तुम्हारा साथ मुझे बहुत अच्छा लगा। बस तुम भी अपने जीवन में मुस्कराते रहना। अच्छे काम करना। कैसी भी परिस्थितियाँ हों, हिम्मत से काम लेना। निराश न होना। अच्छा। अब अलविदा!’’
यह कहकर तितली उड़ गई।
नाहिदा तितली को उड़ता हुआ देख रही थी। वह बोली-‘‘मैं भी तुम्हारी तरह मुस्कराती रहूँगी। मैं तितली की तरह मुस्कराती रहूंगी।’’
सलमा ने नाहिदा को हिलाया। उसे जगाते हुए कहा-‘‘मेरी तितली रानी। मुस्कराने के लिए पहले नींद से जगना तो होगा।’’ नाहिदा ने आंखें खोली तो सामने अम्मी को मुस्कराते देख वह भी मुस्कराने लगी।
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-मनोहर चमोली ‘मनु’

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परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

2 thoughts on “मुस्कराना हमेशा”
  1. जीवन का संदेश देती खूबसूरत कहानी

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