-मनोहर चमोली ‘मनु’
युवा साहित्यकार एवं पत्रकार शिव मोहन यादव की बाल कहानियों का संग्रह ‘लल्ला और बिट्टी’ पाठकों के लिए उपलब्ध है। लखनऊ के लोकोदय प्रकाशन से प्रकाशित इस संग्रह में पन्द्रह सरल,सुलभ बाल कहानियाँ शामिल हैं। डिमाई आकार में प्रकाशित इस किताब का फोंट बुनावट आकर्षक है। पाठकों को थकाता नहीं। पेज सेटिंग भी संतुलित है। प्रत्येक कहानी में श्याम-श्वेत चित्र हैं। हालांकि चित्र बेहद आम हैं। चित्रों पर मेहनत की जानी चाहिए थी। कम्प्यूटर ग्रॉफिक्स के चित्र बनावटी लगते हैं और प्रायः प्रभावित नहीं कर पाते। आवरण और भी आकर्षक होने की संभावनाए लिए हुए है।


शिव की इस किताब की भूमिका में दिविक रमेश लिखते हैं-मुझे पूरा विश्वास है कि खास जमीन की ये कहानियाँ बच्चों को समझदारी और रोचकता से भरपूर लगेंगी ही, बड़ों को भी सुसंस्कृत कर सकेगी।


बाल साहित्य के अध्येता एवं प्रखर आलोचक बन्धु कुशावर्ती लिखते हैं-‘‘आज दादी-नानी की कहानियों की भरपाई या खेल की भरपाई के लिए एक बेहतरीन उपाय कहानियों की एक अच्छी किताब ही हो सकती है। लल्ला और बिट्टी बच्चों के लिए कहानियों की एक ऐसी ही किताब है, जिसको पढ़ते हुए बच्चे बेशक ही बोल पड़ेंगे-‘‘अरे वाह! यह तो गाँव-शहर के हमारे जैसे बच्चों की ही कहानियाँ हैं।’’


नीलम राकेश लिखती हैं-‘‘उनकी कहानी भीख मत मांगो का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगी। यह कहानी चुपके से हम बड़ों को भी सीख दे जाती है और वह भी बिना उपदेश के। शिव मोहन की रचना में स्नेह है, परिवार है, आपसदारी है, संकल्प है और है परिवर्तन को स्वीकारने का आग्रह!’’
अपनी बात में शिव मोहन की सोच भी साफ झलकती है। वे अग्रज साहित्यकारों के साहित्य के मर्मज्ञ पाठक है। यही कारण है कि उनसे अभी ओर बेहतर रचनाओं की दरकार है। मैं साफ कहता हूँ कि हर रचनाकार की हर रचना से धारदार, सशक्त, जानदार और शानदार अहसास की मांग नहीं की जा सकती है। रचनाकार अपनी आखिरी रचना पूरी करते समय भी यही कहेगा कि अभी उसे और बेहतरीन रचना लिखनी थी।


इस बहाने मुझे एक बात और कहनी है। पाठक का काम वहीं से शुरू हो जाता है जहां रचनाकार ने अपना काम खत्म कर दिया होता है। यानि? यही कि पाठक ही रचनाओं का सच्चा समीक्षक है। यह भी कि यह ज़रूरी नहीं है कि जो कहानियां मुझे पसंद नहीं आईं वे अन्य पाठकों को पसंद न आएंगी। इसलिए रचना के गुण-दोष का निर्णय भी एक-एक पाठक अपनी समझ और पाए गए आस्वाद से लेगा। यही सही है।


बहरहाल इस संग्रह में लल्ला और बिट्टी, नानाजी का नाना, ढोल दिला दो मम्मी, नई साइकिल, नेकदिली, जरूरी है सफाई, अखबार, इच्छा-शक्ति, बच्चो ने अखबार निकाला, हार के आगे जीत, भीख मत माँगो, चोरी और साहूकारी, चकरघिन्नी वाली बच्ची, भोंदू हुआ होशियार और बदल गया व्यवहार शामिल हैं।


अधिकतर कहानियाँ बाल सुलभ हैं। कहा जा सकता है कि शिव के पास यह दृष्टि है कि वे जानते हैं कि बच्चे सिर्फ शहरों में ही नहीं रहते। बच्चों का बाल जीवन केवल महानगरों और मॉल-मैट्रो संस्कृति से इतर भी है। यही कारण है कि उनकी कहानियां ऐसे बच्चों की प्रतिनिधि कहानियां कहलाई जानी चाहिए जो गांव में रहते हैं। कम से कम अभी भारत के गाँव शहर में तब्दील नहीं हुए हैं।


शिव पेशे से पत्रकार हैं। वे नियमित कहानियों और कविताओं के माध्यम से पत्र-पत्रिकाओं में अपनी दमदार उपस्थिति का अहसास बदस्तूर कराते रहते हैं। इस बात से उम्मीद बनती है कि शिव उन रचनाकारों में नहीं हैं जो मात्र कपोल काल्पनिक और शहरी संस्कृति का ही राग अलापते रहते हैं। उनकी कहानियों में आम जीवन है। आम गांव हैं। आम गांव के आम पात्र हैं। कह सकता हूँ कि वे भारत की असली खुशबू जानते हैं। वे और उनकी रचनाधर्मिता काल्पनिक नहीं है। वे प्रेम, दोस्ती, भाईचारा, सद्भाव, सूझ-बूझ, संवेदनशीलता, पारिवारिक महत्ता, कर्मप्रधानता, सहयोग और सामूहिकता को प्राथमिकता में रखते हैं।


और अंत में संग्रह से शिव मोहन की कहानियों की कुछ बानगी-
‘‘ऐसा नहीं है पापा। कल किसी ने राधा को आम उठाने पर थप्पड़ मार दिया था। और पता है पापा, मैंने उसके लिए जो चकरघिन्नी बनाकर दी थी, वो भी फाड़ दी। ये देखो।’’
॰॰॰
‘‘लल्ला,अब तुम ढोल बजाकर बबलू को ललचाओगे न?’’
‘‘हाँ।’’ उसने मटकते हुए भौंहे तानकर कहा।
‘‘बेटा, एक बात बताओ। जब उसने तुम्हे डमरू दिखाकर ललचाया था, तो तुम्हें बुरा लगा था न।’’


॰॰॰
‘‘पिताजी, वे जो व्यापारी भैया है न! उ…..उनके अनाज के दस बोरे शहर की गोदाम तक पहुँचाने थे। वे गाड़ी वाले को छःसौ रुपये दे रहे थे, लेकिन गाड़ी खराब हो गई थी। मैंने उनसे कहा कि मैं शाम तक सभी बोरे वहाँ पहुँचा दूंगा। आप मुझे केवल पाँच सौ रुपए ही दे देना। व्यापारी भैया मान गए। अब तक मैं उन्हीं बोरों को शहर की गोदाम में पहुँचा रहा था।’’


पुस्तक: लल्ला और बिट्टी
लेखक: शिव मोहन यादव
मूल्य: 125
पृष्ठ: 80
प्रकाशक: लोकोदय प्रकाशन,लखनऊ
पता: 65/44 शंकरपुरी,छितवापुर रोड,लखनऊ 226001
दूरभाषः 9076633657

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः 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परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

3 thoughts on “बहुसंख्यक पाठकों का प्रतिनिधित्व है ‘लल्ला और बिट्टी’ की कहानियों में।”
    1. बहुत सुन्दर जानकारी बालकहानी पर

      धन्यवाद 🙏

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