सुधा भार्गव साहित्य जगत में लम्बे समय से सक्रिय हैं। मौन साधक हैं। पत्र-पत्रिकाओं में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराती रहती हैं। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत से उनकी दो कृतियाँ-‘जब मैं छोटी थी’ और ‘मिश्री मौसी का मटका’ बेहद लोकप्रिया रही हैं। ये दोनों बाल उपन्यास बच्चों को सीख-सन्देश और उपदेश देने की बजाय यथार्थ की दुनिया से वाकिफ़ कराने का सफल प्रयास करते हैं।
बहरहाल ‘बाल झरोखे से हँसती-गुदगुदाती कहानियाँ बीस बाल कहानियों का संग्रह है। 2022 में यह संग्रह श्वेतवर्णा प्रकाशन से आया है। कहानियों के विषय बच्चों की असल दुनिया के भाव-बोध हैं! इन बीस कहानियों के शीर्षक ही मन को भाते हैं। बच्चों को भी अवश्य भाएंगे। मन की रानी, मोहब्बत की दुनिया, पलाश मुस्कुराया, वन-भोज, एक कमी है, लंगूरे का अमरूद, बाबा का बटुआ, भूरी माँ, गुट्टू की बगिया, प्यासे की मुस्कान, निशानेबाज़, दादी का पीपा, पहले काम फिर नाम, गूगल गुरू, चाँद-सा महल, मूर्खता की नदी, गरीबों का फ्रिज, तितलियों का मोहल्ला, चोरनी और टीटू के साथी कहानियों के शीर्षक हैं। हालांकि कुछ कहानियों के शीर्षक से अंदाज़ा लग जाता है कि कहानी का केन्द्रिय भाव क्या होगा। लेकिन अधिकतर कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते खुलती हैं। कहा जा सकता है कि कहानियाँ बाँधे रखती हैं।

सुधा भार्गव का रचना संसार विस्तृत है। वह कई सक्रिय साहित्यकारों से संपर्क बनाए रखती हैं। दूसरे शब्दों में उनका लिखा-छपा पर साहित्यकारों की नज़र है। उनकी कहानियों, लेखन शैली और व्यक्तित्व को आप इस तरह से महसूस कर सकते हैं।


प्रकाश मनु की राय है-‘‘सुधा जी, बच्चों के लिए लिखती ही नहीं हैं बल्कि उनसे दोस्ती करके, कानोंकान बतियाती भी हैं। ’एक कमी है’ की दादी और पोती के संवाद में जो अपनत्व और मिठास है वह मेरे मन- आत्मा में घुल सी गई लगती है। ऐसी प्यारी दादी माँयें हर जगह हों तो यह दुनिया कितनी खूबसूरत हो जाय।’’
डॉ. किरन सोपानी का मानना है-‘‘तितलियों का मोहल्ला कहानी में भाव तथ्य कल्पना और भाषा का अद्भुत मिश्रण ! बालमन को कितने सकारात्मक-सृजनात्मक तरीके से प्रकृति से जोड़ दिया है। पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की अनोखी मशाल जगाई है।’’
श्याम पलट पाण्डेय तो बाक़ायदा कहानी का ज़िक्र करते हुए लिखते हैं-‘‘एक कमी है’ कहानी में बालमनोविज्ञान का बहुत अच्छा चित्रण किया है।’’
मंजू रानी जैन अपनी संवेदनाएं कुछ इस तरह प्रकट करती हैं-
‘‘सुधा भार्गव की तितलियों का मोहल्ला बच्चों को प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति कोमल भावना को बनाए रखने की प्रेरणा देती है।’’
रमेश मयंक की राय अलग है। वह कहते हैं-‘‘सुधा भार्गव की कहानियाँ रोचक, ज्ञानवर्धक, मनोरंजक व प्रभावपूर्ण हैं।’’
गौरीशंकर वैश्य भी कहानी का ज़िक्र करते हुए कहते हैं-‘‘बाबा का बटुआ संस्मरण बचपन में बहा ले गया।’’ वरिष्ठ साहित्यकार दिविक रमेश जी लिखते हैं-

