रेखांकित हुई गणेश खुगशाल ‘गणी’ कृत ‘धाद’ पत्रिका

गणेश खुगशाल ‘गणी’ उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान-2023 के लिए चयनित हुए हैं। बधाई ! दरअसल यह उनका सम्मान नहीं राज्य की गढ़वाली भाषा का सम्मान है। एक ओर जहाँ पूरी दुनिया में तेजी से लोक भाषाएं सिमट रही हैं वहीं हर भाषा में संवेदनशील कलमकार भाषा को बचाए और बनाए रखने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं।


हिन्दी और गढ़वाली में धाराप्रवाह ओजस्वी उद्घोषक और संचालन के लिए गणेश खुगशाल ‘गणी’ देश भर में पहचाने जाते हैं। लोक भाषा गढ़वाली के लिए वह लगातार अगस्त 2015 से धाद पत्रिका का संपादन कर रहे हैं। निजी प्रयासों के चलते धाद पत्रिका अगस्त 2024 में दसवें साल में प्रवेश कर जाएगी। कोविड 19 के दौर में किसे याद नहीं होगा कि अहा! ज़िंदगी, ज्ञानोदय, वागर्थ जैसी पत्रिका बंद हो गई। बाद उसके कई साहित्यिक पत्रिकाएं बंद हो गई। लेकिन गणी ने धाद को निर्बाध गति से संचालित रखा। हालांकि उस कठिन दौर में तीन अंक स्थगित करने पड़े।


धाद मासिक पत्रिका बगैर राजकीय-शासकीय सहायता के संचालित हो रही है। गणेश खुगशाल ‘गणी’ तब भी मानते हैं कि यह बिना समुदाय की मदद के संभव नहीं था। वह पत्रिका के रेखांकन-चित्रों के लिए राकेश राका, मुकुल बडोनी, आशीष नेगी, लता शुक्ला, जागेश्वर जोशी, शशि भूषण बडोनी का धन्यवाद देना नहीं भूलते।
धाद मासिक पत्रिका से जुडे़ कलमकारों के सवाल पर वह याद करते हुए बताते हैं कि सैकड़ों साहित्यकारों ने अनुरोध पर भी और कालान्तर में धाद के लिए लिखना स्वीकार किया। वह कमल रावतत्र बलवीर राणा ‘अडिग’ जैसे कलमकारों को याद करते हुए बताते हैं कि धाद ने कई कलमकारों की कलम को खुण्डा नहीं होने दिया। तराशा और निरन्तरता लोक की आवाज़ जनमानस में पहुंचाने के लिए एक मंच तो दिया हीह ै।


कई अख़बारों से जुड़े रहने के बाद गणी उत्तराखण्ड वाली के तीन साल संपादक भी रहे हैं। एनबीटी के लिए उन्होंने दो किताबें गढ़वाली में अनुदित की हैं। एनबीटी से बुढ़ापे का प्रेम किताब भी प्रकाशित हुई हैं। गढ़वाली कविताओं में उनकी अपनी किताब ‘उं मां बोलि दे’ काफी चर्चित रही है।


पिछले नौ साल की धाद के लिए अपनी यात्रा को बताते हुए वह कहते हैं कि उन्हें खुशी है कि नई पीढ़ी अपने घर-गांव में अपने बुजुर्गों के लिए धाद पत्रिका की सदस्यता लेते हैं। धाद सुदूर कई ग्रामीण क्षेत्रों में डाक से पहुँचती है। अभी धाद मासिक पत्रिका के एक हजार आठ सौ सदस्य हैं लेकिन पाठकों के बात करें तो वह बीस से पच्चीस हजार पाठकों तक पहुँचती है। कई बार छह-सात साल पहले अंक की बात करते हुए पाठक फोन पर बताते हैं कि धाद में फलां कहानी पढ़ रहा हूँ। इसका अर्थ यह हुआ कि पत्रिका जीवंत पढ़ी जाती रहती है। मासिक के तौर पर वह कोने में नहीं रखी जाती। कई परिवारों के पाठक हर माह धाद की प्रतीक्षा करते हैं।


