अणुव्रत लेखक मंच का विस्तारीकरण

बीते दिनों अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी ने लेखक सम्मेलन का आयोजन किया। यह दो दिवसीय आयोजन नंदनवन, मुंबई में हुआ। तय कार्यक्रम और विचार गोष्ठी के अलावा लेखकों को अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य महाश्रमगण का सान्निध्य मिला। उनके विचार सुनने का अवसर भी मिला। संभवतः यही कारण रहा कि सम्मेलन के दूसरे दिन लेखकों ने अणुव्रत लेखक मंच को विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया। लेखक सम्मान समारोह से पूर्व ही उपस्थित लेखकों ने प्रसिद्ध कवि एवं शायर इकराम राजस्थानी के संरक्षण में साझी और लिखित उद्घोषणा जारी की।


इस साझी उद्घोषणा की आवश्यकता पर बोलते हुए अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के सदस्य एवं लेखक संचय जैन ने कहा कि सम्पूर्ण विश्व में शिक्षा, समानता और शांति के पुरजोर प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता है। मनुष्य वैज्ञानिक आविष्कारों और सूचना तकनीक के वशीभूत होकर मानवीय मूल्यों से दूर होता जा रहा हैं ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि संकीर्णताओं से हटकर विश्व शांति एवं भाईचारे के प्रयासों में तेजी लाई जाए।


साहित्यकार मनोहर चमोली ‘मनु’ ने संभावित बिन्दुओं को लेखकों के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि एक तो मानवीय मूल्यों और सद्भाव की पुरजोर वकालत करने वाले लेखकों को अणुव्रत लेखक मंच से संबद्ध किया जाए। सोशल मीडिया में बाक़ायदा अणुव्रत लेखक मंच का पेज, वेब या ऐसा कोई माध्यम बनाया जाए। ‘बच्चों का देश’ और मासिक पत्रिका ‘अणुव्रत’ के प्रचार-प्रसार सहित उसे अधिकाधिक लेखकीय सहयोग प्रदान किया जाए। लेखक-लेखिकाओं में इकराम राजस्थानी, चेतना उपाध्याय, लता अग्रवाल, नागेश पाण्डेय संजय’, प्रगति गुप्ता, दीनदयाल शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। विचार-विमर्श के बाद लेखकों ने उद्घोषणा के कुछ बिन्दु सुझाए।

एक: अणुव्रत दर्शन में समाहित नीति निर्देशक तत्वों को अपने व्यक्तिगत जीवन में शामिल करेंगे।
दो: सामाजिक स्तर पर इन शाश्वत जीवन मूल्यों को सुदृढ़ करने का सक्रिय प्रयास करेंगे।
तीन: अपनी रचनाओं में अहिंसा, शांति, प्रेम, भाईचारा, आदि मानवीय मूल्यों व भारत के संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देंगे और इनके विपरीत लेखन को हतोत्साहित करेंगे।
चार: मानवीय मूल्यों और भारत के संवैधानिक मूल्यों पर आधारित रचनाएँ अणुव्रत लेखक मंच को प्रेषित करेंगे। अणुविभा इन रचनाओं को देश की पत्र-पत्रिकाओं तक पहुंचाने का प्रयास करेगी।
पाँच: जीवन मूल्यों को वर्धापित करने वाली पत्र-पत्रिकाओं के प्रचार-प्रसार में सहयोगी बनेंगे। ‘अणुव्रत’ व ‘बच्चों का देश’ पत्रिका के प्रचार-प्रसार व गुणवत्ता संवर्धन में रचनात्मक योगदान देंगे।


इस उद्घोषणा में प्रमुख रूप से इकराम राजस्थानी, संचय जैन, मोहन मंगलम, प्रकाश तातेड़, फारूक आफरीदी, पंचशील जैन, आर.के. जैन, समीर गांगुली, अखिलेश आर्येन्दु, डॉ॰ वीरेन्द्र भाटी, आलोक खटेड़, एस. भाग्यम शर्मा, दीनदयाल शर्मा, डॉ॰ चेतना उपाध्याय, प्रगति गुप्ता, ललिता, डॉ॰लता अग्रवाल, ताराचन्द, रवि यादव, डॉ॰ नागेश पाण्डेय ‘संजय’, उदय किरौला, अर्जुन मेड़तवाल, सीताराम गुप्ता, किशोर श्रीवास्तव, पारस, जिनेन्द्र कुमार, ताराचंद मकसाने, मनोहर चमोली आदि ने सहमति जताई। साथ ही इस दिशा में अपने लेखन कर्म को बढ़ाने का संकल्प भी लिया।

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By manohar

2 thoughts on “वैश्विक शान्ति एवं एकता के लिए लेखन”

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