कोविड काल के दौरान कोविड ड्यूटी करते हुए कोविड संक्रमित होते हुए कोविड का पालन करते हुए कोविड पर कुछ पठनीय सामग्री बनाने का काम विभाग ने अवसर दिया। सीमित समय था। सीमित संसाधन थे।

मक़सद था कि बुनियादी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए कोविड संबंधी रोचक सामग्री का रचनात्मक काम किया जाए।

सूचनात्मक साहित्य को छोड़कर कहानीपन का जिम्मा हमने लिया। बस तीन काॅर्ड की रचना ही मुझसे हो पाई। उस दौरान कुछ कैफ़ियत भी लिखने-पढ़ने की न थी।


अलबत्ता पीछे मुड़कर देखता हूँ तो उत्तराखण्ड के शिक्षा विभाग ने सेवा पूर्व और सेवारत् रहते हुए मुझे लिखने-पढ़ने के ख़ूब बहुत अवसर दिए। मुझे यह कहने में क़तई गु़रेज नहीं है कि अपन जितना वापसी कर सकते हैं नहीं कर पा रहा हूँ।


इसे विभाग की चाटुकारी न मानी जाए। विभाग से असहमतियां और छात्र हित के उलट उसकी आलोचनाएँ बदस्तूर चलती रही हैं और आगे भी चलती रहेंगी। लेकिन यह तभी संभव है कि विभाग में रहा जाए और रचनात्मकता में लीन भी रहा जाए।

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By manohar

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