बच्चों का दुमहिया ‘साइकिल ’ फरवरी-मार्च 2023 के अंक में उदयन वाजपेयी, असगर वजाहत, विमला चित्रा, तापोशी घोषाल, सोपान जोशी, एलन शाॅ, प्रभात, देबब्रत घोष, मयंक टण्डन, सबा खान, प्रशान्त सोनी, फ़रह अज़ीज़, ऋषि साहनी, विनोद पदरज, कविता सिंह काले, मो.अरशद खान, दीपा, जसिन्ता केरकेट्टा, प्रिया कुरियन, निधि गौड़, मो. साजिद खान, राजीव आइप, सोनिका कौशिक, शिवम चैधरी, विपुल कीर्ति शर्मा, श्रुति हेमाणी, मोहित कटारिया, नेहा बहुगुणा, विमल चित्रा, सुभाष बेजावाड़ा, मंजरी चक्रवर्ती, राधावल्लभ त्रिपाठी, प्रोइति राॅय, यूतिका राजपूत, अशोक भौमिक, वैशाली नाईक, वसुन्धरा अरोरा, भार्गव कुलकर्णी की रचनाओं और इलस्ट्रेशनों की जुगलबंदी है। अड़सठ पृष्ठों की साइकिल में पता ही नहीं चलता कि रचना में चित्र है या चित्र में रचना है। साइकिल में ट्रिन-ट्रिनाती रचनाओं में अपनी भी हिस्सेदारी है-पानी का ताला

कम ही होता जब माँ उदास होती है। होती है तो पता चल जाता है कि क्या हुआ होगा। वो चाहती है कि घर पर कोई न कोई हमेशा रहे। घर पर ताला न पड़े। कभी-कभी घर को अकेला छोड़कर जाना पड़ता है। तब माँ जाते-जाते बार-बार मुड़-मुड़ कर घर को निहारती जाती है। कहती है,‘‘घर पिता के समान होता है।’’

कहती है,‘‘घर पिता के समान होता है।’’

‘‘घर माँ के समान क्यों नहीं होता?’’ मैंने एक बार पूछा था।
माँ ने जवाब दिया था,‘‘घर माँ से बड़ा थोड़े हो सकता है?

‘‘घर माँ के समान क्यों नहीं होता?’’ मैंने एक बार पूछा था। माँ ने जवाब दिया था,‘‘घर माँ से बड़ा थोड़े हो सकता है?’’ मैं इस जवाब का मतलब समझता था। वैसे सपरिवार कहीं जाना सबसे कठिन है। जब सपरिवार कहीं जाते हैं तब माँ तेज कदमों से आगे-आगे चल देती है। घर लौटते हैं तो माँ सबसे पीछे रह जाती है।

आपा-धापी या लापरवाही में कभी न कभी एक चूक हो ही जाती है। चूक हुई और चुप्पी घर में आ जाती है। तब उसे जाने में वक्त लगता है। चुप्पी के पसरने से पहले माँ सबको बुलाती है। बिठाती है। फिर कहती है,‘‘दरवाज़ा बंद करना काफी है। कुंडी ही लगा दो। घर आ गए हो तो कुंडी पर ताला मत छोड़ा करो। चाबी ताले में लगी रहने दो।’’

माँ की उदासी शायद चुप्पी की बहन है। चुप्पी और उदासी की बातें माँ सुनती है। तभी तो वह मौन हो जाती है। उनकी बातों में खो जाती हैं। क्या-क्या बातें होती हैं। मुझे नहीं पता। हाँ। इतना पता है कि माँ की उदासी से मिलने चुप्पी कहाँ से आती है। वह लोहारी गाँव से आती है।


