छोटी जो बड़ी वो

रिनछिन के पेंसिल बॉक्स में मिटनी, छिलनी और पेंसिल थी। रिनछिन ने दो और नई पेंसिल खरीदी। नई पेंसिलों को भी उसने बॉक्स में रख दिया। एक नई पेंसिल बोली-‘‘मैं…

सौ रुपए का नोट

सयारा देर से सोई। देर से सोई तो देर से उठी। देर से उठी तो हर काम में देरी होती चली गई। वह दौड़ते-दौड़ते स्कूल बस तक पहुंच गई। एक…

ऊँची नहीं फेंकता ऊँट

एक ऊँट था। उसकी पीठ कुछ ज्यादा ही ऊंची थी। यही कारण था कि वह ऊंची-ऊंची फेंकता। एक दिन वह टहलने निकला। नदी किनारे चूहा, गिलहरी, बंदर और खरगोश किसी…

बाल साहित्य : कहानियों के सन्दर्भ में

नर्सरी की मेधा को टीचर अग्रेजी का जी बनाना सीखा रही है। झल्लाकर मैडम ने कहा-‘‘मेधा। तूने तो मेरा दिमाग ही चाट दिया।’’ मेधा उठती है और मैडम का माथा…

भाग्य, किस्मत, कुण्डली बनाम तकनीक, विज्ञान, ज्ञान

कोविड 19 ! जी हाँ। याद रहेगा। जनवरी 2020 में हम लोग इसे इतनी गंभीरता से नहीं ले रहे थे। लेकिन ट्रम्प नमस्ते कार्यक्रम के बाद हलकेपन ने करवट बदली…

कोई शब्द बुरा कैसे हो सकता है: कविता के बहाने

आम की टोकरी‘छह साल की छोकरी,भरकर लाई टोकरी।टोकरी में आम हैं,नहीं बताती दाम है।दिखा-दिखाकर टोकरी,हमें बुलाती छोकरी।हम को देती आम है,नहीं बुलाती नाम है।नाम नहीं अब पूछना,हमें आम है चूसना।यह…

माँ गंगा पर केंन्द्रित है धाद का ग्यारहवाँ अंक

-मनोहर चमोली ‘मनु’साहित्य और संस्कृति की मासिक पत्रिका धाद का ग्यारहवाँ अंक बुक स्टॉल पर मिला। अपनी प्रति की प्राप्ति का धैर्य न रख सका। खरीदकर सबसे पहला काम यह…

Publication

ऐसे बदली नाक की नथ: 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्लीऐसे बदला खानपुर: 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशक: राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून।सवाल दस रुपए का…

तुम्हारा आना और जाना

तुम्हारा आनाजैसे महकती हवाचमकती सुबहफूल का खिलनाचिडि़या का चहकना तुम्हारा जानापत्तों का गिरनाशाम का ढलनामन उदास होनानदी का मौन बहना अब जब भी आनाजाने के लिए मत आना।