जी हाँ ! शिक्षक मुकेश प्रसाद बहुगुणा पर कार्रवाई तो होगी।

जब किसी कथित समाजसेवी की शिकायत पर विभाग ने त्वरित गति से फौरी गतिविधियाँ संचालित की हैं तो फाइल बन गई है। फाइल दाखि़ल दफ्तर होने से पहले अपने अन्तिम परिणाम तक तो पहुँचेगी।

आखिर इस मामले में होगा क्या? पहले आरोपी पक्ष की बात कर लेते हैं। आखिर मुकेश प्रसाद बहुगुणा क्या-क्या कर सकते हैं-

1-वह अपना लिखित कथन यानि बयान दे सकते हैं। जो उन्होंने दे दिया होगा।

2-वह विभाग से पूछ सकते हैं कि शिकायतकर्ता की सम्पूर्ण जानकारी उन्हें भी उपलब्ध कराई जाए। हालांकि, कोई सरकार या विभाग चाहे तो गुमनाम, अनाम या छद्म नाम पर की गई शिकायत पर संज्ञान ले सकता है।

3-इस मामले पर फाइल दाखि़ल दफ्तर होने के बाद मुकेश प्रसाद बहुगुणा नाम से शिकायत कर्ता पर, शिकायतकर्ता की शिकायत पर विधिक कार्रवाई करने वाले व्यक्ति पर, नाम से या पदनाम से (पदनाम से इसलिए कि क्या पता कार्रवाई को करते-करते पदाधिकारी ही बदल जाए या वह सेवानिवृत्त हो जाए) मानहानि का मुकदमा मुंसिफ स्तर की अदालत में दायर कर सकते हैं।

4-इस मामले में खेद व्यक्त कर सकते हैं।

5-शिकायतकर्ता से अपनी शिकायत वापिस लेने का अनुरोध कर सकते हैं।

बिन्दु 4 and 5 वाला कृत्य मुकेश जी को नहीं करना चाहिए। क्यों? क्योंकि-

राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के तहत उन्होंने किसी भी नियम का उल्लंघन मेरी दृष्टि में नहीं किया है।

अच्छा देखते हैं कि जिस तरह उन पर कथित कार्रवाई की सूचना सोशल मीडिया से मिल रही है उसका आधार क्या है?

एक राजकीय शिक्षक या कर्मचारी या लोक सेवक के लिए राज्य की आचरण नियमावली इस मुद्दे पर कहती क्या है?

नियमावली का बिन्दु 6- –

समाचार पत्रों (Press) या रेडियो से सम्बन्ध रखना-

(1) कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दशा के जबकि उसने राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो, किसी समाचार-पत्र या अन्य नियतकालिक प्रकाशन (Periodical publication) का पूर्णतः या अंशतः, स्वामी नहीं बनेगा, न उसका संचालन करेगा, न उसके सम्पादन या प्रबन्ध में भाग लेगा।

(2) कोई सरकारी कर्मचारी, सिवाय उस दशा के जबकि उसने राज्य सरकार की या इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त कर ली हो अथवा जब वह अपने कर्त्तव्यों का सद्भाव से निर्वहन कर रहा हो, किसी रेडियो प्रसारण में भाग नहीं लेगा या किसी समाचार-पत्र या पत्रिका को लेख नहीं भेजेगा और छदमनाम से अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम में, किसी समाचार-पत्र या पत्रिका का कोई पत्र नहीं लिखेगा.

परन्तु उस दशा में जबकि ऐसे प्रसारण या ऐसे लेख का स्वरूप केवल साहित्य, कलात्मक या वैज्ञानिक हो, किसी ऐसे स्वीकृत पत्र (Broadcast) के प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होगी।

नोट : तो आप स्वयं पढ़कर समझ रहे होंगे कि साहित्य,कलात्मक और वैज्ञानिक लेखन की स्वीकृति तक की आवश्यकता नहीं है। तो आलोचना कैसी?

नियमावली सरकार की आलोचना पर भी स्पष्ट है। नियमावली बिन्दु 7 अवश्य पढ़ें।

वह यह है-

सरकार की आलोचना-

कोई सरकारी कर्मचारी किसी रेडियो प्रसारण में या छदम्नाम से, या स्वयं अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम में प्रकाशित किसी लेख में या समाचार-पत्रों को भेजे गये किसी पत्र में, या किसी सार्वजनिक कथन (Public utterance) में कोई ऐसी तथ्य की बात (Statement of fact) या मत व्यक्त नहीं करेगा-

