आज भी प्रासंगिक और समसामयिक सी कथा


एनिड ब्लाइटन सीक्रेट 7 एक शानदार बाल उपन्यास है। मज़ेदार बात यह है कि भले ही इस उपन्यास का पहला पाठक बच्चा है। लेकिन यह इतना शानदार है कि इसे पिता पाठक भी पढ़ना चाहेंगे। माताएँ भी पढ़ना चाहेंगी। वे सब पाठक भी पढ़ना चाहेंगे जिनका संबंध कहीं न कहीं अपराध जगत से है। वे भी पढ़ना चाहेंगे जिन्हें रहस्य, रोमांच, जासूसी और जिज्ञासाएं जगाती सामग्री पढ़ने का शौक है। मैं तो हतप्रभ हूँ !

60 के दशक में जो उपन्यासकार इस दुनिया को छोड़ चुकी हो उसके लिखे गए उपन्यास साठ-सत्तर साल बाद भी खूब पढ़े जा रहे हैं। है न कमाल की बात। एक ऐसी लेखक जिसका जन्म 1897 को हुआ हो। हम उस दौर की भारतीय सन्दर्भ में बात करें तो यह अविश्वसनीय है। भारत की साक्षरता दर तो आजाद भारत के वक्त 11 फीसदी भी नहीं थी। आज भी इस लेखक की किताबें अनुदित होती रहती है। माना जाता है कि लगभग नब्बे भाषाओं में इनकी रचनाएं अनुदित होकर दुनिया के बच्चे पढ़ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि उनकी पुस्तकों की बिक्री लाखों में नहीं करोड़ों में है। वह रहस्य, रोमांच, जासूसी और अपराध का ऐसा जोड़ बनाते है कि पाठक अंत तक किताब को पढ़े बिना नहीं रह पाता।


यदि इस किताब सीक्रेट 7 की बात करें तो यह पेपरबैक में है। पेजों की संख्या 120 है। प्रकाशक मंजुल पब्लिशिंग हाउस हैं। इस उपन्यास का अनुवादक डॉ सुधीर दीक्षित, रजनी दीक्षित ने किया है। किताब का मूल्य 50 रुपए है। यदि पुनर्प्रकाशन किया गया होगा तो मूल्य बढ़ गया होगा। बहरहाल, उपन्यास बच्चों में पढ़ने की ललक बनाए रखता है। बारह छोटे-छोटे अध्याय रखे गए हैं। आठ से बारह पेज के यह अध्याय हैं। एक के बाद दूसरा और फिर तीसरा पढ़ने का मन बना रहता है।


सार यह है कि सात बच्चे हैं। उनका एक ग्रुप है। यह दुनिया से खुद को अलग मानते हैं। कुछ अनसुलझा काम करना चाहते हैं। जब भी मिलते हैं तब सभी को बैज लगाकर आना होता है और पासवर्ड बोलना पड़ता है। तभी मीटिंग की जगह में उसे प्रवेश मिलता है। बहरहाल वह मिलते हैं और फिर बर्फ में खेलते हैं। पासवर्ड भी बदल देते हैं। खैर… जब सब अपने घर लौट आते हैं तो जैक को रात नौ बजे ख़याल आता है कि उसका बैज कहीं खो गया है। वह सोचता है कि यदि इस वक़्त न खोजा गया तो बर्फ पड़ने पर या अगली सुबह वह गुम हो जाएगा। बस, वह रात ही उसे खोजने निकल पड़ता है। रात को जब वह उस मैदान पर जहाँ उन्होंने बर्फ के पुतले बनाए थे पहुँच जाता है। बस यही से उपन्यास में नया मोड़ आता है। रात साढ़े नौ बजे मैदान में किसी गाड़ी का आना और उसके पीछे किसी वैन का जुड़ा होना। दो आदमियों का उतरना और किसी तीसरे का सिसकना-खींचना-गुत्थम-गुत्था सा होना। कुछ देर बाद गाड़ी का वापिस चले जाना। रात के अंधेरे में कुछ खास पता न चलना जैक को परेशान करता है। वह फिर अपने इस ग्रुप के सामने इस टास्क को रखने का फैसला करता है और रात के अंधेरे में ही लिखित सूचना देने वाले नियम को फोलो करता है। अगली सुबह पूरी टीम इस टॉस्क पर बढ़ते है और दिन के उजाले में मैदान में और बूढ़े लेकिन गंूगे पहरेदार वाले बंगले में जा पहुंचते हैं। फिर कुछ ऐसा उन्हें पता चलता है कि रात का इन्तज़ार करते हैं। अंत में रहस्य से परदा खुलता है। यह सात बच्चे जिनमें पीटर, जेनेट, जैक, कॉलिन, पैम, बारबरा, जॉर्ज हैं उनका यही है ग्रुप- सीक्रेट 7। स्कैम्पर भी उनकी टीम में है। वैसे यह पीटर और जेनेट का पालतू कुत्ता है। लड़कों में पीटर, कॉलिन, जार्ज, जैक और लड़कियों में बारबरा,जेनेट और पैम मिलकर इस रहस्य को सुलझाते हैं। उपन्यास में इन सात के अलावा सूजी जैक की बहन है। मिस एली सूजी की आया है। डैन मैदान के पास पुराने मकान का चौकीदार है। जिसके इर्द-गिर्द सारा उपन्यास बुना गया है।


