PAYAS On Line Magzine

-मनोहर चमोली ‘मनु’
‘‘माही भूत है! भूत!’’ सिया चीखी। रवि ने बिजली जला दी। कमला भी जाग गई। माही ने आँखें मींचते हुए सिया से कहा,‘‘दीदी आपको हर जगह भूत ही दिखाई देता है। इस डर को निकालो। निकालो।’’ रवि ने हँसते हुए सिया की तरफदारी की,‘‘हमारी बेटी बहादुर है। अरे! कोई सपना देखा होगा। चलो सो जाओ।’’ कमला ने भी सिया का हौसला बढ़ाया,‘‘मन में डर बैठ गया है। कोई बात नहीं। यह डर धीरे-धीरे निकल जाएगा।’’


फिर एक शाम की बात है। कमला और रवि तैयार हो चुके थे। सिया ने पूछा तो कमला ने बताया,‘‘शादी है। हम रात नौ बजे तक लौट आएँगे। माही का ध्यान रखना।’’ माही बीच में बोल पड़ी,‘‘दीदी! मेरा ध्यान रखेगी! खिड़की के परदे हिलते हैं तो दीदी को भूत नज़र आने लगता है।’’ रवि ने माही को आँखें दिखाईं। कहा,‘‘ऐसा नहीं कहते। वो तुम्हारी दीदी है। मेरा मोबाइल घर पर ही है। हम बार-बार फोन करते रहेंगे। दरवाज़ा ठीक से बंद कर लेना।’’
कमला को जैसे कुछ याद आया,‘‘मैं खाना बना कर जा रही हूँ। भूख लगे तो खा लेना। लौट कर तुम्हारे लिए हलवा भी बनाऊँगी। ठीक है।’’ रवि और कमला के जाते ही सिया ने दरवाजा बन्द कर दिया। माही ने पूछा,‘‘दीदी, अब शाम के बाद क्या होगा?’’

सिया ने जवाब दिया,‘‘अँधेरा!’’
‘‘फिर?’’
‘‘रात होगी। तो?’’


‘‘रात! काली रात! भयंकर काली रात!’’
‘‘अच्छा! आज कुछ खास है?’’
‘‘है न! मम्मी-पापा घर में जो नहीं है।’’
‘‘पता है! लेकिन याद रख। वे निजामुद्दीन तक ही गए हैं। वे नौ बजे लौट आएँगे।’’
‘‘हाँ ! पर कुछ भी हो सकता है।’’
‘‘मतलब?’’
‘‘मतलब ये कि सड़क पर जाम लग सकता है। पापा की गाड़ी खराब हो सकती है। खान अंकल के घर आने वाली बारात शाहदरा में ही देर से चले।’’
‘‘तो?’’
‘‘तो, ये कि नौ की जगह बारह बज जाएं।’’

‘‘तो?’’
‘‘तो, बारह बजे का समय भूतों का होता है।’’
‘‘क्या बकवास कर रही है! तू मुझे डरा रही है?’’

‘घरररर-घररररर-घरररर’ की आवाज़ सुनकर सिया ने माही की ओर देखा। माही ने मोबाइल की ओर इशारा किया। मोबाइल वाइब्रेट कर रहा था। सिया ने बात की। माही ने पूछा,‘‘पापा का फोन था न? मम्मी-पापा देर से आएँगे? है न?’’ सिया ने हाँ में सिर हिलाया। कहा,‘‘हाँ। चल रसोई में। गरम-गरम खाना खा लेते हैं। फिर सो जाते हैं।’’ माही ने पूछा,‘‘इतनी जल्दी?’’


सिया ने दाँत दबाते हुए जवाब दिया,‘‘हाँ, इतनी जल्दी। पापा ने कहा है।’’ सिया ने माही का हाथ पकड़ा और रसोई में ले गई। दोनों ने खाना खाया और बिस्तर पर लेट गए। माही बोली,‘‘मुझे तो नींद आ रही है। आप दरवाज़ा खोलने चली जाओगी न?’’ सिया बोली,‘‘हाँ-हाँ। मैं चली जाऊँगी। मैं क्या डरती हूँ?’’ माही ने अपना चेहरा डरावना बनाया। बनावटी आवाज़ में कहा,‘‘डरे हुए को कौन डराता है!’’ यह कहकर वह मुँह ढाँपकर सो गई। सिया बार-बार घड़ी देख रही थी। वह बुदबुदाई,‘‘नींद नहीं आ रही। दस बज चुके हैं।’’


तभी ‘घरररर-घररररर-घरररर’ की आवाज़ आई। सिया चीखी,‘‘माही,भूत!’’ माही ने चादर हटाते हुए कहा,‘‘दीदी,कहा न, भूत नहीं होते। मोबाइल वाइब्रेशन में है। मम्मी या पापा होंगे।’’ सिया ने तकिया हटाया। मोबाइल ही बज रहा था। ‘‘क्या कह रही है मम्मी?’’ माही ने चादर में मुँह घुसाते हुए पूछा।
सिया ने जवाब दिया,‘‘मम्मी-पापा वापिस लौट रहे हैं। लेकिन सड़क पर जाम है। देर हो जाएगी।’’ तभी बाहर से आवाज़ आई।

छस-छस-छस, खर-खर-खर…छस्सस्सस!