(1) जिसका प्रभाव यह हो कि वरिष्ठ पदाधिकारियों के किसी निर्णय की प्रतिकूल आलोचना हो या उत्तरांचल सरकार या केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी की किसी चालू या हाल की नीति या कार्य की प्रतिकूल आलोचना हो;

अथवा

(2) जिससे उत्तरांचल सरकार और केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य की सरकार के आपसी सम्बन्धों में उलझन पैदा हो सकती हो,

अथवा

(3) जिससे केन्द्रीय सरकार और किसी विदेशी राज्य की सरकार के आपसी सम्बन्धों में उलझन पैदा हो सकती हो

परन्तु इस नियम में व्यक्त कोई भी बात किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा व्यक्त किए गए किसी ऐसे कथन या विचारों के सम्बन्ध में लागू न होगी, जिन्हें उसने अपने सरकारी पद की हैसियत से या उसे सौंपे गये कर्तव्यों के यथोचित पालन में व्यक्त किया हो।

नोट- अतः स्पष्ट है कि मुकेश प्रसाद बहुगुणा ने कहीं भी भारत सरकार, उत्तराखण्ड सरकार यहां तक कि किसी विदेशी सरकार की आलोचना नहीं की है। नासा से अभिप्राय नाना साले का गठबंधन भी हो सकता है। नासपीट्टे साजिशवाद समूह का नाम भी हो सकता है। नासा से अभिप्राय कोई कैसे नेशनल एरोनोटक्स स्पेस एडमिनस्ट्रेशन से लगा लेगा? क्या उसका पता भी वहां लिखा गया है?


और हाँ एक बात जो हमारे शिक्षकों के मध्य बुरी तरह से भय फैलाती है कि हमें हर चीज़ की अनुमति विभाग या सरकार से लेनी पड़ती है तो नियमावली में यह लिखा है-


2- यह भी निश्चित किया गया है कि उत्तरांचर, प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 2002 के नियम 13 के अधीन सरकारी कर्मचारियों द्वारा ऐसी साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक किस्म की रचनाओं के प्रकाशन के लिये सरकार की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं है जिनमें उनके सरकारी कार्य से सहायता नहीं ली गई है और प्रतिशत के आधार पर स्वामित्व (Royalty ) स्वीकार करने का प्रस्ताव नहीं किया गया है। किन्तु सरकारी कर्मचारी को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि प्रकाशनों में उन शर्तों का कड़ाई से पालन किया गया है जिनका उल्लेख ऊपर प्रस्तर-1 में किया गया है और उनसे सरकारी कर्मचारियों की आचरण नियमावली के उपबन्धों का उल्लंघन नहीं होता है।

पुनश्च: तो कुछ भी नहीं बनता है। उलट मानसिक और सामाजिक मान-सम्मान और प्रतिष्ठा पर आंच बनती है। मुकेश प्रसाद बहुगुणा जी को यह अधिकार होगा कि उपरोक्त कार्रवाई हो चुकने के बाद वह सक्षम आदलत में न्याय की गुहार कर सकते हैं।
आइए अब उस पोस्ट को भी पढ़ लें जिस पर इतना बवाल मचा है बल –
मुकेश प्रसाद बहुगुणा जी ने फेसबुक पर यह लिखा-
1 ब्रेकिंग न्यूज़……
नासा के शिक्षा अधिकारियों और सत्यानाशा के प्रशासनिक अधिकारियों की एक साझा शोध में साबित किया गया है कि बारिश रोकने के लिए ‘‘धनसिंह एप’’ की बजाय स्कूल की छुट्टी का सरकारी परमादेश ज्यादा असरकारी रहता है……
फोटो . बादलों को इधर से उधर ले जाने की सस्ती मजबूत और टिकाऊ तकनीक
***

यह पोस्ट मुकेश प्रसाद बहुगुणा जी ने लिखी है। लेकिन यह उनका स्टेटमेंट कतई नहीं है। नासा से किसी राज्य, संस्थान का नाम व पता स्पष्ट नहीं होता। सत्यानाशा भी एक काल्पनिक विभाग प्रतीत होता है या एक राज्य भी हो सकता है। ”धनसिंह एप” बारिश रोकने का कोई एप है ही नहीं। शिक्षा विभाग ने इस तरह के किसी एप की अनुशंसा की ही नहीं है। ‘‘धनसिंह एप’’ उद्धरण चिह्न के भीतर लिखा गया है जिस पर व्यंग्यकार ने खास ध्यान चाहा है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि ”धनसिंह एप” से किसी व्यक्ति के मान-सम्मान को ठेस पहुँच जाए। यदि ”धनसिंह एप” किसी व्यक्ति का नाम ही है तो मैं कई धनसिंह गुंसाई, धनसिंह राणा, रावत, नेगी, धनाई, बिष्ट को जानता हूँ। अकेले हमारे शिक्षा विभाग में ही ”धनसिंह” नाम के कई मिल जाएँगे। तो क्या सब इस कथित धनसिंह एप से अपने आत्म सम्मान में कुठाराघात मान लें?
एक ही उत्तर होगा-नहीं। क़तई नहीं।

