देवश्री की माता श्री सुनीता जी लिखती हैं , “ऐसे ही बच्चों के दिलों में राज नही करते आप ये समझ आया मुझे आज। आप कितना मैजिकल लिखते है बच्चों के लिए इसे एक छोटे से किस्से के रूप में साझा कर रही हूं। किताब आज 10.30 पर घर पहुंची सो हुआ यूं कि बिटिया आपसे तो परिचित है ही तो किताब को देखते ही खुश हो गयी। आज कल ऑनलाइन क्लास चल रही है तो 15 मिनट का ब्रेक मिला था जिसमें उसने झटपट पहली कहानी पढ़ी छोड़ दिया फुदकना। कहानी पढ़ते ही बोली बहुत मज़ेदार कहानी है फिर झटपट पापा को फोन किया और पूरी कहानी फोन में ही सुना डाली। उसके कहानी बताने के अंदाज ने यह भी बयां कर दिया कि किताब उसे बहुत पसंद आई और जल्दी ही पढ़ डालेंगी। “ Post navigation उम्मीद,आशा और भरोसा लेकर ‘अब पहुँची हो तुम’ हर्ष कर्नाटक