एक स्वीकारोक्ति : इन दिनों हुए माहौल के सन्दर्भ में
कुछ ढील कहूँ या खुद में शऊर की कमी राजकीय शिक्षक हुए उन्नीस साल हुए जाते हैं। राजकीय इसलिए जोड़ा कि खुद राजकीय विद्यालयों में पढ़ा। मुझे अच्छे शिक्षक नहीं…
कुछ ढील कहूँ या खुद में शऊर की कमी राजकीय शिक्षक हुए उन्नीस साल हुए जाते हैं। राजकीय इसलिए जोड़ा कि खुद राजकीय विद्यालयों में पढ़ा। मुझे अच्छे शिक्षक नहीं…
-मनोहर चमोली ‘मनु’ ‘‘मास्साब तनिक सुनो तो। एक बार छू लो हमें। ये आपसे कह रहे हैं!’’ किसी ने मुझसे कहा। यह आवाज़ मेरे दाएं कान ने सुनी थी। मैं…