एक दूसरी पोस्ट है। जिसमें तो कुछ भी दम नहीं है।
वह यह है-अथ वेदांत चिंतन…..
स्कूल के ही पास रहने का फ़ायदा यह होता है कि डीएम साहब द्वारा वर्षा में स्कूल बंद रखने और गुरू जी को स्कूल आने के आदेश का पूरा, भरपूर, समुचित, पर्याप्त आनंद लिया जा सकता है…
ईशावास्योपनिषद में ब्रह्म के बारे में ऋषि ने एक मन्त्र लिखा है.
तदेजति तन्नैजति तद् दूरे तद्वन्तिके। तदन्तरस्य सर्वस्य तदु सर्वस्यास्य बाह्यतः ॥
अर्थात… वह गति करता है और गति नहीं भी करता है…… वह दूर है और पास भी है …. इस सबके भीतर है और इस सबके बाहर भी है….
तो मुझे लगता है कि मन्त्र लिखने वाले ऋषि अवश्य ही किसी राजकीय स्कूल में मास्टर भी थे…..और ऐसे में उनका आशय कुछ ऐसा भी रहा होगा….
वह छुट्टी पर है. वह ड्यूटी पर भी है. वह बंद स्कूल में है. वह खुले स्कूल में भी है….. वह ब्रह्मा विष्णु महेश है… वह नितांत सरकारी नौकर भी है
फोटो . बंद स्कूल में खुले का मजा लेते गुरु जी
वीडियो . खुले स्कूल के बंद होने पर मौज मनाते बच्चे ; वीडियो . – Akhilesh Dimri जी के सौजन्य से-