मैंने बचपन में जासूसी कथाएँ खूब पढ़ी हैं। जो कुछ पढ़ा है हिन्दी में ही पढ़ा है। युवा साहित्यकार और पेशे से इंजीनियर विकास नैनवाल ने मुझे यह अनुभव और मृगांक के लिए भेंट किया। मंजुल प्रकाशन के लिए इस किताब को हिन्दी में सुधीर दीक्षित और रजनी दीक्षित लाए हैं। अनुवाद शानदार है। इस उपन्यास के अलावा भी इस शंखला के सारे उपन्यास पढ़ना चाहूंगा।


इस किताब की बात करें तो सबसे बड़ी बात मुझे यह लगी कि अनुवाद बेहद धारदार और प्रभावी है। प्रूफ की गलतियाँ नहीं हैं। फोंट शानदार है। फोंट का आकार भी बच्चों के लिहाज़ से बड़ा है। कवर पेज अच्छा मोटा है। भीतर के पेज भी ठीक-ठाक हैं। यदि बारह अध्याय के हिसाब से एक-एक चित्र भी होता तो आनन्द बढ़ सकता था। उपन्यास में अमूमन चित्र नहीं होते। लेकिन यह बाल उपन्यास है तो चित्र रखे जा सकते थे। हिन्दुस्ताीन भाषा का ख़याल रखा गया है। यह काबिल-ए-तारीफ़ है।

उपन्यास का आग़ाज़ आप भी पढिएगा –

पीटर ने जेनेट से कहा, ‘अच्छा होगा कि हम सीक्रेट सेवन सोसायटी की मीटिंग जल्दी ही कर लें। हमारी मीटिंग काफ़ी समय से नहीं हुई है।’
जेनेट झट से अपनी किताब बंद करते हुए बोली, ‘हाँ, यह बहुत अच्छा रहेगा। पीटर, हम अपनी सोसायटी को भूले नहीं थे। क्रिसमस की छुट्टियों में हमें इतने सारे मज़ेदार काम करने थे कि हमारे पास मीटिंग करने का समय ही नहीं था।’
पीटर ने कहा, ‘लेकिन अब हमें मीटिंग कर ही लेनी चाहिए। सीक्रेट सोसायटी बनाने का तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक कि इसके सदस्य कोई काम न करें। अच्छा चलो, अब हम बाक़ी सभी सदस्यों को मीटिंग की ख़बर भिजवाते हैं।’
जेनेट ने आलस से कहा, ‘पाँच चिट्ठियाँ लिखनी पड़ेंगी। तुम मुझसे जल्दी लिख लेते हो, पीटर इसलिए तुम तीन चिट्ठियाँ लिखना और मैं दो लिखूँगी।’

