कक्षा में बातचीत की खिड़कियाँ हैं साहित्य

कन्हैया लाल मत्त की एक कविता सिर्फ चार पँक्तियों की है। चरखा बोला चर्रक चूँ/बुढ़िया के सिर पर है जूँ/आ बुढ़िया साबुन मल दूँ/जूँ की कर दूँ धम्मक धूँ। यह…