रक्षिता दौड़ते हुए कुसुम से लिपट गई। बोली,‘‘ममा। आज स्कूल के प्रोग्राम फाइनल हो गए हैं। मेरा भी सलेक्शन हुआ है। पता है, हमारी क्लास का एक ही प्रोग्राम सलेक्ट हुआ है। होली के अवसर पर ब्राइट स्टार स्कूल फेस्टीवल होगा। बड़ा मज़ा आएगा।’’
कुसुम ने रक्षिता के गालों को पकड़ते हुए हिलाया। फिर हंसते हुए कहा-‘‘बहुत बढ़िया। लेकिन अभी तो डेढ़ महीना है।’’ रक्षिता को अभी अपनी खूब सारी बातें बतानी थीं। वह बोली-‘‘ममा, कुल दस प्रोग्राम हैं। आज से प्रैक्टिस भी शुरू हो गई है। अब छुट्टी होने से पहले हर रोज एक घण्टा प्रैक्टिस होगी। पता है डबल होमवर्क मिलेगा। मस्ती के साथ पढाई भी होगी।’’ यह कहकर रक्षिता ने कपड़े बदले। फिर वह मुंह-हाथ धोकर होमवर्क में जुट गई।
एक महीना बीत गया। फिर एक दिन स्कूल से आते ही रक्षिता ने कहा-‘‘ममा। फाइनल प्रैक्टिस हो गई है। हम चार परियां बनेंगी और चार बनेंगे राजकुमार। क्लास टीचर ने कहा है कि परियां सफेद कपड़े लाएंगी। सफेद जूते। सफेद चुनरी। सफेद मुकुट तो चमचमाता हुआ होना चाहिए। और हां एक सफेद छड़ी।’’
कुसुम ने सुना तो उसका दिल बैठ गया। दस घरों में काम करने के बावजूद भी महीने के आखिर में दिक्कत होने लगती है। महीने भर का गुजारा भी ठीक से नहीं होता। पड़ोसी एंथोनी डिया चर्च जाने से पहले अपना बेबी कुसुम के हाथों सौंप देते हैं। चार घंटे की देखभाल के बदले में हर माह वह दो हजार रुपए की मदद करते हैं। इस तरह मकान किराया, स्कूल फीस, रोटी-कपड़ा, दूध-राशन का खर्च बड़ी मुश्किल से निकलता है। दीवाली से पहले ही वह उनसे दो महीने का एडवांस लेकर काम चला रही थी। अब ये एक और खर्च आ गया। इस सोच को झटकते हुए कुसुम ने कहा-‘‘चिंता की बात नहीं। इस संडे बाजार चलेंगे। सारा सामान ले आएंगे।’’
दूसरे ही दिन कुसुम ने एंथोनी डिया को सब कुछ विस्तार से बता दिया। एंथोनी डिया ने कहा,‘‘कोई बात नहीं। बच्ची का मन नहीं टूटना चाहिए।’’
रविवार आया तो कुसुम रक्षिता को बाजार ले गई। स्कूल से मिली लिस्ट के अनुसार सब कुछ खरीद लिया गया। रक्षिता ने घर आकर परी के कपड़े पहनकर देख लिए। कुसुम ने रक्षिता का माथा चूम लिया-‘‘वाह! बिल्कुल परी लग रही हो।’’
रक्षिता आंखें मटकाती हुई बोली-‘‘ममा। मैंने डांस में खूब मेहनत की है। आप मेरा डांस देखने जरूर आना।’’ उस दिन एंथोनी डिया के बेबी की देखभाल कौन करेगा। दस घरों की मालकिनें एक दिन का रुपया काट लेंगी। कुसुम यही सोच रही थी। लंबी सांस लेते हुए बोली-‘‘कौन मां होगी जो अपनी बेटी का प्रोग्राम देखने नहीं आएगी। मैं जरूर आऊंगी।’’
होली से एक दिन पहले स्कूल में प्रोग्राम तय हो गया। रक्षिता सुबह पांच बजे ही उठ गई। एक बार शीशे के सामने वह रिहर्सल करने के बाद ही स्कूल के लिए तैयार हो गई। जाते हुए कहने लगी-‘‘ममा। ठीक दस बजे आ जाना। देर से मत होना।’’ कुसुम हंसते हुए बोली-‘‘चिंता मत करो। मैं पांच मिनट पहले आ जाऊंगी।’’
कुसुम ने एक दिन पहले ही हर घर में एक दिन की छुट्टी के बारे में बता दिया था। एंथोनी डिया ने हंसते हुए कहा था-‘‘कोई बात नहीं। चर्च की सिस्टर बेबी को देख लेगी। स्कूल के प्रिंसिपल मेरे दोस्त हैं। शायद मैं भी आऊं। जरूर जाओ। बच्चों का हौसला बढ़ाने का एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहिए।’’
कुसुम ठीक समय पर स्कूल पहुंच गई। प्रोग्राम शुरू हो गया। प्रिंसिपल अपने स्कूल की उपलब्धियां गिना रहे थे। फिर बच्चों के कार्यक्रम शुरू हो गए। एक से बढ़कर एक प्रस्तुति मंच पर आती रही। तालियों की गड़गड़ाहट से दर्शक हर प्रोग्राम का स्वागत कर रहे थे। घोषणा हुई-‘अब आखिरी प्रस्तुति परियों के देश से होगी।’ कुसुम की आंखें तो मंच पर अपनी रक्षिता को खोज रही थी।
अचानक उसे ध्यान आया कि रक्षिता तो कह रही थी कि चार परियां बनेंगी। लेकिन मंच पर तो तीन परियां ही हैं। राजकुमार भी तीन ही हैं। कुसुम किनारे से होते हुए मंच के पीछे वाले हिस्से में जा पहुंची। मंच के बांयी ओर पीछे एक छोटा सा कमरा था। कुसुम को देखते ही रक्षिता सिसकते हुए कहने लगी-‘‘ममा। एक राजकुमार बनने वाला लड़का नहीं आया। इसलिए एक परी भी कम कर दी गई। मेरे कपड़े पहनकर दीया डांस कर रही है।’’
कुसुम की आंखें भर आईं। गला रुंध गया। वह कुछ न कह सकी। डांस टीचर कहने लगी-‘‘डांस फोर पेयर्स में था। एक स्टूडेंट नहीं आया। सारा कंबीनेशन खराब हो गया। मंच पर अब तीन पेयर्स ही डांस कर रहे हैं। दीया के कपड़े बहुत बड़े थे तो हमने रक्षिता के कपड़े उसे पहना दिए।’’