सन् 2005 से वह पौड़ी आकाशवाणी से गढ़वाल दर्शन साप्ताहिक न्यूज़ रील कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं। इसके अलावा वे डीडी न्यूज़ के लिए भी काम करते हैं। वह बताते हैं कि धाद मासिक पत्रिका देश के चौवन शहरों में अपनी पहुँच बनाए हुए हैं। वह बताते हैं कि धाद पत्रिका के ऐसे सदस्य भी हैं जो विदेश जाते समय विदेशों में गढ़वाली पाठकों के दस-पन्द्रह अंक ले जाते हैं और इस तरह धाद पत्रिका अमेरिका, इंग्लैण्ड, आस्टेªलिया और न्यूजीलैण्ड भी पहुँच गई है।


पत्रिका की सामग्री पर उन्होंने बताया कि पहले-पहल पत्रिका की विविधता से भरी सामग्री जुटाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन कालान्तर में व्यंग्य, कहानी, नाटक, भाषाओं की गढ़वाली में अनुदित रचनाएं, पत्र विधा, संस्मरण छपने से पत्रिका ने पाठकों में अपनी पैठ बनाए रखी।


आज जब सब कुछ ग्लोबल होता जा रहा है। कुछ खास भाषाओं का वर्चस्व है। ऐसे में अंचल विशेष की भाषा को बचाए और बनाए रखने के ऐसे प्रयासों की जिस तरह से सराहना होनी चाहिए वह नहीं हो रही है। लेकिन गणी कहते हैं कि आंचलिक भाषाओं को पढ़े जाने का वातावरण बना हैं उम्मीदें जगी हैं। कला, साहित्य, संस्कृति के लिए संवेदनशीलता की दरकार हमेशा रहती है और रहेगी। हर कठिन कार्य को अनवरत् संचालित करने के लिए बाधाएं तो आती हैं लेकिन धैर्य हो और सामुदायिक सहभागिता के साथ सकारात्मक भावनाएं हो तो मार्ग भी खुलते हैं।
उत्तराखण्ड भाषा संस्थान, देहरादून द्वारा भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार की घोषणा से वह सब गौरवान्वित हो रहे हैं जिन्होंने गणेश खुगशाल गणी की जनमानसी भावनाओं को निकट से देखा है। वह प्रसन्न हैं जो जानते-समझते हैं कि वह सामाजिक, सामुदायिक, सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध जागरुक इंसान हैं। हर किसी की सामर्थ्यानुसार मदद को तत्पर ऐसे जीवट इंसान का सम्मानित होना यह संकेत है कि आज के दौर में भी निस्वार्थ व्यक्तित्वों के कार्यों का निस्वार्थ भावना से पहचानने की भावना मरी नहीं है।

कह सकता हूँ बकौल विज्ञान व्रत के कि जिसका अपना सर होता है, वो ही क़द्दावर होता है। गणी कैसे भी रहे हों। किसी भी स्थिति में रहे हों। संकोच कहें या स्वभाव या स्वाभिमान। वह याचक कभी नहीं रहे। धाद के लिए भी उन्होंने साथ मांगा। सहयोग माँगा। क़लमकार जुड़ते रहे। धाद को आगे बढ़ाने वाले मिलते रहे।
एक बात ओर कि तथाकथित संपादक या पत्रकार का दंभ नहीं भरा। उसकी आड़ में निजी काम और हित नहीं साधे। जहाँ भी असहमति जताई तार्किकता के साथ। काम के लिए आगे रहे। हाँ जी-हाँ जी से दूर रहे। हाँ विनम्रता नहीं छोड़ी लेकिन रीढ़विहीन नहीं रहे।
कहा जा सकता है-
पैर अगर धरती पर हों तो,
बाँहों में अम्बर होता हो
तुम जिसके हो दुनिया में
वो ही दुनिया भर होता है।

गणेश खुगशाल ‘गणी’ जी तक यह बधाई पहुँचे। यह बधाई उन तक भी पहुँचे जो यह मानते और जानते हैं कि यह सम्मान उनके कद और कार्य को और विस्तार देगा।

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ 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नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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