-मनोहर चमोली ‘मनु’

22 मार्च 2021 को यह आयोजन कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब ऑफ इंडिया,रफ़ी मार्ग,नई दिल्ली में आयोजित हुआ। 4 मुल्कों सहित देश के कई राज्यों से लगभग पिचहत्तर साहित्यकारों ने सम्मेलन में प्रतिभाग किया। सहभागी साहित्यकारों को ऑनलाइन वक्तव्यों से प्रख्यात साहित्यकार दिविक रमेश,सुरेन्द्र विक्रम ने भी सम्बोधित किया।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि विश्व हिंदी सम्मेलन में चार प्रस्ताव पारित हुए हैं। अब आयोग को हर साल राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की गोष्ठी का आयोजन करना है। इसी क्रम में यह दूसरा आयोजन है। दूसरा काम है आयोग सभी पत्र-पत्रिकाओं से अनवरत् आग्रह करेगा कि बाल साहित्य को भी पर्याप्त स्थान दे। तीसरा काम यह होगा कि तथ्यात्मक बाल साहित्य का इतिहास लेखन किया जाना है। चौथा काम है कि बाल साहित्य का वार्षिक आंकलन भी किया जाना है। इस दिशा में आगे बढ़ना है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो.राकेश उपाध्याय ने कहा कि भारत कहानी के क्षेत्र में आगे रहा है। हमने ही दुनिया को समृद्ध साहित्य दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चों को हर रोज़ कहानी सुनाने की परम्परा हमारे देश की पुरातन परम्परा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि साहित्य समाज का दर्पण तो होता ही है लेकिन हमें अपने धर्म,संस्कृति का संवाहक भी साहित्य को बनाना होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि बाल साहित्य का प्रचार,प्रसार और पहुँच अभी सीमित है। इसे बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने इंटरनेट के गलत इस्तेमाल का बालमन पर प्रभाव को दैत्यनुमा बताया।

प्रख्यात बाल साहित्यकार दिविक रमेश ने कहा कि आयोग बाल साहित्य की स्थिति पर आगे बढ़ रहा है। यह दूसरा आयोजन है। 2020 में पहली बार बाल साहित्य की दशा-दिशा पर बात हुई थी। आगे बढ़ने की दिशा में पूरा साल कोरोना की भेंट चढ़ गया। लेकिन हिन्दी बाल साहित्य का तथ्यात्मक इतिहास लिखा जाए। इसके लिए पांच-छह सदस्यीय संपादक मंडल जिसमें लेखक हों और आयोग से दो परामर्शदाता हों। बाल साहित्य की अलग-अलग विधाओं का इतिहास लिखने वाले योग्य और ऊर्जावान लेखकों का चुनाव करके काम सौंपा जाए। आर्थिक स्रोत भी निर्धारित कर लिए जाएं।
सुश्री रूपाली बैनर्जी ने कहा कि अभी हम आरंभिक दौर में है। नियोजन और चरणबद्ध तरीके से बाल साहित्य का प्रचार-प्रसार किया जा सकता है।

प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ.सुरेंद्र विक्रम ने ठोस एवं चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बाल साहित्य के इतिहास को तथ्यात्मक तरीके से आयोजित करने की बात कही। इसे गंभीरता से काम करने पर बल दिया। आयोजन को विमलेश आहूजा, मॉरीशस से रिमझिम पत्रिका के संपादक हेमराज सुन्दर, आगरा से आए डॉ.शेषपाल सिंह दिल्ली की वंदना यादव, उत्तराखण्ड के मनोहर लंदन से वंदना शर्मा, मुंबई से रमेश यादव ने भी संबोधित किया। अजय तिवारी ने शानदार संचालन किया। वे बीच-बीच में आयोजन को साहित्य के सरोकारों से अवगत कराते रहे।


भारत सरकार के संस्कृति मंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि इस काम के लिए हम चार सदस्य की कमेटी है। हम पहले कभी नहीं बैठ पाए लेकिन अब इसके लिए समय निकालकर नियोजित ढंग से बैठा जाएगा। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य बच्चों को दिशा देने का काम कर सकता है। लेकिन अभी इस दिशा में सुगठित ढंग से ठोस काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने बाल साहित्यकारों से अनुरोध किया कि वे बाल साहित्य में बाल अधिकार और उनके संरक्षण की बातें भी शामिल करें। उन्होंने कहा कि आज कई माध्यम हैं। हमें उन माध्यमों का उपयोग और महत्ता को स्वीकार करना होगा। सदुपयोग करना होगा। साहित्यकार रजनीकांत शुक्ल ने गत वर्ष के आयोजन की रिपोर्ट पढ़कर सुनाई।

कुल मिलाकर कुछ बातें जो इस आयोजन से साझा हुईं वे यह दर्शाती हैं कि बाल अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों पर भारत में और अन्य देशों में भी काम हो रहा है लेकिन समाज के सबसे कमजोर वर्गाें तक पहुँच बनाने की आवश्यकता है। बाल साहित्य और साहित्य में ऐसी रचनाधर्मिता को बल देने की आवश्यकता है जो इस पूरे समाज को बच्चों के प्रति और संवेदनशील बनाए।
अभिभावकों, शिक्षकों के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं को भी बच्चों के प्रति सकारात्मक नज़रिया बनाए रखने हेतु कार्यशालाओं की आवश्यकता है। विद्यालयों में शारीरिक दंड को समाप्त करने और स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा एवं बचाव पर सेमिनार और कार्यशालाओं के आयोजन पर काम करने की आवश्यकता है।


बाल साहित्यकारों में डॉ.नागेश पाण्डेय ‘संजय’, डॉ.साजिद खान, डॉ.उमेशचन्द्र सिरसवारी,आशा शर्मा, किशोर श्रीवास्तव,शिव मोहन यादव, सतीश मिश्रा, श्याम सुशील, राकेश चक्र, निश्चल, डॉ.सत्यनारायण सत्य, सुहानी यादव,वंदना यादव,अनिल जायसवाल, सुनीता तिवारी,सुनीता शर्मा,मनीष जैन आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

-मनोहर चमोली ‘मनु’

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By manohar

6 thoughts on “बाल साहित्य का प्रचार-प्रसार बढ़ाना होगा: बाल अधिकार संरक्षण आयोग”
  1. सजग और गंभीर बाल साहित्य चिंतक मनोहर चमोली मनु जी ने 22 March 2021 को Constitution Club of India में हुई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की रिपोर्ट को बहुत ही स्पष्ट और बारीक तथ्यों के साथ यहां पर प्रस्तुत किया है। इसके लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई।

  2. बेहतरीन। आपने बहुत से उन बिंदुओं को छुआ है जिस पर सभी का ध्यान जाना आवश्यक है। आयोग के प्रयास स्तुत्य हैं। हम सभी को इस दिशा में मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

  3. आपकी रिपोर्ट से निश्चय ही आयोग को लाभ होगा। इस दिशा में गंभीरता से काम होना चाहिए, यह मैं पहले भी कह चुका हूँ।

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