आपने जो किया। बहुत अच्छा किया। बच्चों की आंखों में आंसू न आएँ। ये बात भला सब थोड़े न सोचते हैं। कुसुम यह कहना चाहती थी, लेकिन कह नहीं पाई।
घर आकर कुसुम ने रक्षिता से कहा-‘‘रोते नहीं। क्या पता बिलाल की तबियत खराब हो गई हो। हो सकता है उसकी ममा बीमार हो।’’ रक्षिता रोते-रोते चुप हो गई। कहने लगी-‘‘कल संडे है। बिलाल के घर चलेंगे।’’ दोपहर दो बजे बाद वे दोनों बिलाल के घर का पता पूछते-पूछते धोबीघाट जा पहुंचे। दीया रास्ते में मिल गई। रक्षिता को ड्रैस लौटाते हुए वह बोली-‘‘रक्षिता, अच्छा हुआ तुम यहीं मिल गई। ये लो। तुम्हारे परी वाले कपड़े। मेरी फोटो भी बहुत अच्छी आईं हैं। कल स्कूल में दिखाऊंगी।’’ रक्षिता ने अपने कपड़े चुपचाप ले लिए। कपड़े लेकर वह बिलाल के घर की ओर बढ़ गए। वे दोनों घोबीघाट की झुग्गियों में आ गए थे। बिलाल मिल गया। बिलाल की मां शबीना बीमार थी। होटल की सफेद चादरें धोने-सुखाने का काम पड़ोसियों ने किया था। अब उन चादरों को बिलाल समेट रहा था। बिलाल उन्हें अपने घर में ले आया। कोने में राजकुमार वाली ड्रैस पाॅलीथीन में पैक की हुई रखी हुई थी।
शबीना बोली-‘‘मैं बड़ी जतन से बिलाल के लिए ये कपड़े लाई थी। मैं ही जानती हूं कि इसका बंदोबस्त मैंने कैसे किया था। दुख इस बात का है कि बिलाल इसे पहन नहीं पाया। मेरी तबियत की वजह से वह स्कूल भी न जा पाया।’’
बिलाल की दीदी रुखसार चाय बनाकर लाई तो कुसुम और शबीना बातें करने लगे। कुछ देर बाद अचानक कुसुम को ध्यान आया-‘‘ये रक्षिता कहां चली गई?’’ कुसुम बाहर की ओर दौड़ी। बाहर देखा तो कुछ ही दूरी पर झुग्गी-झोपड़ी के बच्चे बिलाल और रक्षिता को घेर कर खड़े हैं। कुसुम के पीछे-पीछे शबीना भी चली आई। इससे पहले कि कुसुम कुछ कहती, बिलाल और रक्षिता का डांस शुरू हो चुका था। दर्शकों का घेरा तोड़कर कुसुम ने देखा कि वे दोनों राजकुमार और परी बनकर किसी गाने पर डांस कर रहे थे। रुखसार की सहेली गुरप्रीता के हाथ में एक मोबाइल था। मोबाइल में वही गाना बज रहा था, जो स्कूल प्रोग्राम में उसने सुना था। बड़े-बूढ़े भी बच्चों की भीड़ देखकर जुटने लगे। डांस जैसे ही खत्म हुआ, तालियों के बीच कोई चिल्लाया-‘‘एक बार और…’’ रुखसार ने गाना रिपीट किया तो बिलाल और रक्षिता फिर से थिरकने लगे।
तभी धूल उड़ाती हुई एक स्कूल बस वहां आकर रुकी। बस ब्राइट स्टार स्कूल की थी। बस से एंथोलीन डिया और स्कूल प्रिंसिपल बाहर आए। वह भी सारा नज़ारा देख कर खुश हुए। गाना खत्म होने से पहले ही झुग्गी-झोपड़ी के दर्शकों ने हवा में नोट उछालने शुरू कर दिए। एंथोलीन डिया ने कुसुम से कहा-‘‘ब्राइट स्टार स्कूल का प्रोग्राम देखने मैं भी गया था। मंच पर रक्षिता को न देखकर मुझे भी हैरानी हुई। समापन के बाद मैंने प्रिंसिपल से बात की। देखो। ये माफी मांगने के साथ-साथ ये भी कहने आए हैं कि कल ही प्रातःकालीन सभा में सभी प्रोग्राम दोबारा होंगे। पड़ोसी स्कूलों के बच्चे और स्टाॅफ भी प्रोग्राम देखने आएंगे। स्कूल फंड से सभी को इनाम भी मिलेगा।’’ प्रिंसिपल ने कहा-‘‘मैंने पूरी रिकार्डिंग कल ही देख ली थी। लेकिन बिलाल और रक्षिता का यह प्रोग्राम तो उसमें भी नहीं है। मैं चाहूंगा कि इन दोनों का ये स्पेशल प्रोग्राम भी सब देंखे। एक बात और इस बस्ती के बच्चे पेरेंट्स सहित प्रोग्राम देखने आएंगे तो मुझे अच्छा लगेगा। हम पूरी कोशिश करेंगे कि अब किसी भी बच्चे का मन न टूटे।’’ सब हां में सिर हिला रहे थे। कोई मना क्यों करता। कुसुम और शबीना की आंखें भर आईं। गला रुंध गया। वह क्या कहते। वहीं सारी बातों से बेख़बर बिलाल और रक्षिता तो दर्शकों के बीच में झूम रहे थे।