‘‘आपकी भाषा पर अच्छी पकड़ है। छोटे वाक्यों के उपयोग करने में आप माहिर है। आपके पास अभिव्यक्ति के लिए लोक से उठाए अनेक शानदार शब्द है जो पाठकों में आकर्षण का कारण बनेंगे। एक और पक्ष बहुत अच्छा है। आपकी कहानियों में पाओं के रूप में बच्चों की भागीदारी विशेष रूप से है। यह अच्छी बात है। आपकी कहानियों में मनोविज्ञान का पुट भी भरपूर रहता है।’’

डाॅ॰ शकुन्तला कहती हैं-‘‘सुधा भार्गव जी की कहानियों में बच्चों के स्वभाव, आदतें और बालमनोविज्ञान का स्वाभाविक चित्रण हुआ है। उसके मन और मनोविज्ञान से जुड़ी घटनाओं से गुजरते हुए कुछ समय के लिए हमारा भी एक बच्चे के रूप में कायाकल्प हो जाता है और हम उसका आनंद लेने लगते हैं। उपदेशों की बोझिलता नहीं। कहीं भी जटिलता नहीं है। बच्चों की स्वाभाविक शरारतें बड़ी रोचक और रसपूर्ण हैं। भाषा बड़ी सरल और सुबोध एवं प्रवाहमयी है।’’

प्रखर आलोचक एवं बाल साहित्य के अध्येता राजेश उत्साही लिखते हैं-‘‘सुधा जी की कहानियों के पात्र काल्पनिक नहीं हैं। वे उन्हें यथार्थ से ही उठाती हैं और कहीं-कहीं तो वे बिलकुल निकट के ही होते हैं। इसीलिए वे मन को छूते भी हैं।’’

मुझे सुधा भार्गव का लेखन कई मामलों में अलग इसलिए भी लगता है क्योंकि वे कहानी के पात्रों में मानवीय मूल्यों को सहजता से सामने लाती हैं। वह सहयोग, सहायता, काम के प्रति कर्मठता, जीवटता को मानव जीवन की कसौटी मानती हैं। परिवार और पाठशाल के साथ वह दोस्ती को इंसानी जीवन का अमूल्य उपहार मानती है। यही कारण है कि वह कहानियों के माध्यम से मित्रता पर गंभीर दिखाई देती हैं। प्रकृति के साथ-साथ वह जीवों के प्रति मानवीय व्यवहार को भी रेखांकित करती हैं। सुख- दुःख उनकी कहानियों का प्राण है। बाल लेखन में बालमन की मस्ती, मासूमियत, खिलंदड़ी, प्रेम, संवेदनाएँ, नाराजगी, गुस्सा, चंचलपन, कल्पना की असीमित और गहरी चाह लिए कहानियाँ भाती हैं।


कहानियों के कुछ अंश यहाँ दिए जा रहे हैं जिससे सुधा भार्गव की शैली और कहन का अंदाज़ा आप भी लगा सकते हैं।


कुल मिलाकर यह संग्रह बच्चों की अपनी लाइब्रेरी में शोभा तो बढ़ाएगा ही साथ ही बड़े बच्चों को उनके जन्मदिन पर बतौर उपहार भी दे सकते हैं। पुस्तक हार्ड कवर में है। आवरण और बेहतर हो सकता था। फिर भी एक झलक में आवरण इस बात का पता देता है कि यह बाल साहित्य की किताब है। काग़ज़ की गुणवत्ता बेहतरीन है। दूधिया और मजबूत काग़ज़ पर काला फोंट उभरा हुआ है। आँखों को थकाता नहीं है। प्रकाशन ने बाल मन को भाँपा है सो फोंट आकार में आदर्श से बड़ा रखा है। यह बड़ी बात है। अनुप्रिया के चित्र हर कहानी में है। कहानी और भी पठनीय हो जाए इसमें चित्रों की भूमिका महती है।
पुस्तक: बाल झरोखे से हँसती-गुदगुदाती कहानियाँ
लेखक: सुधा भार्गव
मूल्य: 199
पुस्तक आकार: डिमाइ,सजिल्द
पृष्ठ: 112
आवरण एवं चित्र: अनुप्रिया
प्रकाशक: श्वेतवर्णा प्रकाशन
संस्करण वर्ष: 2022
प्रस्तुति: मनोहर चमोली ‘मनु’

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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