बीते दिनों कुछ दोस्तों और पाठकों ने ‘बाल मन की कहानियाँ’ पुस्तक पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। मुझे उन प्रतिक्रियाओं को यहाँ देने की ज़रूरत महसूस हो रही है। एक तो यह कि इससे पुस्तक का और मेरा सीधा सम्बन्ध है। दूसरा पुस्तक खरीदकर पढ़ने का जो सिलसिला मिल रहा है,उसे फैलाना ज़रूरी है। तीसरा यह भी कि पढ़ना-लिखना आपको और आपके काम को विस्तार देता है। बतौर पाठकों का नज़रिया आपके और आपके लेखन के लिए कैसा है? क्या है? क्यों है? इन सवालों की तासीर भी टिप्पणियों से मिलती है।
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डाॅ॰जाकिर अली ‘रजनीश’ साहित्य, सूचना,तकनीक और विज्ञान लेखन में सुपरिचित नाम हैं। वे प्रमुख ब्लागरों में एक हैं। इन दिनों यू-ट्यूबरों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। अपना विकास तो कोई भी कर लेता है। आत्ममुग्धता का शिकार मैं भी हो सकता हूँ। लेकिन, जाकिर जी की समग्र और विहंगम दृष्टि लोकोन्मुखी है। वे संवैधानिक मूल्यों के पक्षधर हैं। सबसे बड़ी बात। वे वैज्ञानिक नजरिए के विकास में महती भूमिका निभाते रहे हैं। मेरे लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि वे मुझमें संभावनाएं देखते हैं। पता नहीं मैं उनकी उम्मीदों पर टिका रह सकता हूँ? यह तो समय ही बताएगा। इसी आलोक में समय-समय पर वे मेरा मार्गदर्शन निसंकोच करते हैं। वे सीधी बात करते हैं। सामने वाला बुरा माने या भला। यही कारण है कि मेरी उलझनों को वे मुझसे पहले ताड़ लेते हैं और फिर कई उदाहरणों के साथ मेरा मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने भी ‘कहानियां बाल मन की’ किताब खरीदी है। उन्होंने स्वयं की इस टिप्पणी को फौरी टिप्पणी माना है। लेकिन, मेरे जैसे के लिए यह तो हजार बार पढ़ने के बाद भी विस्तारित आलेख के समान है। वे लिखते हैं-”कहानियां बाल मन की” के लेखक हैं युवा रचनाकार मनोहर चमोली मनु। मनु जी एक बेहद जागरूक, वैज्ञानिक दृष्किोण से सम्पन्न और लेखकीय दायित्वों का पूरी ईमानदारी से निवर्हन करने वाले रचनाकार है। मैं पूरी गम्भीरता के साथ कहना चाहूंगा कि ऐसे गम्भीर लेखक हिन्दी बालसाहित्य में गिनती के ही हैं। उनकी सोच, उनकी समझ और उनका साहस, सभी कुछ काबिल-ए-दाद है। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। जहां तक ‘कहानियां बाल मन की’ की बात है, एक तरह से यह बेहद सौभाग्यशाली पुस्तक है, जिसे न सिर्फ लोगों ने बड़ी मात्रा में खरीदा है और खुलकर प्रतिक्रिया भी दी है। इसलिए #श्वेतवर्णा_प्रकाशन, नई दिल्ली (Mobile no. 8447540078) से प्रकाशित इस पुस्तक पर कुछ कहने से मैं जान बूझकर बच रहा हूं। शायद इसके पीछे मेरी यह सोच भी जिम्मेदार है कि जिस काम को बहुतेरे लोग एक साथ करने लगते हैं, पता नहीं क्यों मुझे उससे अरुचि सी हो जाती है। हालांकि यह 191 पेज की पुस्तक है और इसमें 40 कहानियां संग्रहीत हैं, इसलिए इसपर मन से लिखने के लिए कुछ समय भी चाहिए….। बहरहाल, इस शानदार पुस्तक के लिए मनु भाई को ढेर सारी बधाई।”***
2-
