पीयूष सेकसेरिया कृत जुगनू प्रकाशन की ताज़ा किताब

ताज़ातरीन किताब पीयूष सेकसेरिया कृत ‘पाँच पैरों वाली हाथी’ इकतारा ट्रस्ट के जुगनू प्रकाशन ने प्रकाशित की है। अड़तालीस पृष्ठों की बहुरंगी किताब का मूल्य एक सौ पिचहत्तर है। ग्यारह कथाएँ कथेतर साहित्य की चाश्नी में बुनी गई हैं। विशुद्ध रूप से पीयूष सेकसेरिया ने रोचकता और रोमांच का दामन नहीं छोड़ा। तथ्य, कथ्य में संभवतः काल्पनिकता का सहारा नहीं लिया गया है। यथार्थ के अनुभवों को वर्णनात्मक, संस्मरणात्मक शैली के मिश्रण से पाठकों के लिए कुछ इस तरह बुना है कि उन्हें साफ, सपाट और जानकारीपरक आम सामग्री-सी न लगे।


एक उदाहरण-

‘सर्दियों की सुबह थी। सड़कें खाली पर बदहाल थीं। इससे ज़्यादा तेज़ तो हम खेतों पर चल पा रहे थे। आधे रास्ते पर हम टाँगें सीधे करने के लिए रुके। ड्राइवर भी गाड़ी से बाहर आ गया। रॉजर कार के अन्दर ही बैठे रहे। तभी मेरी नज़र एक काले हिरण पर पड़ी।’


एक और उदाहरण-‘वो एक खड़ी गीली चट्टान पर उगा था। उस पर रिसता पानी मानसूनी बादलों से लदे आसमान की चमक में झिलमिला रहा था। फूल एक नाजुक तने के सिर पर लगे थे। तना एक गूदेदार चकती के आकार की पत्ती से निकलता हुआ-सा लग रहा था। मैंने तय किया कि वहीं बैठकर इसका चित्र बनाऊँगा। अभी बना ही रहा था कि बारिश होने लगी और हमें निकलना पड़ा।’


किताब का नाम पहली ही नज़र में आकर्षित करता है। पाठक के ज़ेहन में स्वतः ही यह सवाल कौंधता है कि पाँच पैर किसी हाथी के कैसे हो सकते हैं? आवरण पर हाथी का चित्र भी है तो भी शायद कोई पाठक पाँचवे पैर का रहस्य पढ़ने से पूर्व ही जानता हो। पक्के तौर पर तो नहीं, लेकिन ज़्यादातर पाठक किताब में शामिल ग्यारह वाकयों में से पहले ‘पाँच पैरो वाली हाथी’ को ही पढ़ना चाहेगा।
‘पाँच पैरों वाली हाथी’ का आरम्भ आप भी पढ़िए-
‘’इधर आओ, इन हाथियों को देखो।’’ किसी ने दूर से आवाज़ लगाई। हम मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में थे। हम जोश-जोश में लगभग आठ-नौ वयस्क, युवा और छोटे हाथियों के झुण्ड की ओर बढ़ चले। वयस्क हाथियों के अगले पैर भरी ज़जीरों से बँधे थे। जबकि छोटे हाथी खुले थे।
‘नर हाथी का मुश्त होना’ हर साल-दो साल में एक बार होता है। बात आगे खुलती है जब पता चलता है कि वत्सला दुनिया की सबसे उम्रदराज़ हाथी हैं। वह हमेशा अपनी सूँड ज़मीन पर टिका कर खड़ी होती है। वत्सला की उम्र 75 से 90 साल के बीच की है। ऐसा अनुमान लगाया गया। इस कथेतर साहित्य को पढ़ते हुए मुझे पहली बार पता चला कि हाथी करीबन 55 से 70 साल की उम्र में अपने सारे दाँत खो देते हैं। वत्सला ने न जाने कितने पर्यटकों को सवारी कराई होगी। यह भी महसूस करने वाली बात है कि हाथी भी रिटायर होते हैं।

इसी किस्से से एक पहरा भी पढ़िएगा-


‘हाथी सामाजिक जीव है। वो सम्बन्ध बनाते हैं। उन्हें निभाते हैं। वे लम्बी यात्रा कर सकते हैं। उनकी याददाश्त बहुत तेज़ होती है। वे रास्तों, जल-स्रोतों, फलों के पेड़ों और यहाँ तक कि उन लोगों को भी याद रखते हैं जिनसे वे कई साल पहले मिले थे। क्या पता वत्सला अब भी अपनी दोस्त गीता के आने का इन्तज़ार कर रही हो जिसको मरे हुए अरसा हो गया है।’