यदि आप इस संवाद को पढ़ लें तो पूरा उपन्यास पढ़ने की जिज्ञासा नहीं होगी ? शायद , होगी ! उपन्यास से ही एक अंश यह भी है-

पहली आवाज़ ने कहा, ‘एक बार देख तो लो, कहीं कोई है तो नहीं।’

जब जैक ने टॉर्च की ज़ोरदार चमक देखी, तो वह चुपचाप गेट से नीचे उतरकर बर्फ़ीली बागड़ के पीछे छिप गया और उसने अपने ऊपर बर्फ डाल ली। बागड़ के पास बर्फ़ पर क़दमों की चर्र चर्र आहट सुनाई दी। टॉर्च की रोशनी गेट पर पड़ी और उस आदमी ने चौंकते हुए कहा ।

‘वहाँ कौन है ? तुम कौन हो ?”

जैक का दिल इतनी ज़ोर से धड़का कि उसे सीने में दर्द होने लगा। वह उठकर यह बताने ही वाला था कि वह कौन है, तभी गेट पर खड़ा आदमी हँसने लगा ।

‘क़सम से, देखो तो सही, निब्स यहाँ पर बर्फ़ के पुतले खड़े हुए हैं! पहले तो मैंने सोचा कि वे ज़िंदा आदमी हैं और हमें देख रहे हैं! मैं सचमुच घबरा गया था।’ –

दूसरा आदमी धीरे से पहले आदमी के पास आया और वह भी बर्फ़ के पुतलों को देखकर हँसने लगा। ‘मुझे लगता है कि यह बच्चों का काम है,’ उसने कहा। ‘हाँ, इस रोशनी में वे सचमुच ज़िंदा इंसान दिखते हैं। इतनी रात को यहाँ आस-पास भला कौन होगा, मैक! चलो भी | अब हम अपना काम शुरु करते हैं।’


वे कार की तरफ़ लौट गए। जैक काँपता हुआ वहीं बैठा रहा। आख़िर ये लोग एक पुराने वीरान मकान के बाहर, इतने बर्फीले मौसम और अँधेरे में कर क्या रहे हैं? क्या उसे देखना चाहिए कि वे किस फ़िराक में हैं? वह ऐसा क़तई नहीं करना चाहता था। वह तो जल्दी से जल्दी अपने घर पहुँचना चाहता था।

वह रेंगता हुआ गेट तक गया। तभी उसे वैन की तरफ़ से अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। ऐसा लग रहा था, जैसे वे लोग किसी दरवाज़े की साँकल खोल रहे थे। शायद वे वैन का दरवाज़ा खोल रहे थे।

तभी अचानक एक ज़ोरदार आवाज़ आई। ऐसा लग रहा था, कोई गुस्से में कूद रहा था और चीख़ रहा था। फिर ऐसा लगा, जैसे दोनों आदमी हाँफते हुए और गालियाँ देते हुए किसी से ज़ोरदार संघर्ष कर रहे हों ! जैक से अब सहन नहीं हुआ। उसने हड़बड़ाकर सिर पर पैर रखकर गेट लाँघा और जान छुड़ाकर गली में भागने लगा !

जैक को यह मालूम नहीं था कि वे कैसी आवाज़े थीं। और सच तो यह है कि उसे इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं थी। वह तो बस इतना चाहता था कि उसे कुछ हो , इससे पहले ही वह सही -सलामत घर पहुँच जाए. 

आप भी इस उपन्यास को तलाशिए। खरीदकर पढ़िएगा। आनन्द आएगा।
किताब: सीक्रेट 7
लेखिका: एनिड ब्लाइटन
विधा: उपन्यास
अनुवाद: डॉ. सुधीर दीक्षित, रजनी दीक्षित
मूल्य: 50 रुपए
पेज संख्या: 120
प्रकाशक: मन्जुल पब्लिशिंग हाउस प्राइवेट लिमिटेड
वेबसाइट : www.manjilindia.com
प्रस्तुति: मनोहर चमोली
सम्पर्क: 7579111144

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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