रेनू मंडल वरिष्ठ कथाकार हैं। वे समान रूप से साहित्य के साथ बच्चों के लिए भी लिखती हैं। उनकी सक्रियता देखते ही बनती है। ऐसी कोई पत्र-पत्रिका ही होगी, जिसमें उनकी रचनाएँ न छपती होंगी। निरन्तर। समसामयिक मुद्दों के साथ भी। मुद्दों के आगे भी। वे लिखती हैं-अध्यापक, चिंतक और प्रसिद्ध साहित्यकार श्री मनोहर चमोली मनु जी का बाल कहानी संग्रह कहानियां बाल मन की काफी समय पूर्व प्राप्त हुआ था किंतु व्यस्तता के चलते पढ़ने में काफी विलंब हुआ। संग्रह में कुल 40 कहानियां है जो हर आयु वर्ग के बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई हैं। बच्चों की रुचि को ध्यान में रखते हुए कथाएं इतनी सहजता से लिखी गई हैं कि बच्चे तो क्या बड़ों को भी पढ़ने में आनंद आएगा। कहानियों में विविधता है साथ ही वैज्ञानिक तथ्यों को भी सहज रूप से समाहित किया गया है जिन्हें पढ़ते हुए रोचकता और उत्सुकता बराबर बनी रहती है। कहानी” छुट्टी नहीं करता सूरज में अनोखे ढंग से सूरज की उपयोगिता और रात दिन का होना बच्चे जान जाते हैं। कहानी आग का नाश्ता में लेखक ने बताया है कि किस तरह प्रत्येक जादू और चमत्कार के पीछे कोई ना कोई वैज्ञानिक सिद्धांत छिपा होता है। अन्य कहानियां भी रोचक है जैसे टॉफी के बदले, खाना मगर ध्यान से , जरूरी है सब आदि। तितली के माध्यम से जीवन का सकारात्मक संदेश देती कहानी मुस्कुराना हमेशा बहुत खूबसूरत है। शेर है तो बिजली है कहानी में लेखक ने अत्यंत रोचक ढंग से प्रकृति की खाद्य श्रंखला को बताते हुए पेड़ पौधों और जंगल के संरक्षण का संदेश दिया है और अंत में कहानी अपने शीर्षक को सार्थक करते हुए अत्यंत रोमांचक मोड़ पर पहुंच जाती है। आजकल मेरी नातिन फ्रेया इन कहानियों का खूब आनंद उठा रही है।अनुप्रिया जी का बनाया हुआ आकर्षक कवर पेज और कहानियों के अनुकूल चित्र बेहद प्रशंसनीय हैं और वह भी बधाई की पात्र हैं। मनोहर जी को इस खूबसूरत बालसंग्रह की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।***
3-
विजय शाही संस्कृतिकर्मी हैं। ज्ञान विज्ञान आंदोलन के सक्रिय एक्टीविस्ट हैं। यथार्थ के तथ्यों से वाक़िफ कराते रहते हैं। रंगकर्म के साथ-साथ सम-सामयिक मुद्दों-समस्याओं और योजनाओं के लिए सलाहकार के तौर पर काम करते हैं। शिक्षा,समता,जेण्डर,स्वास्थ्य के साथ-साथ सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं के साथ बतौर विशेषज्ञ के तौर पर लगातार काम करते रहते हैं। हिन्दी पट्टी में राजस्थान,बिहार,उत्तराखण्ड के साथ-साथ मध्य प्रदेश के ग्रामीण अंचलों की जमीनी सच्चाई से वाक़िफ हैं। वे लिखते हैं-‘‘कहानियाँ बाल मन की आज ही प्राप्त हुई है। बड़ा अच्छा लगा। मैंने वैसे तो कई लघु कहानियाँ पढ़ी हैं। लेकिन इतने बड़े दस्तावेज में बाल कहानियाँ पढ़ने का अवसर पहली बार मिल रहा है। किताब का आवरण और उसकी पहली ही कहानी का लेखन शानदार है। यानि लेखनी जबरदस्त है। उम्मीद है कि ये किताब बच्चों और बड़ों के मन को छू जाएगी। काश! ऐसी किताबें बचपन में हमको मिलती, जब हम छोटे थे। हम कॉमिक्स पढ़ते थे। कमाण्डो,ध्रुव, नागार्जुन, चाचा चौधरी, राम-रहीम आदि। लेकिन उनका कोई मतलब नहीं होता था। आज लगता है कि ऐसे समय में आपकी ये किताब भविष्य में बच्चों और बड़ों को याद दिलाएगी कि हकीकत की ज़िन्दगी कल्पना की ज़िन्दगी से बहुत आगे होती है। कल्पना के घोड़े पर सवार होकर सोच वास्तविक ज़िंदगी को सफल बनाती है। आपको इस किताब के लिए बधाई!”***