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By manohar

परिचयः मनोहर चमोली ‘मनु’ जन्मः पलाम,टिहरी गढ़वाल,उत्तराखण्ड जन्म तिथिः 01-08-1973 प्रकाशित कृतियाँ ऐसे बदली नाक की नथः 2005, पृष्ठ संख्या-20, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली ऐसे बदला खानपुरः 2006, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। सवाल दस रुपए का (4 कहानियाँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की लोककथाएं (14 लोक कथाएँ)ः 2007, पृष्ठ संख्या-52, प्रकाशकः भारत ज्ञान विज्ञान समिति,नई दिल्ली। ख्खुशीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून बदल गया मालवाः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून पूछेरीः 2009,पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः राष्ट्रीय पुस्तक न्यास,नई दिल्ली बिगड़ी बात बनीः मार्च 2008, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून अब बजाओ तालीः 2009, पृष्ठ संख्या-12, प्रकाशकः राज्य संसाधन केन्द्र (प्रौढ़ शिक्षा) 68/1,सूर्यलोक कॉलोनी,राजपुर रोड,देहरादून। व्यवहारज्ञानं (मराठी में 4 कहानियाँ अनुदित,प्रो.साईनाथ पाचारणे)ः 2012, पृष्ठ संख्या-40, प्रकाशकः निखिल प्रकाशन,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। अंतरिक्ष से आगे बचपनः (25 बाल कहानियाँ)ः 2013, पृष्ठ संख्या-104, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-40-3 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। कथाः ज्ञानाची चुणूक (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः उलटया हाताचा सलाम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पुस्तके परत आली (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः वाढदिवसाची भेट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सत्पात्री दान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मंगलावर होईल घर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवक तेनालीराम (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः असा जिंकला उंदीर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पिंपलांच झाड (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरं सौंदर्य (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः गुरुसेवा (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खरी बचत (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः विहिरीत पडलेला मुकुट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शाही भोजनाचा आनंद (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कामाची सवय (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः शेजायाशी संबंध (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः मास्क रोबोट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः फेसबुकचा वापर (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः कलेचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः सेवा हाच धर्म (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः खोटा सम्राट (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः ई साईबोर्ग दुनिया (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। कथाः पाहुण्यांचा सन्मान (मराठी में अनुदित)ः 2014, पृष्ठ संख्या-16, प्रकाशकः नारायणी प्रकाशन, कादंबरी,राजारामपुरी,8वीं गली,कोल्हापूर,महाराष्ट्र। जीवन में बचपनः ( 30 बाल कहानियाँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-120, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-86844-69-4 प्रकाशकः विनसर पब्लिशिंग कम्पनी,4 डिसपेंसरी रोड,देहरादून। उत्तराखण्ड की प्रतिनिधि लोककथाएं (समेकित 4 लोक कथाएँ)ः 2015, पृष्ठ संख्या-192, प्रकाशकः समय साक्ष्य,फालतू लाइन,देहरादून। रीडिंग कार्डः 2017, ऐसे चाटा दिमाग, किरमोला आसमान पर, सबसे बड़ा अण्डा, ( 3 कहानियाँ ) प्रकाशकः राज्य परियोजना कार्यालय,उत्तराखण्ड चित्र कथाः पढ़ें भारत के अन्तर्गत 13 कहानियाँ, वर्ष 2016, प्रकाशकः प्रथम बुक्स,भारत। चाँद का स्वेटरः 2012,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-40-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बादल क्यों बरसता है?ः 2013,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-81038-79-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। जूते और मोजेः 2016, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-97-6 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। अब तुम गए काम सेः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-88-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। चलता पहाड़ः 2016,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-84697-91-4 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। बिल में क्या है?ः 2017,पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-86808-20-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। छस छस छसः 2019, पृष्ठ संख्या-24,पिक्चर बुक, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-89202-63-2 प्रकाशकः रूम टू रीड, इंडिया। कहानियाँ बाल मन कीः 2021, पृष्ठ संख्या-194, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-91081-23-2 प्रकाशकः श्वेतवर्णा प्रकाशन,दिल्ली पहली यात्रा: 2023 पृष्ठ संख्या-20 आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-5743-178-1 प्रकाशक: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत कथा किलकारी: दिसम्बर 2024, पृष्ठ संख्या-60, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-92829-39-0 प्रकाशक: साहित्य विमर्श प्रकाशन कथा पोथी बच्चों की: फरवरी 2025, पृष्ठ संख्या-136, विनसर पब्लिकेशन,देहरादून, उत्तराखण्ड, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-93-93658-55-5 कहानी ‘फूलों वाले बाबा’ उत्तराखण्ड में कक्षा पाँच की पाठ्य पुस्तक ‘बुराँश’ में शामिल। सहायक पुस्तक माला भाग-5 में नाटक मस्ती की पाठशाला शामिल। मधुकिरण भाग पांच में कहानी शामिल। परिवेश हिंदी पाठमाला एवं अभ्यास पुस्तिका 2023 में संस्मरण खुशबू आज भी याद है प्रकाशित पावनी हिंदी पाठ्यपुस्तक भाग 6 में संस्मरण ‘अगर वे उस दिन स्कूल आते तो’ प्रकाशित। (नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में।) हिमाचल सरकार के प्रेरणा कार्यक्रम सहित पढ़ने की आदत विकसित करने संबंधी कार्यक्रम के तहत छह राज्यों के बुनियादी स्कूलों में 13 कहानियां शामिल। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा पहली में कहानी ‘चलता पहाड़’ सम्मिलित। राजस्थान, एस.सी.ई.आर.टी द्वारा 2025 में विकसित हिंदी पाठ्यपुस्तक की कक्षा चौथी में निबंध ‘इसलिए गिरती हैं पत्तियाँ’ सम्मिलित। बीस से अधिक बाल कहानियां असमियां और बंगला में अनुदित। गंग ज्योति पत्रिका के पूर्व सह संपादक। ज्ञान विज्ञान बुलेटिन के पूर्व संपादक। पुस्तकों में हास्य व्यंग्य कथाएं, किलकारी, यमलोक का यात्री प्रकाशित। ईबुक ‘जीवन में बचपन प्रकाशित। पंचायत प्रशिक्षण संदर्शिका, अचल ज्योति, प्रवेशिका भाग 1, अचल ज्योति भाग 2, स्वेटर निर्माण प्रवेशिका लेखकीय सहयोग। उत्तराखण्ड की पाठ्य पुस्तक भाषा किरण, हँसी-खुशी एवं बुराँश में लेखन एवं संपादन। विविध शिक्षक संदर्शिकाओं में सह लेखन एवं संपादन। अमोली पाठ्य पुस्तक 8 में संस्मरण-खुशबू याद है प्रकाशित। उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग में भाषा के शिक्षक हैं। वर्तमान में: रा.इं.कॉ.कालेश्वर,पौड़ी गढ़वाल में नियुक्त हैं। सम्पर्कः गुरु भवन, पोस्ट बॉक्स-23 पौड़ी, पौड़ी गढ़वाल.उत्तराखण्ड 246001.उत्तराखण्ड. मोबाइल एवं व्हाट्सएप-7579111144 #manoharchamolimanu #मनोहर चमोली ‘मनु’

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