हिंदी में बाल साहित्य को रीडिंग कार्ड्स में तब्दील करने की पहल समग्र शिक्षा के तहत उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग ने की है। रूम टू रीड के सहयोग बिना संभवतः यह संभव न होता। हिंदी से जौनसारी, गढ़वाली और कुमाऊँनी में अनुवाद भी हुआ। सकारात्मक और अच्छी पहल का स्वागत किया जाना चाहिए। मेरी कहानी के लुभावने चित्र जीतेन्द्र चौरासिया जी ने बनाए हैं!कितना अच्छा होता कि नाकारों को सभी कॉर्ड उपलब्ध कराए जाते। मुझे सिर्फ मेरी कहानी भेजी गई है।

हेमा अकेली लड़की है। उसका कोई भाई नहीं है। राखी का त्योहार आता है तो वह पहाड़ के जंगल में चली जाती है। उदास हो जाती है। हर बार पेड़ कहता है कि मुझे बांध दो। पेड़ इस बार फिर कहता है। राखी एक बेल है। वह उसे राखी मानकर बांध देती है। पेड़ कहता है,‘‘अभी कुछ देने को नहीं है जाड़ा बीत जाएगा तब आना।’’
बरसात के बाद जाड़ा बीत जाता है। अचानक हेमा को पेड़ की याद आती है। वह दौड़कर पेड़ के पास जाती है।

वह देखती है कि पेड़ फूलों से लदा है। पेड़ उस पर फूल बरसाता है। तभी से पेड़ वसंत आने पर फूलों से लाल हो जाता है। बुरांश के फूल तभी से खिलते हैं।

प्रकाशित कहानी
रखड़ी
राखी आई।
पेड़-फिर कहूँगा। मुझे पहना दो। मैं भी भाई।
हेमा ने राखी पहनाई।
पेड़- ढेला न पाई। खाली है तेरा भाई। फिर आना।
सरदी आई। हेमा मिलने आई। पेड़ बुराँश से लदा था। उसने फूल बरसाए। हेमा झूम उठी।

लेखक- मनोहर चमोली ‘मनु’
चित्रकार-जीतेन्द्र चौरासिया

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By manohar

9 thoughts on “रखड़ी”
    1. बहुत सुंदर सहज और सरल है आपका कहानी कहने का अंदाज। राखी पर इतनी प्यारी कहानी के लिए हार्दिक बधाई

  1. बहुत ही सुन्दर भाई- बहन का रिस्ता,हेमा का भाई तो अनोखा है । बधाई हो मनु जी

  2. सहज सरल अंदाज़ आपका। बहुत प्यारी सी कहानी।

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