एक वाकया का उल्लेख और करना चाहूँगा। ‘आसमान से गिरता पत्थर’ भी बेहद रोचक है। आम कथेतर साहित्य होता तो मात्र सूचनात्मक होता, ज़्यादा हुआ तो कुछ तथ्यों से भरा होता। ऐसा नहीं है कि आम कथेतर साहित्य के पाठक नहीं हैं। हैं। लेकिन आसमान से गिरता पत्थर का प्रारम्भ ही इतना रोचक है कि कोई भी पाठक इसे संस्मरण और कहानी से जोड़कर देख सकता है। वैसे कई बार मुझे लगता है कि हमें पारम्परिक विधाओं के तयशुदा ढांचों की दीवारें गिरा देनी चाहिए।
‘आसमान से गिरता पत्थर’ का आरम्भ कुछ इस तरह से है-


‘मैं शायद चौथी में था। वो दोपहर बहुत गरम और धूल भरी थी। हम मैदान में खेल रहे थे। मैदान के पास ऊँची घास और झाड़ियाँ थीं। आधी छुट्टी खत्म होने की घण्टी बजी। मेरे दोस्त भागते हुए क्लास की ओर जाने लगे। लेकिन मैं नहीं गया। मेरी नज़र आसमान पर एक चिड़िया पर थी। वो एक जगह थमी हुई थी। जैसे ज़मीन पर मैं थमा था। मैं उस चिड़िया से नज़रंे हटा ही नहीं पा रहा था। अचानक मुझे लगा कि वो एक पत्थर की तरह गिर रही है।


प्रकृति के नायाब पशु-पक्षियों पर आधारित यह किताब पाठकों को पसंद आती है। यह पठनीय किताब है। पाठक पढ़ते-पढ़ते जिज्ञासु हो उठता है। वह हैरान होता है कि हम अपने आस-पास के पर्यावरण को जानते ही कितना हैं! यही नहीं यह किताब कहीं भी बौद्धिकता के दर्शन नहीं करती। लेखक जिस तरह से हर वाकये में शामिल हुआ है किसी आम इंसान की तरह ही दिखाई पड़ता है। उसका बचपन, उसकी सोच, उसकी नज़र और उसकी गतिविधियां हमारी-आपकी ही तरह हैं। बस पाठक पढ़ते-पढ़ते इस नतीज़े पर तो पहुँचता ही है कि ऐसी दृष्टि, ऐसा अवलोकन, ऐसा भ्रमण और ऐसा जिज्ञासु मन तो मेरा भी हो सकता है।
मैं पीयूष सेकसेरिया-सा क्यूँ नहीं?
इस अद्भुत किताब में हिरण, तालाब, बकरियाँ, गड़रिया, जंगल, छायादार, फलदार वृक्ष, मुल्कों की सीमाएँ, सड़क, सेना की गतिविधियाँ, पक्षी, पक्षियों के व्यवहार, वन्य जीव, प्रवासी पक्षी, खास-आम पौधे, प्रकृति के निस्वार्थ स्वच्छक, सरीसृप, मरूस्थल के जीव-वृक्ष की भूली-बिसरी यादें, रोचक बातें और जानकारियाँ भी हैं। सबसे बड़ी बात कहीं भी कोई एक वाक्य खोजे से नहीं मिलता जिससे लगे कि सिखाया, समझाया या ज्ञान बघारा जा रहा है। यह हुई न बात ! और हाँ ! बच्चों, शोधार्थियों, प्रकृति प्रेमियों, बूढ़ों, जवानों, कामकाजी महिलाओं सहित गृहिणियों को भी यह किताब पसंद आएगी। और लेखकों को? उन्हें भी। यह किताब एक नया रास्ता सुझाती है कि परम्परागत साहित्य लेखन से इतर कथेतर साहित्य भी बेहद-बेहद पठनीय और रोचक लिखा जा सकता है। हाँ पीयूष सेकसेरिया जैसी दृष्टि चाहिए। किताब को प्यारा बनाने के लिए भार्गव कुलकर्णी, प्रोइति रॉय, अतनु राय, एलन शॉ, कनुप्रिया कुलश्रेष्ठ, राजीव आइप और प्रशान्त सोनी ने अपनी कूची से पन्नों को इन्द्रधनुषी रंग दिए हैं।


किताब: पाँच पैरों वाली हाथी
विधा: कथेतर साहित्य
लेखक: पीयूष सेकसेरिया
प्रकाशक: जुगनू प्रकाशन इकतारा
मूल्य: 175
पृष्ठ संख्या: 48
प्रकाशन वर्ष: फरवरी 2024
प्रकाशक का पता: जुगनू प्रकाशन, इकतारा ट्रस्ट की प्रकाशन छाप, सी 404 बेसमेंट, डिफेन्स कॉलोनी, नई दिल्ली 110024
फोन: 01141555418/41555428

प्रस्तुति: मनोहर चमोली ‘मनु’

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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