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नीरू अध्यापिका हैं। हिन्दी पट्टी से ताल्लुक रखती हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल में पिछले 14 सालों से अध्यापन कार्य कर रही हैं। लघु कथा सहित बाल साहित्य भी उन्होंने लिखा है। अध्ययनशील है और साहित्य की अध्येता हैं। वे लिखती हैं-“40 कहानियों से सजी “कहानियाँ बालमन की” यह बगिया मनोहर चमोली ‘मनु’ जी द्वारा सजाई गई है। यह नाम सुनते ही एक भोला भला मुस्कराता हुआ चेहरा सामने आता है। मनोहर जी की इस बगिया का हर एक फूल बहुत ही खूबसूरत और रोमांचित है। जिसमें अनुभव वाले स्कूल भी हैं, तो असली हीरो भी हैं । साथ ही साथ शेर की बिजली तो ऊंट का पावर हाउस भी मिला । लगन से ऐसे लगाया ध्यान उन्होंने कि सब को मिला सबक इसलिए अब कोई मजाक नहीं करेगा और सब मिलकर बनाएंगे त्यौहार सुंदर।कहानियों के साथ साथ उनके शीर्षक भी बहुत आकर्षित करने वाले हैं।आदरणीय सुंदर सृजन के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई ।”
5 –
हर्ष महाजन शाइर हैं । स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में सेवा उपरान्त सृजनरत् हैं । उनकी शाइरी और गीत में लोक है। संवेदनशीलता है। सौन्दर्य है। जीवन का यथार्थ है। मानवीय कमजोरियाँ परिलक्षित हैं। वे मौन साधक हैं । लिखते – पढ़ते हैं । उन्होंने जाकिर अली रजनीश जी की पोस्ट पर कमेन्ट किया है। वह कमेन्ट यहां दे रहा हूं । आप भी पढिएगा -“बेशक !! ऐसे लेखक(मनोहर मनु) विरले ही नज़र आते हैं आजकल । आजतक हमने ऐसे ही लेखक और कलाकार देखे हैं जो सिर्फ अपना ही गुणगान करने में व्यस्त रहते हैं । कहानी लेखक हो या कविता लेखक । काव्य में हर विदा पर मैनें इन्हें बड़ी उच्च कोटि की समीक्षा करते देखा है । भाषा विज्ञान का अद्भुत ज्ञान इनकी लेखनी में शायद खुदा की देन ही है । इनकी लेखनी से निकला हर शब्द मोतियों सा नज़र आने लगता है । कुछ अरसा पहले की तरफ अगर चला जाये तो इनकी समीक्षाएं काव्य और गद्य जगत में धानका बजाने लगी थी । जब फेसबुक को ही सब सर्वेसर्वा ही समझ करते थे । आजकल मनोहर चमोली मनु जी शायद उन समीक्षाओं से परे खुद को समेटकर अपनी गूढ़ विद्या(बच्चों के लिए) में ही लीन हो गए । शायद इसके दो कारण है एक तो उनका बच्चों की ओर लेखन का रुझान व ज्ञान और दूसरे सोशल मीडिया में कई और ब्रांचेस का खुलना । लोग अपने लेखन को लेकर अलग/अलग जगह पर जैसे –प्रातिलिपि या शब्द जैसे प्लेटफॉर्म को जॉइन कर गए । हमने भी फेसबुक से परे अपनी कृतियों के साथ प्रातिलिपि पर ही ज्यादा वक्त बिताया है ।कुछ फेस बुक छोड़ गए । लेकिन जब भी फेसबुक पर आना होता है तो मनोहर मनु जी की लेखनी से ज़रूर सामना हो जाता है । मेरी जानिब से उनके लेखन के लिये उन्हें ढ़ेरों शुभकामनाएं ।”