सिया ने चादर खींची।

बोली,‘‘माही,भूत!’’

माही उठकर बैठ गई।

कहने लगी,‘‘दीदी। कितनी बार कहूँ। भूत नहीं होते।’’

आवाज़ फिर आई।

छस-छस-छस,खर-खर-खर…छस्सस्सस!

सिया ने बाहर की ओर इशारा किया। कहा,‘‘वो सुनो। भूत है।’’ माही बोली,‘‘तो चलो, आज भूत से मिल ही लेते हैं!’’
‘‘बाहर जाएँगे? मुझे नहीं जाना।’’
‘‘दीदी, मैं हूँ ना।’’
‘‘पर, मुझे डर लग रहा है!’’
‘‘डर कैसा ! हम दो हैं। मोबाइल पर टॉर्च है। चाहो तो आप मोबाइल अपने पास रखना। चलो।’’ आवाज़ रुक-रुक कर आ ही रही थी,‘ छस-छस-छस,खर-खर-खरछस्सस्सस!’ आगे-आगे माही चलने लगी। माही के पीछे सिया चल रही थी। तभी माही के मुँह से निकला,‘‘ओह!’’ सिया धीरे से बोली,‘‘क्या हुआ? भूत दिखाई दिया?’’


‘‘अरे नहीं। मेरा चश्मा गिर गया। रोशनी दिखाओ।’’ सिया ने रोशनी दिखाई तो माही ने चश्मा उठा लिया। सिया ने कहा,‘‘माही। धीरे चल। मुझे छोड़कर आगे मत जाना।’’ तभी ‘धम्म’ की आवाज़ आई। सिया ने माही का हाथ कसकर पकड़ लिया। बोली,‘‘ओह! भूत!’’ माही ने सिया के हाथ से मोबाइल ले लिया। टॉर्च की रोशनी उस ओर की, जहाँ से धम्म की आवाज़ आई।
माही बोली,‘‘क्या दीदी। देखो। बंदर। हमारी आहट सुनकर पेड़ से कूदा है। वो रहा। बेचारे की नींद भी खुल गई।’’


‘छस-छस-छस,खर-खर-खर…छस्सस्सस!’ की आवाज़ फिर आई। ‘‘वापिस चलो।’’ सिया ने कहा। माही ने धीरे से जवाब दिया,‘‘नहीं। अब तो भूत से मिलकर ही जाएँगे।’’ तभी सिया चिल्लाई,‘‘बचाओ। भूत ने मेरा पैर पकड़ लिया!’’ माही ने टॉर्च सिया के पैरों की ओर कर दी। ‘‘क्या दीदी। वो तो चूहा है!’’ अब आवाज़ नजदीक ही सुनाई दे रही थी। ‘छस-छस-छस, खर-खर-खर…छस्सस्सस!’ माही ने कहा,‘‘अब हम उसके बिल्कुल नज़दीक आ गए हैं।’’
सिया माही का हाथ पीछे की ओर खींचने लगी। आवाज़ और तेज़ हो गई,‘‘छस-छस-छस, खर-खर-खर…छस्सस्सस…!’’


माही फुसफुसाई,‘‘दीदी। वो देखो। वो रहा भूत!’’ सिया ने आँखें मीच लीं। माही ने सिया को झकझोरते हुए कहा,‘‘दीदी। आँखें खोलो। बंद आँखों से भूत नहीं दिखाई देता। वो देखो। वो सामने है भूत।’’ माही ने बताया,‘‘दीदी। वो देखो। स्टोर के पीछे नल का पेंच ठीक से बंद नहीं था। टोंटी का पानी रबर के पाइप को हिला रहा है। पेंच को ठीक से बंद कर देंगे तो यह भूत भी भाग जाएगा।’’ माही ने नल के पेंच को कसकर बंद कर दिया। रबर के पाइप की हलचल भी बंद हो गई। ‘‘अब वापिस चलें?’’ सिया ने पूछा तो माही ने हाँ में सिर हिला दिया।
॰॰॰
-मनोहर चमोली ‘मनु’
गुरु भवन,निकट डिप्टी धारा,च्वींचा रोड,पौड़ी 246001.उत्तराखण्ड सम्पर्क-7579111144
मेल : chamoli123456789@gmail.com

Loading

By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

3 thoughts on “भूत था क्या !!”

Leave a Reply to Neelam Singh Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *