पत्रिका: सड़क दर्पण, संयुक्तांक 23 व 24


-मनोहर चमोली ‘मनु’

आज सुबह चार बजे पूरा दल बस में बैठ चुका था। घुमावदार सड़कों में बलखाती हुई बस नौ घण्टे का सफर तय कर चुकी थी। अभी दो घण्टे का सफर बाकी था। बांज, बुरांश, काफल, चीड़ और देवदार के जंगल काफी पीछे छूट चुके थे। अब तो धूल से सने चौड़े पत्तियों वाले पेड़ सड़क के बांयी ओर दिखाई दे रहे थे। बांयी ओर नदी भी उनके साथ-साथ चल रही थी। बस आगे बढ़ रही थी। बच्चों को लग रहा था कि नदी गहरी, चौड़ी और उनके नजदीक आती जा रही है। पहाड़ी सड़कों के दोनों ओर छायादार वृक्षों ने बच्चों को थकने ही नहीं दिया।


दरअसल दस दिन पहले असेम्बली के अंत में प्रिंसिपल बोली थीं,‘‘स्कूल की फुटबॉल और खो-खो टीम के लिए अच्छी ख़बर है। हम एक बार फिर से राज्य के लिए खेलेंगे। क्या पता! अगर राज्य में ये टीमें जीत गईं तो हो सकता है कि हमारी टीमें देश के लिए खेल सकें।’’


तालियों की गड़गड़ाहट के बीच किसी ने पूछा,‘‘मैम। इस बार कहाँ जाएँगे?’’
प्रिंसिपल ने बताया था,‘‘पिछली बार ठीक खेल से पहले हमारी टीमों के आधे से अधिक खिलाड़ी बीमार हो गए थे। इस बार भी वही शहर है। वही मैदान है। हमारी टीमों के खिलाड़ी वही रहेंगे जो पिछले साल थे। बस एक ज़रा-सा बदलाव हुआ है।‘‘


इतना कहकर प्रिंसिपल रुक गईं। अध्यापकों के साथ बच्चे भी प्रिंसिपल की ओर देख रहे थे। प्रिंसिपल ने मुस्कराते हुए कहा,‘‘चिंता की कोई बात नहीं है। कोई ऐसा-वैसा बदलाव नहीं हुआ है। बस! इस बार टीम के साथ मैं खुद जा रही हूँ। टीम का दल तीस का हो सकता था। पिछले साल चौबीस गए थे। इस साल पूरा दल जाएगा।’’ प्रिंसिपल पूरी बात कह भी नहीं पाई थी कि मैदान तालियों से गूंज उठा था।


यह सब बातें अमन याद कर रहा था। उसने नाहिदा को भी याद दिलाया। नाहिदा ने कहा,‘‘और आज हम स्कूल टीम की ओर से खेलने जा रहे हैं।’’ तभी अमन ने देखा कि प्रिंसिपल कुछ कहना चाहती हैं।
प्रिंसिपल बोलीं,‘‘बच्चों को भी भूख लग रही होगी। किसी अच्छे से होटल में खाना खा लेते हैं। वैसे भी एक बज चुका है।’’
तभी खो-खो टीम की कप्तान राशिदा खेल शिक्षक से बोली,‘‘सर उसी होटल में खाना खाएंगे, जहां पिछले साल खाया था। बड़ा मज़ा आया था।‘‘ बस एक होटल के पास रुक गई।


हरजीत चिल्लाया,‘‘वो रहा, पिछले साल वाला होटल। वहीं चलेंगे।’’ तभी प्रिंसिपल बोलीं,‘‘कोई कहीं नहीं जाएगा। हम देखकर आएंगे। टीम लीडर सबका ध्यान रखेंगे।‘‘


खेल शिक्षक के साथ प्रिंसिपल बस से उतर गईं। बच्चे अंत्याक्षरी खेलने लगे। एक के बाद दूसरा फिर तीसरा, चौथा, पाँचवा गाना गाया जा चुका था। ‘खट्‘ की आवाज के साथ बस का दरवाज़ा खुला। खेल शिक्षक के साथ प्रिंसिपल बस के भीतर आईं। बस सड़क पर फिर दौड़ने लगीं।


