फलों को पेड़ की खुद लगती है
-मनोहर चमोली ‘मनु’ ‘‘मास्साब तनिक सुनो तो। एक बार छू लो हमें। ये आपसे कह रहे हैं!’’ किसी ने मुझसे कहा। यह आवाज़ मेरे दाएं कान ने सुनी थी। मैं…
-मनोहर चमोली ‘मनु’ ‘‘मास्साब तनिक सुनो तो। एक बार छू लो हमें। ये आपसे कह रहे हैं!’’ किसी ने मुझसे कहा। यह आवाज़ मेरे दाएं कान ने सुनी थी। मैं…
धर्मवीर बत्तीस साल बाद मिला धर्मवीर ! कद लगभग छह फुट ! सांवला रंग। दुबला-पतला शरीर। धूप-मिट्टी और रंग बदलते मौसम के साथ घुली-मिली गठी हुई देह। भाल और भौंहे…
दैनिक जागरण ने माना भूल हुई खबर : जिस पर आपत्ति दर्ज़ की गई सच हाथ में कथ्य और तथ्य की बूँदें आता है। वह बुझौणे तब तक झूठ अफवाह…
'इस दौर में इंसान का चेहरा नहीं मिलता। कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ।' जी हाँ। सुनीता उन्हीं में से एक है। जिन्हें इंसान पहचानने आते हैं।…
जीना इसी का नाम: कथा संग्रह कहानीकार रामेन्द्र कुशवाहा की चौथी किताब कहानी संग्रह है। किताब का शीर्षक ‘जीना इसी का नाम’ है। महाराष्ट्र के मुंबई से हिन्दी में किताब…
वीणा जैन कृत एक उत्सव: एक महोत्सव ‘रात भर सुबह को उडीकती रही’ ने चौंकाया। याद आया कि यह उडीकना शब्द कहीं न कहीं तो पहले पढ़ा है। याद ही…
अणुव्रत लेखक मंच का विस्तारीकरण बीते दिनों अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी ने लेखक सम्मेलन का आयोजन किया। यह दो दिवसीय आयोजन नंदनवन, मुंबई में हुआ। तय कार्यक्रम और विचार गोष्ठी…
समीर गांगुली के लेखन में समूचा भारत
पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी , राजस्थान
-मनोहर चमोली ‘मनु’ एक आदमी खुद को कितना अद्यतन रख सकता है? एक समय ऐसा आता है कि वह समझौता कर लेता है। ठूँठ होने लगता है। वहीं नवाचारी, उत्साही…