फिर भी बच्चे याद रखते हैं . . .

धर्मवीर बत्तीस साल बाद मिला धर्मवीर ! कद लगभग छह फुट ! सांवला रंग। दुबला-पतला शरीर। धूप-मिट्टी और रंग बदलते मौसम के साथ घुली-मिली गठी हुई देह। भाल और भौंहे…

इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता

'इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता। कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।' जी हाँ। सुनीता उन्हीं में से एक है। जिन्हें इंसान पहचानने आते हैं।…

सामाजिक मनोदशा की नब्ज़ टटोलते हैं रामेंद्र कुशवाहा

जीना इसी का नाम: कथा संग्रह कहानीकार रामेन्द्र कुशवाहा की चौथी किताब कहानी संग्रह है। किताब का शीर्षक ‘जीना इसी का नाम’ है। महाराष्ट्र के मुंबई से हिन्दी में किताब…

वैश्विक शान्ति एवं एकता के लिए लेखन

अणुव्रत लेखक मंच का विस्तारीकरण बीते दिनों अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी ने लेखक सम्मेलन का आयोजन किया। यह दो दिवसीय आयोजन नंदनवन, मुंबई में हुआ। तय कार्यक्रम और विचार गोष्ठी…

दीनदयाल शर्मा : बहुमुखी प्रतिभा के धनी

-मनोहर चमोली ‘मनु’ एक आदमी खुद को कितना अद्यतन रख सकता है? एक समय ऐसा आता है कि वह समझौता कर लेता है। ठूँठ होने लगता है। वहीं नवाचारी, उत्साही…