‘‘मनोहर चमोली जी बोल रहे हैं?’’
‘‘नमस्कार ! जी बोल रहा हूँ।’’
‘‘जी, नमस्ते। मैं ABCD । xyz प्रकाशन का नाम तो सुना होगा आपने?’’
‘‘जी जी। क्यों नहीं ! इस पब्लिकेशन को कौन नहीं जानता?’’
‘‘जी। हमारा पब्लिकेशन आपके संपादन में देश भर के 51 रचनाकारों की कहानियाँ चाहता है। क्या आप अपनी सेवाएँ देंगे?’’
‘‘अरे वाह! क्यों नहीं? मेरे लिए तो यह बड़ी खुशी की बात होगी। मुझे केवल संपादन ही तो करना है न?’’
‘‘जी हाँ। 51 रचनाओं का चयन और रचनाकारों से रचनाएं भी आप ही मंगवाएंगे। इस काम के बदल पब्लिकेशन आपको 5 प्रतिशत रॉयल्टी देगा। यदि आप कहें तो मैं आपको एग्रीमेन्ट भेज देता हूँ। अपना पोस्टल एड्रेस मुझे व्हाट्सएप कर दें।’’
‘‘जी। ये सब तो ठीक है। लेकिन रचनाकारों को क्या मिलेगा?’’
‘‘जी। छपने वाले रचनाकारों को एक प्रति निःशुल्क मिलेगी। एक से अधिक प्रति चाहने पर उन्हें 20फीसदी छूट देंगे। आपको हम 10 प्रतियां निःशुल्क देंगे।’’
‘‘जी। माफ कीजिएगा। मैं इस योजना में शामिल न हो सकूंगा।’’
‘‘जी। क्यों? आप अपनी योजना बताइए तो।’’
‘‘संपादक को 5 फीसदी रॉयल्टी किस बात की? चलिए ये उदारमन है। लेकिन लेखकों को कोई पारिश्रमिक नहीं? ये तो गलत है।’’
‘‘तो सही क्या है? आप ही बताइएगा।’’
‘‘सही तो यह है कि प्रत्येक रचनाकार को उसकी एक कहानी पर कम से कम 1500 रुपए मानदेय मिलना चाहिए। प्रत्येक रचनाकार को कम से कम 5 प्रतियां। संपादक को अलग से रॉयल्टी का कोई मतलब नहीं। अलबत्ता आप एक मुश्त रकम उसे दे सकते हैं। या फिर संपादक को भी रचनाकार मानिए और प्रत्येक को 1 या 2 प्रतिशत रॉयल्टी की व्यवस्था करेंगे तो मैं आपके साथ हूँ।’’
‘‘ठीक है। मैं हॉयर अथोरिटी से बात करता हूँ। फिर आपको जल्दी बताता हूँ।’’
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इस बात को आज एक सप्ताह होने वाला है। कोई कॉल नहीं आई। जाने-माने पब्लिशर ऐसा करते हैं? मैंने कभी सोचा भी नहीं था। बहरहाल, आप बताएं क्या मैंने कुछ गलत किया?
आप बताएं कि पब्लिशर्स का फोन आएगा?
आप बताएं कि रचनाकारों का यह शोषण नहीं है?
आप बताएं कि पब्लिशर्स के साथ उसकी योजना पर आप काम करना चाहेंगे?
आपसे यही उम्मीद है सर। आपने सही किया। सभी रचनाकारों को ऐसा ही करना चाहिए
ji shukriyaa aapkaa.
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