***-मनोहर चमोली ‘मनु’

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परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

6 thoughts on “न टूटे मन”
  1. वाहहह बहुत ही अच्छा। बच्चों का मन बहुत कोमल होता है ।और हम बड़े तो इस बात का अनुमान भी नहीं लगा सकते कि बच्चों की सोच कितनी दूर तक जाती है। बहुत सोचने को प्रेरित कर देती है ये कहानी बहुत ही बड़प्पन से मासूम बच्चे अपना दर्द छिपा लेते हैं। हमें अपनी क्षमता व प्रयास से इतनी कोशिश तो जरूर करनी चाहिए मन से न टूट जाये ये नन्हें, मासूम। फूलों से भी नाज़ुक ये
    बालमन।बिखर गये तो बड़े होंगे पूर्वाग्रह और हीनग्रंथि के साथ

    1. जी आपकी टिप्पणी हौसला बढ़ाती है। सकारात्मकता के साथ आगे सुझावात्मक टिप्पणियों की आवश्यकता रहेगी आपसे। सादर,

  2. इतनी अच्छी भावाभिव्यक्ति।बच्चों के भावों को अच्छे से समझकर उन्हे अवसर देना ही इस कहानी का उद्देश्य है और लेखक अपने उद्देश्य में सफल रहे हैं।

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