टीने और दूर बसे पर्वत

शिक्षा त्रिपाठी कृत ‘टीने और दूस बसे पर्वत’ किताब प्रथम बुक्स ने प्रकाशित की है। किताब के आकर्षक चित्र ओगिन नयम ने बनाए हैं। आवरण आकर्षित करता है। उन पाठकों…

‘शॉल का आखि़र क्या हुआ?’

‘शॉल का आखि़र क्या हुआ?’ एक बोध कथा है। इसका पुनर्लेखन अरविन्द गुप्ता ने किया है। किताब के चित्र देबस्मिता दासगुप्ता ने बनाए है। बोध कथा का शानदार सरलीकरण पढ़ते…

‘अंतरिक्ष में मक्खी’ सन् 47 में पहुँच गई थी !

किताब के शीर्षक ने चौंकाया। कहानी की शुरुआत से लगा कि यह सूचनाओं को जबरन ठूंसने वाले इरादे से लिखी गई है। लेकिन, तीसरे ही वाक्य के तौर पर जब…

अक्कू हुई गुस्सा

क्या आप कभी स्कूल की छुट्टी का घण्टा बजने से पहले अपने घर के बच्चों को लेने पहुँचे हैं? यदि हाँ तो आपको यह किताब पढ़नी चाहिए। नहीं? तब भी…

किताब : ‘गुस्सा’ सोचने पर बाध्य करती है

कुलवंत कोछड़ कृत किताब ‘गुस्सा’ एक शानदार कहानी बन पड़ी है। कहानी की किताब के चित्र अजंता गुहाठाकुरता ने बनाए हैं। पाठकों के लिए यह किताब राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत…

बंगाणी भाषा की तिमाही पत्रिका इज़ाज़

इज़ाज़ यानि आजकल, इन दिनों या इस समय। मुझे यह एजाज़ के करीब लगता है जिसे अनोखा,चमत्कार या करिश्मा भी कहते हैं। इज़ाज़ बंगाणी भाषा की तिमाही पत्रिका है। यह…

गोली-टॉफी वाला राक्षस

रंजीत लाल कृत ‘गोली-टॉफ़ी वाला राक्षस’ यथार्थ और कल्पना का मिला-जुला समिश्रण है। जो है और जो नहीं है को मिलाकर रंजीत लाल ने यह साबित किया है कि खट्टी-मिट्ठी…