हमारा लोहारी गाँव धीरे-धीरे खाली हो रहा था। उसे लगभग नहीं, पूरा का पूरा खाली होना था। कोठार खाली कर दिए गए थे। गोट थे लेकिन उनके किल्लों से जूड़े उतार लिए गए थे। खेतों में उग रही शाक-भाजी तक काट ली गई थी। गाय-भैंस और बकरियाँ बेच दी गई थीं। आलों-छज्जों को भी खाली कर दिया गया था। अब वहाँ बीजों की पोटिलियाँ, कुटली, दराँती भी नहीं थीं।

मैंने पूछा था,‘‘माँ। इन सेंटुलियों, घुघुतियों और घेण्डुलियों को कौन ले जाएगा? इनके घोंसलों का क्या होगा?’’ माँ का गला भर आया था। वह मुश्किल से बोल पाई थी,‘‘हमारी धौली का क्या होगा? इसे भी ढँगार से इन दिनों ही गिरना था।’’
मुझे भूल जाने वाली बात याद आ गई। झट से बोल पड़ा था,‘‘माँ। चलने से पहले धौली का दूध भी तो निकालना है। भूलना मत।’’ यह सुनकर माँ रोने लगी। जैसे खेत का पुश्ता भरभराकर गिर गया हो। पिताजी ने मुझे बहुत डाँटा। कहा,‘‘दो मिनट में दादाजी के हुक्के की चिमनी खोजकर ला। अभी के अभी।’’

मैंने पहली बार कुछ नया देखा था। ढालूदार जगहों से पानी ऊँचाई वाली जगहों पर चढ़ रहा था। पानी धीरे-धीरे बढ़ने लगा था।
‘‘अब चलो।’’ पिताजी ने कहा था।
माँ एक-एक कर खिड़की-दरवाजे बंद कर रही थी। माँ ने दरवाजे पर ताला जड़ दिया। पिताजी बोले,‘‘ताला क्यों लगा रही हो?’’
माँ ने सिसकते हुए जवाब दिया,‘‘ताकि घर में पानी न भरे।’’ मैं नहीं पूछ पाया कि ताला लगाने से क्या होगा। अब जब पूरा गाँव पानी में डूबने वाला है। गाँव डूबोकर बिजली कैसे बनेगी? यह मैं उस समय नहीं समझ पाया।

रास्ते में माँ पीछे-पीछे मुड़-मुड़ कर क्या देख रही थी। पता नहीं। लोहारी तो दो धारों के बीच में था। अब हम तीसरी धार पार कर चुके थे। मैंने माँ से पूछा था,‘‘इस चाबी का क्या करोगी?’’ माँ ने चाबी को गले से उतारा और हवा में उछाल दिया। फिर धोती का पल्लू मुँह में ठूँस लिया। अब वह सबसे आगे चल रही थी।

हम किराए के मकान में आ गए थे। फिर कुछ महीनों बाद पता चला कि बाँध का पानी उतर रहा है। लोहारी गाँव फिर से उग आया है। जो जहां था वह उसे देखने के लिए मचल उठा। पिताजी ने छुट्टी ली और हम सब आनन-फानन में लोहारी गाँव चल पड़े। गाँव से ठीक पहले तीन चार चौतरे बने हुए थे। कभी इन चैतरो में आने-जाने वालों के ठहाके गूँजते थे। दो घड़ी लोग यहां बैठते थे। सुस्ताते थे।

आज लोग इन चौतरों पर चढ़कर अपने-अपने घरों को देख रहे थे। रह-रहकर सिसकियाँ उठ रही थीं। सब अपने-अपने उजाड़ घरों को निहार रहे थे। मेरी माँ बड़ा-सा पत्थर लिए घर के दरवाज़े का ताला तोड़ रही थी।
॰॰॰
मनोहर चमोली ‘मनु’
सम्पर्क: 7579111144, chamoli123456789@gmail.com

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

6 thoughts on “<strong><em>पानी का ताला</em></strong>”
      1. जी अपन टिहरी के ही हैं ! कहीं मन में था जो सो कहानी में आ गया !

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