चन्दन फुटबॉल टीम का कैप्टेन है। उसने धीरे से पूछा,‘‘सर ! क्या हुआ? इतने सारे होटलों में कहीं खाना नहीं बचा!‘‘
प्रिंसिपल ने गरदन घुमाते हुए कहां,‘‘खाना है। खुशबूदार भी है। चटपटा और मसालेदार भी है। लेकिन, हम कहीं ओर खाएंगे।‘‘
तभी नाहिदा बोल पड़ी,‘‘लेकिन मैम, अब तो रास्ते में एक घण्टे तक कोई होटल तो क्या, चाय की दुकान तक नहीं मिलेगी। यहां तो सब खा ही रहे हैं।’’
खेल शिक्षक बोले,‘‘भूख मुझे भी लगी है। लेकिन, भूख से जरूरी कुछ ओर भी है।’’ खेल शिक्षक की यह बात बच्चे समझ नहीं पाए। वे एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे।
कुछ बच्चे एक साथ बोल पड़े,‘‘क्या! हमें भी तो पता चले।’’


खेल शिक्षक प्रिंसिपल की ओर देखने लगे। ‘‘साफ-सफाई और क्या!’’ प्रिंसिपल ने जोर देकर कहा। किसी ने पीछे से कहा,‘‘ऐसे तो मैम हम भूखे ही रह जाएंगे।’’


प्रिंसिपल ने बताया,‘‘हमने एक भी होटल नहीं छोड़ा। मैं खाना तो बाद में चखती। वॉशबेसिन तक साफ नहीं हैं। हाथ धोने के लिए टंगे तौलिए पोंछे का कपड़ा लग रहे हैं। गिलास और कटोरियांे के भीतर काली धारियां जमी हुई हैं।’’
खेल शिक्षक बोले,‘‘मैंने पीने का पानी सूँघा। डिटर्जेंट की महक आ रही थी। जूठे बरतनों में मक्खियाँ भिनभिना रही हैं। मैं तो बाहर चला आया।’’


खेल शिक्षक की बात सुनकर कुछ बच्चे चौंक पड़े। यह कहकर खेल शिक्षक चुप हो गए।

प्रिंसिपल बोलीं,‘‘क्या हम पिकनिक मनाने जा रहे हैं? राज्य के लिए खेलने जा रहे हैं। ज़रा सोचिए। पिछले साल क्या हुआ होगा? मैदान में खेलने से पहले ही तुम हार चुके थे। गन्दगी जीत चुकी थी। लापरवाही तुम पर हावी हो चुकी थी।’’


खेल शिक्षक ने सिर हिलाते हुए कहा,‘‘मैं भी आज समझ पाया हूँ। हमने ऐसे होटलों में खाना नहीं खाया जो भोजन से अधिक साफ-सफाई पर ध्यान रखते हैं। खाने के साथ-साथ कीटाणुओं का बिल भी हमने चुकाया।’’
खेल शिक्षक ने अपनी बात जोड़ते हुए कहा,‘‘बिल्कुल। उन कीटाणुओं ने अपना काम किया और हमारी टीम के आधे से अधिक खिलाड़ी अपना काम नहीं कर सके। मैदान में पहुंचने से पहले ही वे बीमार हो गए। यह मेरी जिम्मेदारी थी। भूख के आगे भी बहुत कुछ सोचना पड़ता है।‘‘


प्रिंसिपल बोलीं,‘‘इस बार कुछ भी हो जाए। यदि साफ-सुथरी जगह भोजन नहीं मिला तो हम फल खा लेंगे। लेकिन जानने के बावजूद हम बीमार नहीं पड़ेंगे। मैं किसी को बीमार होते हुए नहीं देख सकती।’’
अब तक चुपचाप सारी बातों में शामिल बस चालक ने कहा,‘‘हम ऐसी जगह बस रोकेंगे जो एक छोटा सा ढाबा है। हमारे सामने ही बना भोजन बच्चे खाएंगे। हां, वहां ताज़ा भोजन बनने में कुछ समय लगेगा।’’


सब बच्चे एक साथ बोले,‘‘ये ठीक रहेगा। हम बस से उतरकर थोड़ी मस्ती भी कर लेंगे।‘‘ अब बस में ठहाके गूँज रहे थे। प्रिंसिपल बोली,‘‘बच्चों। ए टीम की तरफ से मैं हूँ और बी टीम में तुम्हारे खेल शिक्षक। चलो समय बिताने के लिए करना है कुछ काम। अंत्याक्षरी शुरू हो जाए, क्या पूछें फिर दाम।’’ बस में अंत्याक्षरी फिर से शुरू हो चुकी थी।

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-मनोहर चमोली ‘मनु’, गुरु भवन, निकट डिप्टी धारा,पौड़ी गढ़वाल। 246001 उत्तराखण्ड
सम्पर्क: 7579111144
मेल: chamoli123456789@gmail.com

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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